राष्ट्रपति

राष्ट्रपति [भाग V (अनुच्छेद 52-151)]

Republic {गणराज्य}= राष्ट्राध्यक्ष {राष्ट्रपति/ President}

  • गणराज्य उसे कहते हैं जहां पर राष्ट्रपति का चुनाव होता है, राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।

Democracy {लोकतंत्र}= शासनाध्यक्ष {प्रधानमंत्री}

  • लोकतंत्र उसे कहते हैं जहां प्रधानमंत्री का चुनाव होता है ,प्रधानमंत्री शासनाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।

भारत एक {Democratic Republic} लोकतंत्रात्मक गणराज्य है, इसलिए यहां पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों का चुनाव होता है।

तो चलिए भारत के राष्ट्रपति को भारतीय संविधान के अनुच्छेद के माध्यम से जानते हैं, उससे पहले कुछ अन्य जानकारियां–

  • राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है, लेकिन भारतीय संसद राष्ट्रपति ,लोकसभा व राज्यसभा से मिलकर बनती है, राष्ट्रपति को संसद का अंग माना जाता है। हालांकि राष्ट्रपति को संसदीय विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है।
  • संविधान में राष्ट्रपति के शपथ का प्रारूप अनुच्छेद 60 में दिया गया है जबकि अन्य पदाधिकारियों तथा संसद तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों के शपथ का प्रारूप तीसरी अनुसूची में दिया गया है।

अनुछेद (52)– राष्ट्रपति पद का वर्णन किया गया है।

अनुच्छेद (53)– राष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन किया गया है।

अनुच्छेद– 53 (1) – में कहा गया है की संघ {Federation} की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा करेगा ,राष्ट्रपति भारत के संविधान का अंगरक्षक {Custodian} भी है।

अनुच्छेद (54)– राष्ट्रपति के निर्वाचन का वर्णन किया गया है ,राष्ट्रपति (President) का निर्वाचन निर्वाचक मंडल के द्वारा किया जाता है, निर्वाचक मंडल के सदस्य –

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य (MP)
  2.  राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य (MP)
  3. विधान सभा के निर्वाचित सदस्य (MLA)
  4. दिल्ली,पुदुचेरी के विधानसभा के निर्वाचित सदस्य (MLA)
  5. इसमें विधान परिषद के सदस्यों को मत देने का अधिकार नहीं है क्योंकि विधान परिषद केवल छह राज्यों में है सभी राज्यों में नहीं है।(MLC)

अनुच्छेद (55)– इसमें राष्ट्रपति के निर्वाचन की नीति का वर्णन किया गया है, राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा समान अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से किया जाता है। इस पद्धति में सांसद और विधायक दोनों के मत समान होते हैं।

{राष्ट्रपति के इस चुनाव पद्धति को एकल हस्तांतरणीय मत पद्धति या एकल संक्रमणीय मत पद्धति कहते हैं } उम्मीदवार को विजयी होने के लिए कम-से- कम 50%+1 मत प्राप्त करना होता है ,सामान मत या किसी के विजयी न होने की स्थिति में वरीयता क्रम को मान्यता दी जाती है। अभी तक केवल मात्र 1 राष्ट्रपति वीवी गिरी ही वरीयता क्रम पद्धति से निर्वाचित हुए हैं।

राष्ट्रपति

यदि राष्ट्रपति के चुनाव के समय किसी विधानसभा में कुछ स्थान खाली हैं या किसी राज्य की विधानसभा भंग है तो इससे राष्ट्रपति का चुनाव बाधित नहीं होगा। जो सदस्य उस समय विधानसभाओं में हैं, उन्हीं के मतदान को पर्याप्त समझा जाएगा।

 

अनुछेद (56)– इसमें राष्ट्रपति के पद अवधि का वर्णन किया गया हैं। राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।

अनुच्छेद (57)– इसमें राष्ट्रपति के पुनर्निर्वाचन का वर्णन किया गया है। एक व्यक्ति कई बार राष्ट्रपति बन सकता है इसकी कोई सीमा नहीं निर्धारित की गई है।

अनुच्छेद (58)– इसमें राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता का वर्णन किया गया है। जैसे–

योग्यता-

  • भारत का नागरिक हो।
  • 35 वर्ष आयु पूरी कर चुका हो।
  • लोकसभा सदस्य बनने योग्य हो ।
  • किसी लाभ के पद पर ना हो।
  • पागल – दिवालिया ना हो।

चुनाव में खड़े होने के लिए –

  • 50 प्रस्तावक
  • 50 अनुमोदक
  • 15000 जमानत राशि
  • ⅙ मत प्राप्त करना जरुरी होता है नहीं तो जमानत जप्त हो जाती है|
  • लाभ के पद के प्रयोजन के लिये भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल, केंद्र या राज्य सरकार के किसी मंत्री को लाभ के पद का धारक नहीं समझा जाएगा।
  • भारत का राष्ट्रपति होने के लिये जन्म से भारत का नागरिक होना आवश्यक नहीं है, जैसा कि अमेरिका में है।
  • यदि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्याग पत्र, निष्कासन के कारण रिक्त होता है तो राष्ट्रपति का चुनाव 6 महीने में व उपराष्ट्रपति का चुनाव यथाशीघ्र संपन्न कराने का प्रावधान है।
  • दोनों नवनिर्वाचित राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति पद ग्रहण अवधि से 5 वर्षों तक अपने पद पर बने रहेंगे। 
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित सभी शंकाओं और विवादों की जाँच तथा फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाएगा और इस संबंध में उसका निर्णय अंतिम होगा।
  • राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिये किसी प्रत्याशी का नाम कम-से-कम 50 मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित और कम-से-कम 50 द्वारा अनुमोदित होना चाहिये।

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अनुच्छेद (60)– इसमें राष्ट्रपति के शपथ का वर्णन किया गया हैराष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश (अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायाधीश) शपथ दिलाता है।(राष्ट्रपति अपना त्याग पत्र उपराष्ट्रपति को देकर पदमुक्त हो सकता है।)

अनुच्छेद (61) – इसमें राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाए जाने का वर्णन किया गया है। यदि राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों का पालन संविधान के दायरे में नहीं कर रहा है या अपने पद का अनुचित प्रयोग कर रहा है तो उस पर महाभियोग चलाया जा सकता है।

              राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया

महाभियोग एक अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया है, जो निम्नवत् है-

  • सर्वप्रथम संसद का कोई सदन राष्ट्रपति पर ‘संविधान के अतिक्रमण’ का आरोप लगाए। इसकी कुछ शर्तें हैं
  • यह आरोप एक संकल्प (Resolution) के रूप में होना चाहिये।
  • कम-से-कम 14 दिनों की पूर्व सूचना के बाद प्रस्तावित हो।
  • सदन की कुल संख्या का कम-से-कम 1/4 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित संकल्प प्रस्ताव हो।
  • सदन की कुल सदस्य संख्या के कम-से-कम 2/3 बहुमत से संकल्प पारित हो।
  • दूसरा सदन उस आरोप का अन्वेषण करेगा तथा राष्ट्रपति स्वयं या अपने प्रतिनिधि के माध्यम से अपना बचाव कर सकेगा।
  • यदि संकल्प दूसरे सदन से आरोप सिद्ध होने के बाद उस सदन के भी कुल सदस्य संख्या के 2/3 बहुमत से पारित हो जाता है तो संकल्प पारित होने की तिथि से राष्ट्रपति अपने पद से हटा दिया जाएगा।
  • संसद के दोनों सदनों के नामांकित सदस्य महाभियोग प्रक्रिया में भाग व मतदान कर सकते हैं।

 

अनुच्छेद(65)- राष्ट्रपति की मृत्यु, त्याग पत्र या पद से हटाए जाने की स्थिति में राष्ट्रपति का पद उपराष्ट्रपति द्वारा सँभालने का प्रावधान करता है। द प्रेसीडेंट (डिस्चार्ज ऑफ फंक्शन्स) एक्ट 1969 के अनुसार यदि उपराष्ट्रपति का पद खाली है तो भारत का मुख्य न्यायाधीश इस पद पर आसीन होगा और उसका पद भी रिक्त होने पर सर्वोच्च न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायाधीश राष्ट्रपति का पद सँभालेगा, ऐसी एक परिस्थिति वर्ष 1969 में उत्पन्न हुई थी, जब भारत के मुख्य न्यायाधीश मो. हिदायतुल्ला ने राष्ट्रपति का पद सँभाला था।

राष्ट्रपति की शक्तियां

अनुच्छेद (53)– इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग स्वयं कर सकता है या उसके अधीनस्थों द्वारा किया जा सकता है

कार्यपालिका की शक्ति–

  • नियुक्त की शक्ति( प्रधानमंत्री ,CAG,चुनाव आयोग,वित्त आयोग,जज SC/HC आदि)
  • अंतर्राजीय परिषद गठन (263)
  • वित्त आयोग (280)
  • अनुसूचित क्षेत्र घोषित
  •  SC,ST,OBC आयोग

विधाई शक्ति–

  • संसद का विभिन्न अंग होता है
  • कोई बिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद पारित होता है
  • अनुच्छेद 123 से अध्यादेश जारी कर सकता है
  • संसद को संबोधित करना
  • संसद के सत्र बुलाना ,सत्रावसान/ लोकसभा को भंग करना
  • अनुच्छेद 77(1) के अनुसार, “भारत सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्यवाहियाँ राष्ट्रपति के नाम से की हुई कही जाएंगी। “
  •  सभी नियुक्तियाँ राष्ट्रपति को अपने विवेक से नहीं, मंत्रिपरिषद् की सलाह के अनुसार करनी होती है।
  • कुछ पदों के मामले में उसे भिन्न व्यक्तियों की सलाह लेनी होती है।
  • राष्ट्रपति देश की सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति है। उसे किसी देश के साथ युद्ध घोषित करने तथा शांति स्थापित करने की शक्ति दी गई है, किंतु यह शक्ति औपचारिक है।
  • राष्ट्रपति संसद के समक्ष निम्नलिखित प्रतिवेदन प्रस्तुत कराएगा-
  •  बजट या वार्षिक वित्तीय विवरण (अनुच्छेद 112)
  •  नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सी.ए.जी.) का प्रतिवेदन(अनुच्छेद 151)
  •  वित्त आयोग की सिफारिशें (अनुच्छेद 281)
  • संघ लोक सेवा आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन (अनुच्छेद 323)
  • राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का प्रतिवेदन (अनुच्छेद-338)
  •  राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का प्रतिवेदन (अनुच्छेद 338क)
  •  राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का प्रतिवेदन (अनुच्छेद 340)
  • अनुच्छेद-117 (1) में उपबंध है कि कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश से ही संसद में पेश किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

 

 राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति (अनुच्छेद 123)

  • अनुच्छेद 123 के अनुसार अध्यादेश जारी करने की निम्नलिखित परिस्थितियाँ होती हैं
  • संसद के दोनों सदन अथवा एक सदन सत्र में न हो।
  • यदि राष्ट्रपति को ऐसा प्रतीत हो कि विधि के निर्माण की तत्काल आवश्यकता हो।
  • सरकार के समक्ष आकस्मिक परिस्थिति विद्यमान हो।
  • राष्ट्रपति संघ (Federation) सूची और समवर्ती सूची से संबंधित विषयों पर अध्यादेश जारी करता है।
  • यदि किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन हो अथवा राष्ट्रीय आपातकाल लगा हो तो राष्ट्रपति राज्य सूची पर भी अध्यादेश जारी कर सकता है।

               अध्यादेश की अवधि

  • अध्यादेश संसद की बैठक होने पर दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो संसद की बैठक के छह सप्ताह किया जाता है। यदि संसद के दोनों सदन अध्यादेश को पारित कर देते हैं तो अध्यादेश कानून का रूप ले लेता है। यदि संसद द्वारा इस
  • बाद यह अध्यादेश समाप्त हो जाता है। यदि संसद के दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग तिथि को बुलाई जाती है तो यह छह सप्ताह वाली अवधि बाद वाली तिथि से गिनी जाती है।
  • यदि संसद के दोनों सदन अध्यादेश पर निरनुमोदन कर दें तो यह निर्धारित छह सप्ताह की अवधि से पहले ही समाप्त हो जाएगा।
  • चूँकि संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अवधि 6 महीने की होती है एवं संसद द्वारा अध्यादेश पर कार्रवाई न करने की स्थिति में यह अध्यादेश प्रथम बैठक के 6 सप्ताह पश्चात् समाप्त हो जाता है। अतः इस तरह अध्यादेश की अधिकतम अवधि 6 महीने 6 सप्ताह होती है।

 

वित्तीय शक्ति–

  • धन विधेयक पर राष्ट्रपति की सहमति पूर्व में होती है
  • आकस्मिक निधि राष्ट्रपति अनु. 267 के तहत आकस्मिक निधि की शक्ति
  • वार्षिक वित्तीय विवरण का लेखा-जोखा मांगने की शक्ति(अनु.112)

न्यायिक शक्ति–

  • अनुच्छेद 72 क्षमादान की शक्ति
  • अनुच्छेद 143 सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेने की शक्ति
  • सुप्रीम कोर्ट /हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति की शक्ति
  • राज्यपाल के नियुक्त की शक्ति

 राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियाँ (अनुच्छेद 72)

लघुकरण (Commute)- किसी कठोर प्रकृति के दंड के स्थान पर हल्की प्रकृति का दंड दिया जाना, जैसे- कठोर कारावास को साधारण कारावास में बदल देना।

परिहार (Remission)- इसका अर्थ है- दंड के आदेश की प्रकृति बदले बिना दंड की मात्रा को कम कर देना, जैसे- पाँच वर्ष के कठोर कारावास को कम करके दो वर्ष के कठोर कारावास में परिवर्तित कर देना।

विराम (Respite)- इसका अर्थ है- दंड पाए हुए व्यक्ति की विशिष्ट अवस्था के कारण उसके दंड की कठोरता को कम करना- जैसे गर्भवती स्त्री के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल देना।

प्रविलंबन (Reprive)- इसका अर्थ है- मृत्युदंड को अस्थायी तौर पर निलंबित कर देना।

क्षमा (Pardon)- इसका अर्थ है- अपराधी को दंड या दंडादेश से पूरी तरह मुक्त कर देना।

सैन्य शक्ति–

  • राष्ट्रपति तीनों सेना थल,जल और वायु सेना का अध्यक्ष होता है
  • युद्ध शांति की शक्ति

आपातकालीन शक्तियाँ-

आपात उपबंध [भाग XVIII अनुच्छेद (352-360) के अंतर्गत राष्ट्रपति के पास निम्नलिखित शक्तियाँ हैं

अनुच्छेद 352 में वर्णित है कि यदि राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि युद्ध (War), बाह्य आक्रमण (External Aggression) या सशस्त्र विद्रोह (Armed Rebellion) के होने (या इनमें से किसी की संभावना) के कारण भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा संकट में है तो वह संपूर्ण देश या उसके किसी भाग में आपातकाल की उद्घोषणा कर सकेगा। 44वें संविधान संशोधन अधिनियम 1978 के द्वारा अनुच्छेद-352 में आंतरिक अशांति को सशस्त्र विद्रोह शब्द से विस्थापित किया गया। अभी तक तीन बार (1962,1671,1975) लागू किया गया |

अनुच्छेद-356 के अंतर्गत यदि किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है तो राष्ट्रपति उस राज्य में आपात की उद्घोषणा कर सकता है। इसके लिये राज्यपाल की रिपोर्ट या उसके बिना राष्ट्रपति आपात् की उद्घोषणा कर सकता है।

अनुच्छेद-360 में बताया गया है कि यदि राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि भारत या उसके किसी भाग का वित्तीय स्थायित्व (Financial Stability) या साख (Credit) संकट में है तो वह वित्तीय आपात की उद्घोषणा कर सकेगा। अभी तक भारत में वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई है।

राष्ट्रपति की वीटोया निषेधाधिकारशक्ति

आत्यंतिक वीटो (Absolute Veto)- ऐसा वीटो जो विधायिका द्वारा पारित विधेयक को पूरी तरह खारिज कर सकता हो।

विशेषित वीटो (Qualified Veto)- ऐसी वीटो शक्ति, जिसे एक विशेष बहुमत से विधायिका द्वारा खारिज किया जा सकता है। भारतीय राष्ट्रपति के पास ऐसी वीटो शक्ति नहीं है ।

निलंबनकारी वीटो (Suspensive Veto)- कार्यपालिका के प्रमुख द्वारा किये गए वीटो को विधायिका पुनर्विचार करके साधारण बहुमत से पुनः पारित करके खारिज कर सकती है।

जेबी वीटो (Pocket Veto)- कार्यपालिका के प्रमुख द्वारा विधेयक पर स्वीकृति या अस्वीकृति देने के बजाय उसे अपने पास पड़े रहने देना। 1986 में भारतीय डाकघर संशोधन अधिनियम पर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इस वीटो का प्रयोग किया था।

राष्ट्रपति का वेतन

  • इस समय भारत के राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख रुपये प्रति माह है जिस पर उन्हें किसी तरह का कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है। इसके अलावा राष्ट्रपति को कई भत्ते भी मिलते हैं। राष्ट्रपति को रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में 1.5 लाख प्रतिमाह मिलता है। साथ ही स्टाफ पर खर्च करने के लिए 60 हजार रुपये महीना अलग से दिया जाता है।

भारत के राष्ट्रपति (President Of India)

संख्या                नाम कार्यकाल
1. ऱाजेन्द्र प्रसाद 1950 से 1962
2. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 से 1967
3. जाकिर हुसैन 1967 से 1969
वी.वी. गिरि (कार्यवाहक अध्यक्ष) 1969 से 1969
मोहम्मद हिदायतुल्ला (कार्यवाहक अध्यक्ष) 1969 से 1969
4. वी.वी. गिरि 1969 से 1974
5. फखरुद्दीन अली अहमद 1974 से 1977
बसप्पा दानप्पा जट्टी (कार्यवाहक अध्यक्ष) 1977 से 1977
6. नीलम संजीव रेड्डी 1977 से 1982
7. ज्ञानी जेल सिंह 1982 से 1987
8. आर.वेंकटरमन 1987 से 1992
9. शंकर दयाल शर्मा 1992 से 1997
10. के.आर. नारायणन 1997 से 2002
11. एपीजे अब्दुल कलाम 2002 से 2007
12. प्रतिभा पाटिल 2007 से 2012
13. प्रणव मुखर्जी 2012 से 2017
14. राम नाथ कोविंद 2017 से 2022
15. द्रौपदी मुर्मू 2022 से वर्तमान 

                                                             

परीक्षा दृष्टि प्रश्न :

प्रश्न: भारत में कार्यपालिका का अध्यक्ष कौन होता है?

उत्तर : राष्ट्रपति

प्रश्न: भारतीय संविधान के अनुसार देश का प्रथम नागरिक कौन है?

उत्तर: राष्ट्रपति

प्रश्न: भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर कौन होता है?

उत्तर: राष्ट्रपति

प्रश्न: राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए अधिकतम आयु कितनी होनी चाहिए?

उत्तर : कोई आयु सीमा नहीं है

प्रश्न: राष्ट्रपति का निर्वाचन किस प्रकार से होता है?

उत्तर: अप्रत्यक्ष रूप से

प्रश्न: कौन से राष्ट्रपति पूर्व में केंद्रीय गृहमंत्री थे ?

उत्तर: ज्ञानी जैल सिंह

प्रश्न: सबसे लम्बे समय तक भारत के राष्ट्रपति रहे?

उत्तर: डॉ. राजेंद्र प्रसाद

प्रश्न: कौन लगातार दो बार राष्ट्रपति रहे थे?

उत्तर: डॉ. राजेंद्र प्रसाद

प्रश्न: भारत के राष्ट्रपति के पास कौन-कौन सी वीटो शक्ति होती है?

उत्तर: पूर्ण निषेध , निलंबित निषेद , पॉकेट निषेद |

प्रश्न: संसद के सदनो को बुलाने की शक्ति किसके पास है?

उत्तर: राष्ट्रपति

प्रश्न: विदेशी देशों के सभी राजदूतों का कमिश्नरों के प्रत्यय पत्र किसके द्वारा प्राप्त किये जाते हैं?

उत्तर: राष्ट्रपति

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