Continents & Oceans
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory)
- इस सिद्धांत की वैज्ञानिक व्याख्या ‘अल्फ्रेड वेगनर’ द्वारा की गई।
- इनके अनुसार, कार्बोनिफेरस युग में सभी महाद्वीप एक स्थलखंड के रूप में थे
- जिसे पैंजिया तथा इसके चारों ओर विद्यमान महासागर को ‘पैंथालासा’ कहा गया।
- कार्बोनिफेरस युग के अंत में गुरुत्वीय बल (सूर्य तथा चंद्रमा का ज्वारीय बल) एवं उत्प्लावन बल के कारण विखंडित हुए पैंजिया के उत्तरी भूखंड को ‘अंगारालैंड’ तथा दक्षिणी भूखंड को ‘गोंडवानालैंड’ कहा गया।
- इन दोनों के मध्य उथले जलीय क्षेत्र से ‘टेथिस सागर‘ की उत्पत्ति हुई। (Continents & Oceans)
- जुरैसिक काल में गोंडवानालैंड में विखंडन हुआ तथा प्रायद्वीपीय भारत, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका तथा हिंद महासागर का निर्माण हुआ।
- अंगारालैंड में विखंडन से उत्तरी अमेरिका, यूरोप तथा एशिया अस्तित्त्व में आए।
- उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के पश्चिम दिशा में प्रवाह से अटलांटिक महासागर बना।
- साथ ही पश्चिमी सीमा पर अवरोध के कारण रॉकी तथा एंडीज वलित पर्वतों का निर्माण हुआ।
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प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonic Theory)
- इस सिद्धांत का प्रतिपादन हैरी हेस, मार्गन, मैकेंजी, पार्कर तथा होम्स के प्रयास से हुआ। समुद्री नितल प्रसरण इसी से जुड़ा है।
- इसके अनुसार पृथ्वी अनेक बड़ी एवं छोटी प्लेटों में विभक्त है, जो अपने से अधिक घनत्व वाले एस्थेनोस्फेयर पर तैरती हैं।
- ये प्लेटें विनाशात्मक सीमांत, संरचनात्मक सीमांत तथा संरक्षी सीमांत के सहारे क्रमश: अभिसारी (दो प्लेटें आपस में टकराती हैं), अपसारी (दो प्लेटें एक-दूसरे से दूर होती हैं) तथा संरक्षी (दो प्लेटें एक दूसरे के समानांतर खिसकती हैं) संचलन करती हैं, जिनके आधार पर विभिन्न प्रकार के भू-दृश्यों के जनन, भूकंप तथा ज्वालामुखी क्रिया आदि की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत की जाती है।