खबरों में क्यों है?
- हाल ही में नीति आयोग ने Harnessing Green Hydrogen Opportunities for Deep Decarbonization in India नामक एक Report प्रकाशित की है।
- इसका मकसद देश में ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) के उत्पाद को बढ़ावा देना और डीप डीकार्बोनाइजेशन के अवसरों की तलाश करना है।
- इस रिपोर्ट को नीति आयोग द्वारा आर एम आई इंडिया की सहायता से तैयार किया गया है ।
- नीति आयोग ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी और कस्टम ड्यूटी जैसे टैक्स में कमी करने और ग्रीन हाउस के स्टार्टअप के लिए अनुदान देने की सिफारिश की है।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?
- ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा का एक स्वच्छ रूप है ।
- इसका उत्पादन सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा किया जाता है ।
- इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया में विद्युत द्वारा पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अपघटित किया जाता है और इस प्रकार प्राप्त हाइड्रोजन को ही ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
- हाइड्रोजन ऊर्जा के अन्य प्रारूप जैसे ब्राउन हाइड्रोजन ,ग्रे हाइड्रोजन और ब्लू हाइड्रोजन आदि की तरह ही ग्रीन हाइड्रोजन भी है।
- नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त ग्रीन हाइड्रोजन का फुटप्रिंट अन्य हाइड्रोजन की तुलना में कम होता है।
- वर्तमान में भारत में उत्पादित अधिकांश हाइड्रोजन ग्रे हाइड्रोजन है इसका उत्पादन प्राकृतिक गैस और अमोनिया का प्रयोग करके किया जाता है ।
- ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन काफी महंगा होता है इसलिए सरकार ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा दे रही है।
- ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले का प्रयोग करके किया जाता है ।
- जबकि ब्लू और ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन प्राकृतिक गैस का प्रयोग करके किया जाता है ।
डीप डीकार्बोनाइजेशन (Deep Decarbonization)
- डीप डीकार्बोनाइजेशन का मतलब कार्बन उत्सर्जन ईंधन के क्रमिक उन्मूलन के साथ एक टिकाऊ विकल्प के उपयोग पर जोर देना है ।
- जलवायु संकट से निपटने के लिए डीप डीकार्बोनाइजेशन एक दीर्घकालिक सक्रिय रणनीति है ।जो पृथ्वी पर जीवो को एक लंबा जीवन जीने के लिए आधार प्रदान करती है ।
- साथ ही इसका मकसद कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना तथा स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना है ।
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नीति आयोग की रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट में नीति आयोग ने ऊर्जा संकट से निपटने और भारत को वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाए जाने पर ध्यान केंद्रित किया है ।
- विश्व के लगभग 45 देशों ने हाइड्रोजन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए रोड मैप जारी किया है ।
- वर्तमान में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड तेल एवं ऊर्जा का आयातक है ।
- नीति आयोग के मुताबिक हाइड्रोजन उत्पादन की उच्च लागत ,आपूर्ति श्रृंखलाएं, कानूनी जटिलता आदि भारत के हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बाधा है ।
- इसके अलावा अनुसंधान एवं विकास पर कम बजट के साथ कई तकनीकी चुनौतियां भी मौजूद हैं।
- नीति आयोग इस रिपोर्ट में राज्यों को ग्रीन कॉरिडोर बनाने का सुझाव भी दिया है ।
- साल 2030 तक 25 GW मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी को स्थापित करने की जरूरत है ।
- हाइड्रोजन उत्पादन के निर्यात में वृद्धि के लिए एक वैश्विक हाइड्रोजन गठबंधन बनाए जाने की सिफारिश की है ।
ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा की जरूरत क्यों?
- ऊर्जा संसाधनों के मूल्यों में वृद्धि हाइड्रोजन ऊर्जा को अपनाने का कारण है ।
- दूसरी सबसे बड़ी चुनौती ग्लोबलवार्मिंग है ।
- पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा का प्रयोग इंडस्ट्रियल क्षेत्र में आसान नहीं है।
- भारी उद्योग सहित एयरलाइंस और पानी के जहाजों में ग्रीन हाइड्रोजन का प्रयोग एक बेहतर विकल्प हो सकता है ।
- ग्रीन हाइड्रोजन को स्टोर कर जरूरत के हिसाब से इसका इस्तेमाल करना आसान है ।
- साल 2070 तक नेट जीरो टारगेट को भी हासिल करने का लक्ष्य है ।
ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के प्रयास
- भारत सरकार ने साल 2021– 22 के बजट में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा की थी।
- साल 2022 में भारत सरकार द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) नीति जारी की गई।
- सड़क मंत्रालय ने हाइड्रोजन आधारित इलेक्ट्रिक वाहन टोयोटा मिराई पेश किया ।
- भारत सरकार ग्रीन हाइड्रोजन की दिशा में प्रोडक्शन लिंक्ड सब्सिडी देने पर भी विचार कर रही है।
निष्कर्ष
- ग्रीन हाइड्रोजन पर सरकार को गहराई से विचार करना चाहिए ।
- ग्रीन हाइड्रोजन कॉरिडोर बनाने के क्रम में राज्यों को मदद करनी चाहिए ।
- ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी की मदद से ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) की मांग को प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है।