संघ और उसका राज्यक्षेत्र [भाग । (अनुच्छेद 1-4)]
संविधान के इस भाग भारतीय संघ एवं इसके क्षेत्रों की चर्चा की गई है।
- अनुच्छेद 1(1) के अनुसार, “इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का एक संघ (Union) होगा।”
- पहली अनुसूची में सभी राज्यों के नाम तथा भौगोलिक क्षेत्र दिये गए हैं।
- अनुच्छेद 3 के अधीन संसद को नए राज्य का निर्माण करने, वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त है।
- इस प्रयोजन हेतु राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना संसद के किसी भी सदन में कोई भी विधेयक पेश नहीं किया जा सकता है।
- विधेयक राष्ट्रपति द्वारा संबंधित राज्य के विधानमंडल के पास उस पर राय व्यक्त करने के लिये भेजा जाना चाहिये,
- किंतु राज्य विधानमंडल की राय या मत राष्ट्रपति या संसद पर बाध्यकारी नहीं होते।
- अनुच्छेद 4: इस अनुच्छेद के अनुसार नए राज्यों का प्रवेश या गठन (अनुच्छेद-2); नए राज्यों का निर्माण, सीमाओं, क्षेत्रों और नामों में परिवर्तन (अनुच्छेद-3) संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा।
नोट: कोई भी राज्य भारत से अलग होने के लिये स्वतंत्र नहीं है अर्थात् भारत ‘विनाशी राज्यों का अविनाशी संघ’ है।
बेरुबाड़ी संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने विचार व्यक्त किया कि संविधान संशोधन के द्वारा ही कोई राज्य क्षेत्र किसी दूसरे राष्ट्र को सौंपा जा सकता है। उदाहरण के लिये, 9वें संविधान संशोधन द्वारा बेरुबाड़ी राज्य क्षेत्र पाकिस्तान को सौंपा गया तथा 100वें संविधान संशोधन के द्वारा कुछ भारतीय क्षेत्र बांग्लादेश को सौंपे गए। |
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राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित आयोग/समिति
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- बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम, 1960 के द्वारा द्विभाषी राज्य बॉम्बे को महाराष्ट्र (मराठी भाषी) व गुजरात (गुजराती भाषी) में विभाजित किया गया।
- 10वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1961 के माध्यम से दादरा एवं नागर हवेली को संघ शासित क्षेत्र में परिवर्तित किया गया, जो कि 1954 में पुर्तगाली शासन से स्वतंत्र हो गया था।
- 12वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1962 के द्वारा गोवा, दमन एवं दीव को संघ शासित क्षेत्र के रूप में स्थापित किया, जिन्हें ‘पुलिस कार्रवाई’ (1961) के द्वारा अधिगृहीत किया गया था, फिर 1987 में
- गोवा (25वाँ) को पूर्ण राज्य बना दिया गया।
- 1954 में फ्राँस द्वारा हस्तांतरित पुदुच्चेरी का 1962 तक शासन अधिगृहीत क्षेत्र की तरह और 14वें संविधान संशोधन द्वारा इसे केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
- 1963 में नागा पहाड़ियों और असम के बाहर के त्वेनसांग क्षेत्रों को मिलाकर 16वें राज्य के रूप में नगालैंड का निर्माण हुआ।
- 1966 में पंजाब को विभाजित कर हरियाणा (17वाँ) और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ का निर्माण किया गया और 1971 में पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल प्रदेश (18वाँ) को केंद्रशासित से पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।
- 1972 में दो केंद्रशासित प्रदेशों- मणिपुर (19वाँ) ओर त्रिपुरा (20वाँ) व उपराज्य मेघालय (21वाँ) को राज्य का दर्जा दिया गया।
- 35वें संविधान संशोधन (1974) के द्वारा सिक्किम को एक ‘सह-राज्य'” का दर्जा दिया गया और वहाँ की जनता द्वारा चोग्याल का शासन समाप्त करने के पश्चात् जनमत की इच्छा अनुरूप भारत सरकार ने 36वें संविधान संशोधन (1975) के द्वारा सिक्किम (22वाँ) को भारत का पूर्ण राज्य बना दिया व सिक्किम के प्रशासन के लिये अनुच्छेद 371च में विशेष प्रावधानों की व्यवस्था की गई।
- 1987 में मिज़ोरम (23वाँ) और अरुणाचल प्रदेश (24वाँ) को राज्य बनाया गया।
- वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ (26वाँ), उत्तराखंड (27वाँ) और झारखंड (28वाँ) राज्य का निर्माण किया गया (84वाँ संविधान संशोधन)।
- 2 जून, 2014 को औपचारिक रूप से 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना का निर्माण हुआ। श्री कृष्ण आयोग इसी से संबंधित है।
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों यथा- जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में पुनर्गठित किया गया है।
- दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव (केंद्रशासित प्रदेशों का विलय) अधिनियम, 2019 के 3 दिसंबर, 2019 को दोनों सदनों से पारित हो जाने के बाद 31 अक्तूबर, 2019 से प्रभावी हो गया।
- वर्तमान में कुल केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 8 हो गई है किंतु राज्यों की संख्या यथावत 28 ही बनी रहेगी। उल्लेखनीय है कि यह अधिनियम 26 जनवरी, 2020 से प्रभावी हुआ।