राष्ट्रीय आय (National Income)

 

  • किसी भी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष के दौरान उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय (National Income) कहते हैं।

राष्ट्रीय आय का लेखांकन

  • राष्ट्रीय आय (National Income) से संबंधित समस्याओं का अध्ययन तथा इससे संबंधित सभी सूचनाओं एवं तथ्यों को सांख्यिकीय विवरणों या खातों के रूप में प्रदर्शित करने के तरीकों को राष्ट्रीय आय का लेखांकन कहते हैं।
  • साइमन कुजनेट्स को राष्ट्रीय आय लेखांकन का जन्मदाता माना जाता है जिसके लिये इन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • भारत में राष्ट्रीय आय (National Income) संबंधी आँकड़े वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के होते हैं।
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) राष्ट्रीय आय के आकलन तथा प्रकाशन के लिये उत्तरदायी है जो इस कार्य में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) की मदद प्राप्त करता है।

राष्ट्रीय आय की मापन विधियाँ उत्पाद विधि

  • इसमें एक वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था की उत्पादक इकाइयों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं मौद्रिक मूल्यों के योग की गणना की जाती है।
  • इसे मूल्य वर्द्धित पद्धति भी कहते हैं तथा इसका उपयोग कृषि, वानिकी, पशुपालन, खनन और उद्योग क्षेत्रों में किया जाता है।

आय विधि

  • इसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों द्वारा उत्पादन के परिणामस्वरूप प्राप्त आय के योग से राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।
  • इसमें उत्पादन के चार कारक होते हैं- श्रम, पूंजी, भूमि और उद्यमी ।

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व्यय विधि

बाज़ार मूल्य पर जीडीपी (GDPMP) को घरेलू सीमा के भीतर उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के ऊपर किये गए कुल व्यय के रूप में भी समझा जा सकता है। इस व्यय में शमिल हैं-

घरेलू/निजी अंतिम उपभोग व्यय (C), सरकारी अंतिम निवेश एवं उपभोग .व्यय (G), विनियोग व्यय (I), निवल विदेशी निवेश (निर्यात – आयात) (X – M)

अत: GDP MP = C + G + I + (X –M)

राष्ट्रीय आय (National Income) की लागत और मूल्य

  • राष्ट्रीय आय की गणना या तो साधन लागत पर या बाज़ार लागत पर की जाती है।

साधन लागत/घटक लागत (Factor Cost)

  • यह उत्पादन प्रक्रिया के दौरान उत्पादक द्वारा निवेश की गई लागत होती है।
  • इसे कारखाना लागत या उत्पादन लागत भी कहते हैं।
  • साधन लागत पूंजी की लागत, ऋणों पर ब्याज, कच्चा माल, श्रम, किराया, बिजली बिल आदि शामिल होते हैं।
  • साधन लागत में प्राप्त गई सब्सिडी भी शामिल रहती है।
साधन लागत =बाज़ार मूल्य-अप्रत्यक्ष कर + अनुदान (Subsidy)

बाज़ार मूल्य (Market Price)

  • बाजार मूल्य, साधन लागत और अप्रत्यक्ष कर के जोड़ में से अनुदान घटाने पर प्राप्त होता है।

राष्ट्रीय आय का मूल्य

  • राष्ट्रीय आय की गणना दो मूल्यों- चालू मूल्य तथा स्थिर मूल्य पर की जाती है। दोनों मूल्यों में अंतर सिर्फ मुद्रास्फीति का होता है।

चालू मूल्यों पर राष्ट्रीय आय

  • जब राष्ट्रीय आय का आकलन प्रचलित बाज़ार मूल्यों पर किया जाता है तो उसे चालू मूल्यों पर राष्ट्रीय आय या मौद्रिक आय कहते हैं।

स्थिर मूल्यों पर राष्ट्रीय आय

  • जब राष्ट्रीय आय का आकलन किसी आधार वर्ष के मूल्य पर किया. जाता है तो उसे स्थिर मूल्यों पर राष्ट्रीय आय कहते हैं।
  • स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय किसी देश आर्थिक विकास का सही सूचक होती है।
  • राष्ट्रीय आय के आकलन में- मध्यवर्ती वस्तुओं, पुरानी वस्तुओं,घरेलू सेवा या कार्य, वित्तीय परिसंपत्तियों (यथा- अंश पत्र, ऋण पत्र आदि) के विक्रय, हस्तांतरण भुगतान (वज़ीफा, पेंशन), गैर-कानूनी उत्पादन, विदेशों से प्राप्त उपहार के मूल्यों को शामिल नहीं किया जाता है।
प्रचलित बाज़ार मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय= स्थिर मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय + मुद्रास्फीति की वृद्धि दर

राष्ट्रीय आय की अवधारणाएँ

  • राष्ट्रीय आय की मूलतः दो अवधारणाएँ
  • घरेलू उत्पाद (Domestic Product)
  • राष्ट्रीय उत्पाद (National Product)
  • शेष सभी अवधारणाएँ इन्हीं पर आधारित हैं। इन अवधारणाओं को निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं

सकल घरेलू उत्पाद (GDP)

  • किसी देश की घरेलू सीमा के भीतर स्थित निवासी उत्पादक तथा गैर-निवासी उत्पादक इकाइयों द्वारा एक निश्चित समय सीमा में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्यों के योग को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं।

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)

  • किसी देश की घरेलू सीमा में तथा बाहर स्थित निवासी उत्पादक इकाइयों द्वारा एक निश्चित समय में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्यों के योग को सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) कहते हैं।
GNP = GDP + निवल विदेशी साधन आय स्थानांतरण

निवल विदेशी साधन आय विदेशों से अर्जित आय-विदेशों को भेजी गई आय

साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC)

  • किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन में उपभोग या प्रयुक्त उत्पादक कारकों के संपूर्ण मूल्य को साधन लागत कहा जाता है।
  • अतः साधन लागत पर GDP की गणना में सरकार को अदा किये गए कर शामिल नहीं होते किंतु सरकार से प्राप्त अनुदान शामिल रहता है।
GDP FC=GDPMP– अप्रत्यक्ष कर + अनुदान ( Subsidy)

 

बाज़ार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)

  • जब वर्तमान प्रचलित बाज़ार मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद की गणना की जाती है तब उसे GDP MP कहते हैं।

साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC

  • जब GNP की गणना उत्पादक कारकों के मौद्रिक मूल्यों के आधार पर की जाती है तब इसे GNPFC कहते हैं।
GNPFC=GNPMP-अप्रत्यक्ष कर + सब्सिडी (अनुदान)

बाज़ार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPM)

  • जब वर्तमान प्रचलित बाज़ार मूल्यों पर GNP की गणना की जाती है तब उसे GNPMP कहते हैं।

निवल धारणाएँ (Net Concepts)

  • जब सकल मूल्य में से ह्रास को घटा दिया जाता है तो निवल धारणा प्राप्त होती है।
  • यह सकल मूल्य कारक लागत या बाज़ार मूल्य पर व्यक्त हो सकता है।
ü  GDPMP-हास = NDPMP

ü  GNPMP -ह्रास = NNPMP

ü   GDPFC– ह्रास = NDPFC

ü  GNPFC -ह्रास= NNPFC

 

निवल (शुद्ध) घरेलू उत्पाद (NDP)

  • इसे अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में से वर्ष के दौरान होने वाली मूल्य कटौती या ह्रास को घटाकर प्राप्त किया जाता है।
  • अत: NDP = GDP – ह्रास (Depreciation)
  • निवल (शुद्ध) राष्ट्रीय उत्पाद (NNP): सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में से मूल्य कटौती घटाने पर जो आय प्राप्त होती है उसे NNP कहते हैं।
  • NNP = GDP + विदेशों से आय-मूल्य कटौती

NNP के उपयोग

प्रति व्यक्ति आय की गणना में

प्रति व्यक्ति आय = NNP / देश की जनसंख्या

राष्ट्रीय आय (NI) = (NNP)FC

यह राष्ट्रीय आय आकलन का सबसे अच्छा तरीका होता है।

मूल्य वर्द्धन की धारणा

  • मूल्य वर्द्धन किसी उत्पादित उत्पाद की इकाई के बाज़ार मूल्य में संबद्ध उत्पादक इकाई के अंशदान को प्रदर्शित करता है।
  • इस विधि का उपयोग किसी वस्तु या सेवा की दोहरी गणना से बचने के लिये किया जाता है।
  • इस अंशदान का मूल्य निकालने के लिये मूल्य वर्द्धन विधि का उपयोग करते हैं।
  • राष्ट्रीय उत्पाद की गणना करते समय प्रत्येक उत्पादक इकाई के मूल्य वर्द्धन को ज्ञात करते हैं। इन मूल्य वर्द्धनों का योग ही राष्ट्रीय उत्पाद होता है।
  • सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) = CE + OS/MI + CFC + (उत्पादन कर – आधार मूल्यों पर सब्सिडी)
  • जहाँ CE = कर्मचारियों को मुआवज़ा, OS = परिचालन अधिशेष,
  • MI=मिश्रित आय, CFC= निश्चित पूंजी उपभोग
  • GDP = आधार मूल्यों पर GVA + (उत्पादन कर-सब्सिडी)
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना GDP की जगह GVA में बाज़ार मूल्य पर की जाती है जिसका आधार वर्ष 2011-12 है।
  • सकल मूल्य वर्द्धन में उत्पाद करों को शमिल करने पर बाज़ार मूल्य प्राप्त होता है।

स्वतंत्रता पूर्व राष्ट्रीय आय आकलन के प्रयास

  • वर्ष 1867-68: दादा भाई नौरोजी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय की गणना का प्रयास किया।
  • ये आँकड़े इनकी पुस्तक- Poverty and Un-British Rule in India में दिये गए थे।
  • फिंडले शिराज, वी. के. आर.वी. राव आदि ने भी स्वतंत्रता पूर्व राष्ट्रीय आय के आकलन प्रस्तुत किये।

स्वतंत्रता उपरांत राष्ट्रीय आय की गणना

  • अगस्त 1949 में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया तथा पी.सी. महालनोबिस को इसका चेयरमैन बनाया गया।
  • समिति के दो अन्य सदस्य थे- प्रो. डी. आर गाडगिल तथा प्रो. वी.के. आर.वी. राव।
  • विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों की सांख्यिकीय गतिविधियों एवं संबंधित मानकों में समन्वय हेतु केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (1951) की स्थापना की गई।

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