अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा – INSTC
INSTC क्या है?
- यह 7200 किलोमीटर लंबा मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क है |
- इसमें समुद्र, सड़क और रेल मार्ग शामिल है |
- इसकी नीव सितंबर 2000 में ईरान ,रूस और भारत द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में रखी गई थी |
- इसका मकसद सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देना है |
- भारत के संदर्भ में इसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच परिवहन लागत लगभग 30 परसेंट कम करना है |
- वही ट्रांजिट टाइम को 40 दिनों के आधे से अधिक कम करना है |
- अजरबैजान इसमें 2005 में शामिल हुआ था |
- इस समझौते को 13 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है
- इसमें शामिल देश हैं– अजरबैजान ,बेलारूस , बुल्गारिया, आर्मेनिया ,भारत ,ईरान ,ओमान ,रूस ,कजाकिस्तान ,किर्गिस्तान ,तजाकिस्तान ,तुर्की और यूक्रेन हैं |
- यह ईरान के माध्यम से हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को कैस्पियन सागर से जोड़ता है |
- साथ ही यह रूस के सेंट पीटर्सबर्ग एवं उत्तरी यूरोप से जुड़ा हुआ है |
इस कॉरिडोर का क्या महत्त्व है ?
- इसमें सदस्य देशो की अर्थव्यवस्थाओं को विशेष विनिर्माण लॉजिस्टिक और ट्रांजिट हब में बदलने की क्षमता है |
- यह अश्गाबात समझौते के साथ तालमेल बैठाने में सहायक है |
- भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार करने के लिए एक स्थायी वैकल्पिक मार्ग के तौर पर काम करता है |
- बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका बढ़ाने में सहायक है |
- INSTC के ईरान से होकर गुजरने से मध्य एशियाई देशों के लिए हिंद महासागर क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में महत्वपूर्ण है |
INSTC की क्या चुनौतियां हैं?
- आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के रूप में मध्य एशिया में सुरक्षा का खतरा है |
- इस क्षेत्र में अलग-अलग टैरिफ और सीमा शुल्क का मुद्दा एक बड़ी चुनौती है |
आखिर INSTC चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में रूस ने International North-South Transport Corridor (INSTC) के जरिए भारत के लिए माल (कार्गो) की पहली खेप भेजी है |
- इस कदम में INSTC संचालन को गति मिली है |
- यह भारत –रूस व्यापार के लिए सबसे छोटा संपर्क मार्ग है |
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