भारत के उद्योग

भारत के उद्योग

लौह इस्पात उद्योग

  • लौह इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है।
  • 1907 में जमशेद जी टाटा द्वारा साकची, जमशेदपुर में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना की गई।
  • स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) की स्थापना 1973 में की गई।
  • दुर्गापुर, भिलाई, राउरकेला, बोकारो, बर्नपुर, सलेम, विश्वेश्वरैया जैसे आयरन स्टील प्लांटों के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की है। यह एक महारत्न कंपनी है।
  • कोयला क्षेत्रों में स्थित लौह इस्पात केंद्र- बर्नपुर-कुल्टी, दुर्गापुर,बोकारो।
  • लौह अयस्क क्षेत्रों में स्थित इस्पात केंद्र- राउरकेला, भद्रावती, सलेम, विजयनगर।
  • कोयला व लौह क्षेत्र के मध्य में स्थित केंद्र- जमशेदपुर है।
  • तटीय क्षेत्र में स्थित लौह इस्पात केंद्र- विशाखापत्तनम ।

नोट: विश्वेश्वरैया लोहा एवं इस्पात लिमिटेड (VISL) सार्वजनिक क्षेत्र का पहला कारखाना 1923 में स्थापित किया गया था।

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सूती वस्त्र उद्योग

  • यह भारत का परंपरागत उद्योग है। यह कृषि के बाद रोज़गार प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
  • भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के निम्न मुख्य कारण हैं
  • भारत में कपास का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है।
  • देश में इस उद्योग के लिये आवश्यक कुशल श्रमिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
  • भारत में आधुनिक ढंग से सूती वस्त्र उद्योग के प्रथम कारखाने की स्थापना सन् 1818 में फोर्टग्लास्टर (कोलकाता) में हुई, पर यह असफल रहा।
  • पहला सफल आधुनिक कारखाना 1854 ई. में मुंबई में कावसजी डाबर द्वारा खोला गया।
  • तमिलनाडु में देश की सर्वाधिक सूती कपड़ा मिलें हैं।
  • कोयंबटूर को दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है, जबकि अहमदाबाद को ‘भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
  • सूती वस्त्र उत्पादन में गुजरात, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना अग्रणी राज्य हैं।
  • कानपुर उत्तर प्रदेश में सूती वस्त्र उद्योग का बड़ा केंद्र है, जिसे उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।

कागज़ उद्योग

  • इस उद्योग में कच्चे माल के रूप में सेलुलोस की लुगदी, मुलायम लकड़ी, बाँस, घास, गन्ने की खोई तथा रद्दी कागज़ का प्रयोग होता है।
  • भारत में कागज़ निर्माण में सबसे अधिक बाँस का प्रयोग होता है।
  • 1832 में पहले आधुनिक पेपर मिल की स्थापना पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में हुई थी।
  • परंतु यहाँ लगाई गई मशीन सिर्फ मुलायम लकड़ी (Soft Wood) का उपयोग करती थी जो भारत में बहुत कम पाई जाती थी, अतः यह मिल बाहर से आयातित मुलायम लकड़ी से पेपर का उत्पादन करती थी।
  • बाद के कुछ वर्षों में तकनीकी विकास ने कठोर लकड़ी जैसे बाँस उपयोग को संभव बनाया।
  • चूंकि भारत में बाँस की प्रचुर उपलब्धता थी इसलिये आयात पर निर्भरता बहुत हद तक कम हो गई।
  • 1914 तक पेपर बनाने में बाँस का उपयोग प्रचलित हुआ और पेपर उद्योग के विकास में अत्यधिक तेज़ी आई।
  • मध्य प्रदेश में नेपानगर अखबारी कागज़ के उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है।
  • होशंगाबाद में नोटों (मुद्रा) के लिये कागज तैयार किया जाता है।
  • महाराष्ट्र के बल्लारपुर में देश की सबसे बड़ी कागज़ मिल है।

जूट उद्योग

  • भारत में ‘गोल्डन फाइबर’ यानी जूट उद्योग का प्रथम कारखाना 1855 ई. में हुगली नदी के किनारे रिशरा नामक स्थान पर लगाया गया था।
  • भारत विश्व में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • भारत में कुल जूट का सर्वाधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल द्वारा किया जाता है। (स्रोत: ऑफिस ऑफ द जूट कमिश्नर) इसके अलावा ,बिहार ओडिशा, असम, बिहार, मेघालय, त्रिपुरा तथा आंध्र प्रदेश में भी जूट का उत्पादन होता है।
  • जूट उत्पादन, आंतरिक व्यापार, आयात तथा निर्यात को बढ़ावा देने हेतु 1971 में जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई तथा जूट उद्योग के विकास हेतु 2009 में राष्ट्रीय जूट (पटसन) बोर्ड की स्थापना की गई।

सीमेंट उद्योग

  • सीमेंट उद्योग एक आधारभूत उद्योग है।
  • जोसेफ अस्पडीन (Joseph Aspdin) को पोर्टलैंड सीमेंट का आविष्कारक माना जाता है।
  • भारत में आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है।
  • राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक में भी सीमेंट का उत्पादन होता है।
  • चीन के बाद भारत सीमेंट का सबसे बड़ा उत्पादक है।

चीनी उद्योग

  • चीनी उद्योग एक कृषि आधारित उद्योग है जो भारत में गन्ने की खेती पर निर्भर है।
  • भारत की जलवायु गन्ने की कृषि हेतु अनुकूल है जिसकी वज़ह से भारत में मैदानी क्षेत्र तथा कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र राज्यों में इसकी बड़े पैमाने पर कृषि होती है।
  • गन्ने में उपस्थित सुक्रोज चीनी निर्माण का महत्त्वपूर्ण घटक है गन्ने में इसकी प्रचुरता ही
  • गन्ने की गुणवत्ता तथा चीनी उत्पादन को तथा सुनिश्चित करती है।
  • गन्ने का खेतों से चीनी मिलों तक परिवहन तथा गन्ने से रस निकालने में देरी की वजह से चीनी का उत्पादन नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।
  • हाल के दिनों में भारत में चीनी उद्योगों का दक्षिणी राज्यों महाराष्ट्र में तीव्र विकास हुआ है जिसका मुख्य कारण निम्नलिखित है।
  • अनुकूल जलवायु के कारण गन्ने के रस में सुक्रोज की अधिक मात्रा तथा
  • गन्ने की पेराई के लिये अपेक्षाकृत लंबी समयावधि। सहकारी समितियों की बेहतर कार्यप्रणाली।

चीनी के उत्पादन में ब्राज़ील विश्व में प्रथम स्थान रखता है। जबकि भारत दूसरे स्थान पर है।

देश में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है, किंतु चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है।

चीनी का उत्पादन मुख्यतः गन्ने से होता है किंतु वर्तमान में चुकंदर व शकरकंद से भी चीनी का उत्पादन हो रहा है।

 

एल्युमीनियम उद्योग

  • इस उद्योग के स्थानीयकरण में बॉक्साइट व विद्युत की उपलब्धता होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • अतः इस उद्योग की स्थापना वैसे स्थानों पर हुई है जहाँ सस्ती विद्युत ऊर्जा व कच्चा माल उपलब्ध हों।
  • भारत में एल्युमीनियम का पहला कारखाना 1937 ई. में जे.के. नगर (प. बंगाल) में लगाया गया।

रासायनिक उर्वरक उद्योग

  • रासायनिक उर्वरक में कच्चे माल के तौर पर नेफ्था, कोक, सल्फ्यूरिक अम्ल, अमोनियम सल्फेट, प्राकृतिक गैस, रॉक फॉस्फेट आदि का  उपयोग होता है।
  • भारत का पहला उर्वरक कारखाना 1906 ई. में रानीपेट (तमिलनाडु) में लगाया गया।
  • 1951 में सिंदरी (झारखंड) में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रथम उर्वरक कारखाना स्थापित किया गया।
  • उर्वरक उत्पादन में गुजरात, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश अग्रणी हैं।

जलयान निर्माण उद्योग

  • देश में जलयान निर्माण का प्रथम कारखाना 1941 ई. में विशाखापत्तनम में स्थापित किया गया था।
  • भारत सरकार द्वारा 1952 ई. में अधिग्रहण करके इसका नाम हिंदुस्तान शिपयार्ड किया गया।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य इकाइयाँ जो जलयानों का निर्माण करती हैं- 1. गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) 2. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड, गोवा 3. मंझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई (महाराष्ट्र) ।

वायुयान निर्माण उद्योग में

  • भारत वायुयान-निर्माण का प्रथम कारखाना 1940 ई. में बंगलूरू में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड कंपनी के नाम से स्थापित किया गया था।
  • अब इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता है।
  • आज बंगलूरू के साथ-साथ कोरापुट, कोरबा, नासिक, बैरकपुर, लखनऊ, हैदराबाद तथा कानपुर में इसकी इकाइयाँ वायुयानों के निर्माण कार्य में संलग्न हैं।

मोटरगाड़ी उद्योग

  • भारत मोटरगाड़ी उद्योग की शुरुआत 1928 में मुंबई में जनरल
  • मोटर्स कंपनी की स्थापना से मानी जाती है।
  • इस उद्योग से संबंधित प्रमुख इकाइयाँ हैं- हिंदुस्तान मोटर (कोलकाता), प्रीमीयर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड (मुंबई), अशोक
  • लेलैंड (चेन्नई), टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड(मुंबई), महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड (मुंबई), मारुति उद्योग लिमिटेड (नई दिल्ली) ।

काँच उद्योग

  • इसके कारखाने मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश (फिरोज़ाबाद, शिकोहाबाद, नैनी), पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात एवं तमिलनाडु में हैं।
  • भारत में काँच का निर्माण कुटीर एवं कारखाना दोनों उद्योगों के रूप में किया जाता है।

दवा निर्माण उद्योग

  • दवा निर्माण के प्रमुख केंद्र: मुंबई, दिल्ली, कानुपर, हरिद्वार अहमदाबाद, पुणे, बंगलूरू, विशाखापत्तनम, हैदराबाद आदि जगहों पर स्थापित हैं।

अभियांत्रिकी उद्योग

  • प्रमुख स्थानः हटिया, दुर्गापुर, विशाखापत्तनम, नैनी, बंगलूरू, अजमेर, जादवपुर आदि ।
  • भारी इंजीनियरिंग निगम लिमिटेड (HEC.) राँची की स्थापना 1958 ई. में की गई थी।
  • बिजली के सामान: भोपाल, हरिद्वार, रामचंद्रपुरम (हैदराबाद), तिरुचिरापल्ली एवं कोलकाता।
  • टेलीफोन उद्योगः बंगलूरू एवं रूपनारायणपुर।

ऊनी वस्त्र

  •  भारत में ऊनी वस्त्र की पहली मिल 1876 ई. में कानपुर में स्थापित की गई, परंतु इस उद्योग का वास्तविक विकास 1950 ई. के बाद ही हुआ है।
  • पंजाब में लुधियाना, जालंधर, धारीवाल, अमृतसर महत्त्वपूर्ण केंद्र हैं।
  • ऊनी वस्त्र उत्पादन राजस्थान, कर्नाटक एवं जम्मू-कश्मीर अग्रणी राज्य हैं।

भारत में उद्योग के विकास तथा उसके निर्यात को बढ़ावा देने के लिये भारतीय निर्यात परिषद् की स्थापना की गई है।

 

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