तटीय मैदान

तटवर्ती मैदान का निर्माण सागरीय तरंगों द्वारा अपरदन, निक्षेपण और पठारी नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के निक्षेपण से हुआ है। तटीय मैदान को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है

पूर्वी तटीय मैदान

  • पूर्वी तटीय मैदान, पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षा अधिक चौड़ा है। पूर्वी तटीय मैदान उभरे हुए तट का उदाहरण है। उभरा तट होने के कारण यहाँ महाद्वीपीय शेल्फ की चौड़ाई अधिक है, जिसके कारण यहाँ पत्तनों तथा पोताश्रयों का विकास कठिन है।
  • अधिक चौड़ाई तथा उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी के कारण पूर्वी तटीय मैदान कृषि की दृष्टि से अधिक विकसित है। कृष्णा, गोदावरी एवं कावेरी डेल्टा क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों को ‘दक्षिण भारत का अन्न भंडार कहा जाता है।
  • गंगा का सुंदरवन डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है।
  • पंबन द्वीप मन्नार की खाड़ी में स्थित है। यहीं धनुष्कोडी है, जहाँ से राम सेतु के होने की बात की जाती है।
  • पूर्वी तटीय मैदान के चौड़े होने का मुख्य कारण नदियों द्वारा डेल्टा का निर्माण है।
  • पूर्वी तट पर स्थित लैगून झीलों में चिल्का तथा पुलीकट प्रमुख हैं।
  • पूर्वी तट पर ओडिशा व आंध्र प्रदेश के तटवर्ती मैदानों को उत्कल तट, कलिंग तट या उत्तरी सरकार कहा जाता है। आंध्र प्रदेश से
  • तमिलनाडु के तटीय मैदानों को ‘कोरोमंडल तट’ कहते हैं। लौटते मानसून से इसी तट पर वर्षा होती है।
  • पूर्वी तट में स्थित चेन्नई का मरीना पुलिन भारत का सबसे लंबा पुलिन (Beach) है।

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पश्चिमी तटीय मैदान

  • जलमग्न होने के कारण पश्चिमी तट प्राकृतिक पोताश्रय के लिये अपेक्षाकृत अधिक अनुकूल है। मालाबार तट पर अनेक लैगून पाए। जाते हैं जिन्हें कयाल के नाम से जाना जाता है। इनमें वेम्बनाद तथा अष्टमुदी प्रमुख हैं।
  • पश्चिमी तट पर गुजरात से गोवा तक तटीय मैदान ‘कोंकण तट,गोवा से कर्नाटक में मंगलौर तक ‘कन्नड़ तट’ जबकि मंगलौर से कन्याकुमारी का तटवर्ती मैदान ‘मालाबार तट’ कहलाता है।

भारतीय राज्यों में गुजरात की तटरेखा सर्वाधिक लंबी है। इसके बाद में आंध्र प्रदेश का स्थान आता है।

भारत के 9 राज्य तटरेखा से लगे हैं- गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा,कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं प. बंगाल।

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