विजयनगर साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य

  • विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 में हरिहर और बुक्का ने की।
  • इसकी आरंभिक राजधानी हम्पी थी। यहाँ विभिन्न राजवंशों ने शासन किया।

 विभिन्न वंश

  1. संगम वंश (1336-1485)
  2. सालुव वंश (1485-1505)
  3. तुलुव वंश (1505-1565)
  4. अरविदु वंश (1570-सत्रहवीं सदी)

संगम वंश (1336-1485)

  • इसकी स्थापना 1336 में हरिहर और बुक्का द्वारा की गई।
  • हरिहर प्रथम ने 1343 में होयसल को अपने राज्य में मिला लिया।
  • हरिहर द्वितीय विजयनगर का प्रथम शासक था जिसने महाराजाधिराज की उपाधि ली।
  • बुक्का प्रथम ने ‘वेदमार्ग प्रतिष्ठापक’ की उपाधि धारण की।
  • देवराय-1 ने तुंगभद्रा और हरिद्रा नदी पर बाँध बनवाकर नहरें निकलवाईं।
  • देवराय-II के समय में सर्वप्रथम मुसलमानों की भर्ती सेना में की गई थी।
  • उसने संस्कृत ग्रंथ महानाटक सुधानिधि एवं ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखा। देवराय-II को ‘इमाडिदेवराय’ भी कहा जाता था।
  • इसके दरबार में श्रीनाथ रहते थे जिन्होंने ‘हरिविलासम्’ की रचना की।
  • विरूपाक्ष-II संगम वंश का अंतिम शासक था।

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सालुव वंश (1485-1505)

  • सालुव नरसिंह सालुव वंश का संस्थापक था।
  • सालुव नरसिंह की मृत्यु के बाद इम्मादि नरसिंह गद्दी पर बैठा। इसका संरक्षक नरसा नायक था।

तुलुव वंश (1505-1565)

  • वीर नरसिंह ने इम्मादि नरसिंह को मारकर तुलुव वंश की स्थापना की।
  • इसकी मृत्यु के बाद इसका अनुज कृष्णदेवराय गद्दी पर बैठा जो एक महान शासक था।

कृष्णादेवराय (1509-1529)

  • इसकी उपाधियाँ थीं- ‘अभिनव भोज’, आंध्र भोज, ‘यवनराज’ आदि।
  • कृष्णदेव राय ने ‘जाम्बवती कल्याणम’ (संस्कृत) ‘अमुक्तमाल्यदा’ (तेलुगु) तथा ऊषापरिणय नामक नाटक लिखा ।
  • हजारा एवं विट्ठल स्वामी मंदिर का निर्माण कराया।
  • ‘अष्ट दिग्गज’ (तेलुगु के आठ विद्वान) इसके दरबार में थे जिसमें सर्वश्रेष्ठ तेलुगु कवि पेद्दाना थे जिन्हें तेलुगु कविता का पितामह कहा गया है।
  • तालीकोटा या बन्नी हट्टी या राक्षसी तंगड़ी का युद्ध (23 जनवरी, 1565) सदाशिव राय के समय हुआ।
  • इसके विरुद्ध बीदर, अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा शामिल थे जिनका नेतृत्व बीजापुर के शासक अली आदिलशाह ने किया।
  • विजयनगर का अंतिम शासक रंग तृतीय (अरविदु वंश) था।
यात्री देश शासक
निकोलो कोंटी इटली देवराय-I
अब्दुर्रज्जाक फारस देवराय-II
नूनिज पुर्तगाल अच्युत राय
डोमिंग पायस पुर्तगाल कृष्णदेव राय
बारबोसा पुर्तगाल कृष्णदेव राय

 

विजयनगर प्रशासन

  • विजयनगर प्रशासन की विशिष्टता नायंकार व्यवस्था थी, जिसमें सैनिक सेवा के बदले अमर नायकों को भूमि दी जाती थी।
  • आयंगार व्यवस्था विजयनगर के ग्रामीण प्रशासन जुड़ी थी, जिसमें 12 ग्रामीण अधिकारियों के हाथों में वास्तविक शक्ति होती थी।
  • सैन्य विभाग को ‘कंदाचार’ कहा जाता था। इसके प्रमुख महादंडनायक कहलाते थे।
  • विजयनगर राज्य की मुद्रा ‘पेगोडा’ थी।

बहमनी साम्राज्य

  • 1347 में अलाउद्दीन बहमन शाह अथवा हसनगंगू ने बहमनी साम्राज्य की स्थापना की।
  • इसने ख़लीफ़ा से अपने पद की मान्यता ली। इसने गुलबर्गा को राजधानी बनाया।
  • बहमनी राज्य की मुद्रा ‘हूण’ थी।
  • 1470 में रूसी यात्री निकितन बहमनी साम्राज्य की यात्रा पर आया था। इस समय मुहम्मद-III का शासन था।
  • कलीमुल्लाह बहमनी साम्राज्य का अंतिम शासक था।
  • उसकी मृत्यु के बाद बहमनी साम्राज्य पाँच स्वतंत्र राज्यों में बँट गया।
राज्य वश संस्थापक
अहमदनगर निज़ामशाही मलिक अहमद
बीजापुर आदिलशाही युसुफ आदिल शाह
बरार इमादशाही फतेहउल्लाह इमादशाह
बीदर बरीदशाही अमीर अली बरीद
गोलकुंडा कुतुबशाही कुलीकुतुबशाह

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