भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन

कांग्रेस से पूर्व स्थापित होने वाली राजनीतिक संस्थाएँ

  • 1866 में दादाभाई नौरोजी द्वारा लंदन में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की गई।
  • दादाभाई नौरोजी भारत के प्रथम आर्थिक विचारक थे
  • जिन्होंने भारत की गरीबी के लिये भारत से निरंतर हो रहे ‘धन के निष्कासन (Drain of Wealth)’ को ज़िम्मेदार माना ।
  • 1875 में शिशिर कुमार घोष ने इंडियन लीग की स्थापना की।
  • इंडियन एसोसिएशन की स्थापना सुरेंद्र नाथ बनर्जी तथा आनंद मोहन बोस ने 1876 में की थी।
  • इसे ‘कांग्रेस की पूर्वगामी संस्था’ भी कहा जाता है।
  • सुरेंद्र नाथ बनर्जी तथा आनंद मोहन बोस के द्वारा स्थापित की गई |
  • इंडियन एसोसिएशन द्वारा नेशनल कॉन्फ्रेंस नाम से एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन 1883 किया गया।
  • 1884 में एम.वी. राघवाचारी, जी. सुब्रमण्यम अय्यर तथा पी. आनंद चारलू ने मद्रास महाजन सभा का गठन किया।
  • फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैय्यब जी तथा के.टी. तैलंग के सम्मिलित प्रयासों से 1885 में बंबई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना की गई।

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में भारतीय नेताओं द्वारा एक अंग्रेज़ सेवानिवृत्त अधिकारी ए.ओ. ह्यूम के सहयोग से की गई थी।
  • इसका प्रथम अधिवेशन दिसंबर 1885 में बंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय में संपन्न हुआ जिसमें 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

उदारवादी चरण (1885-1905)

  • 1885 में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही इस पर नौरोजी, रानाडे, फिरोजशाह मेहता, सुरेंद्र नाथ बनर्जी, गोखले, मदन मोहन मालवीय जैसे उदारवादी नेताओं का वर्चस्व था।
  • ये नेता प्रार्थना पत्र, स्मरण पत्र, प्रतिवेदन व शिष्टमंडल के द्वारा सरकार तक अपनी मांग पहुँचाते थे।
  • इन नेताओं ने ब्रिटिश जनमत को भी प्रभावित करने का प्रयास किया।
  • कांग्रेस ने ब्रिटेन में 1889 में एक संस्था ‘ब्रिटिश समिति’ बनाई जिसने ‘इंडिया’ नामक समाचार पत्र निकाला।

उग्रवादी चरण (1905-1919)

  • उग्रवादी चरण नेताओं में लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल (लाल, बाल, पाल) का नाम उल्लेखनीय है।
  • तिलक ने जनता को साहसी, स्वावलंबी एवं निःस्वार्थी योद्धा बनने का पाठ पढ़ाया।
  • इन्होंने 1893 में गणपति उत्सव तथा 1895 में शिवाजी उत्सव के द्वारा लोगों में राष्ट्रवादी भावना जगाने का प्रयास किया।

दादाभाई नौरोजी ने अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में 1904 में पहली बार स्वशासन की मांग की थी।

बंगाल का विभाजन एवं स्वदेशी आंदोलन

  • जुलाई 1905 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा बंगाल विभाजन की घोषणा की गई।
  • 7 अगस्त, 1905 को कलकत्ता स्थित टाउनहॉल में एक ऐतिहासिक बैठक के दौरान स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा की गई
  • तथा बहिष्कार संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया।
  • 16 अक्तूबर, 1905 को विभाजन को लागू कर दिया गया।
  • इस दिन को ‘शोक दिवस’ के रूप में मनाया गया। बंगालियों में अटूट एकता दर्शाने के लिये हिंदू एवं मुसलमानों ने एक-दूसरे की कलाइयों पर राखी बाँधी ।
स्वदेशी आंदोलन एवं विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र ने अपने पत्र ‘संजीवनी’ में 1905 में प्रस्तुत किया।
  • इस विभाजन के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने ‘आमार सोनार बांग्ला’ नामक प्रसिद्ध गीत लिखा।
  • आगे चलकर यह 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के पश्चात् इसका राष्ट्रीय गीत बना।
  • तिलक ने बंबई तथा पुणे में, अजीत सिंह तथा लाला लाजपत राय ने पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में,
  • सैयद हैदर रजा ने दिल्ली में तथा चिदंबरम पिल्लै ने मद्रास में स्वदेशी आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • 1905 में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की।
  • इसमें बंगाल में चल रहे स्वदेशी व बहिष्कार आंदोलन का समर्थन किया गया।
  • उग्र राष्ट्रवादी नेता स्वदेशी आंदोलन को पूरे देश में फैलाना चाह रहे थे।
  • साथ ही वे सिर्फ स्वदेशी व बहिष्कार आंदोलन से संतुष्ट न होकर स्वराज प्राप्ति को अपना लक्ष्य बनाना चाहते थे।
  • 1906 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में दादाभाई नौरोजी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मूल लक्ष्य स्वराज की प्राप्ति बताया।
  • इस आंदोलन के दौरान एक महत्त्वपूर्ण स्वयंसेवी संगठन था- बारीसाल की स्वदेश बांधव समिति। इसके अध्यक्ष अश्विनी कुमार दत्त थे।
  • आचार्य पी.सी. राय ने बंगाल में स्वदेशी केमिकल स्टोर्स की स्थापना की।
  • तकनीकी शिक्षा के लिये बंगाल इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई।
  • राष्ट्रीय शिक्षा के विकास के लिये रवींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन की तर्ज़ पर बंगाल नेशनल कॉलेज की स्थापना की गई
  • तथा अरविंद घोष को इसका प्राचार्य बनाया गया।
  • 15 अगस्त, 1906 को राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् का गठन किया गया।
  • इसी समय अवनींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट्स’ की पहली छात्रवृत्ति भारतीय कलाविद् नंदलाल बोस को मिली।
  • वायसराय लॉर्ड हार्डिंग-II ने इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम के स्वागत में 1911 में दिल्ली दरबार का आयोजन किया।
  • 1911 के दिल्ली दरबार में बंगाल विभाजन को रद्द करने तथा राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा हुई। 1912 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाया गया।
  • 1912 में ही बिहार को बंगाल से अलग कर एक भिन्न प्रांत बनाया गया जिसमें उड़ीसा भी शामिल था।

कांग्रेस का विभाजन

  • बंगाल विभाजन के पश्चात् कांग्रेस के अंदर नरमपंथ और गरमपंथ के मध्य विरोध और तीव्र हो गया
  • जिसके परिणामस्वरूप 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हो गया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता रास बिहारी घोष कर रहे थे।
  • 1907 में गरमपंथियों के नेता अरविंद घोष तथा नरमपंथियों के नेता फिरोज़शाह मेहता थे।

मुस्लिम लीग की स्थापना

  • 1906 में आगा खाँ, ढाका के नवाब सलीमुल्लाह तथा मोहसिनमुल्क के नेतृत्व में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई।
  • सलीमुल्लाह को इसका मुख्य संस्थापक माना जाता है। आगा खाँ मुस्लिम लीग के प्रथम अध्यक्ष बनाए गए।
  • मुस्लिम लीग ने बंगाल विभाजन का समर्थन किया।
  • आगे चलकर मुस्लिम लीग को संतुष्ट करने के लिये 1909 का मार्ले-मिंटो सुधार अधिनियम लाया गया जिसमें मुसलमानों के लिये पृथक् निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की गई।

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