शेल गैस (Shale Gas)
- शेल गैस प्राकृतिक गैस का एक गैर-परंपरागत रूप है। हालाँकि यह नवीकरणीय नहीं है।
- यह चट्टानी संस्तरों के मध्य फँसी हुई (Trapped) पाई जाती है।
- इसके निष्कर्षण के लिये चट्टानों में ड्रिलिंग कर तेज दबाव से पानी की धार छोड़ी जाती है, जिससे चट्टानों में फँसे हाइड्रेट के अणु मुक्त हो जाते हैं।
- यह एक महँगी एवं उच्च प्रौद्योगिकीय पद्धति है।
- तुलनात्मक रूप से कम पर्यावरणीय नुकसान के चलते इसे पेट्रोलियम व कोयला जैसे जीवाश्म ईंधनों के विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है। भारत में शेल गैस के मुख्य क्षेत्र कैम्बे, गोंडवाना कम की शैलें, कृष्णा-गोदावरी बेसिन तथा कावेरी क्षेत्र में अवस्थित हैं। इसके अतिरिक्त गंगाघाटी, असम- अराकान, झरिया, बोकारो, उत्तरी करनपुरा, रानीगंज, सोहागपुर आदि क्षेत्रों भी इसके पाये जाने की संभावना है।
नोट: चीन में इसका सर्वाधिक भंडार है, जबकि अमेरिका इसका से विकास कर रहा है।