भारत के पास कितने परमाणु पनडुब्बियों है?
- भारतीय नौसेना में अब कुल 16 पनडुब्बियाँ हैं |
- भारत के पास केवल एक ही परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है |
- 15 पारंपरिक डीजल– इलेक्ट्रिक पनडुब्बियाँ है |
- 7 किलो क्लास की पनडुब्बियाँ हैं |
- 4 शिशुमार श्रेणी की पनडुब्बियाँ है |
- जो कि जर्मनी और भारत ने एक साथ मिलकर बनाया है |
- उनके नाम हैं– आई एन एस शिशुमार ,आई एन एस अंकुश ,आई एन एस शाल्की, आई एन एस संकुल हैं |
- 4 स्कॉर्पियन या कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों हैं |
- इन्हें फ्रांस के साथ मिलकर बनाया गया है |
- इनके नाम है– आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आई एन एस बेला है |
- 2023 में दो और स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियों भारतीय नौसेना को मिल जाएंगी |
- नौसेना के पास एक अरिहंत श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी जो कि परमाणु संचालित मिसाइल पनडुब्बी है |
- आई एन एस अरिघाट अभी अपने उत्पादन चरण में हैं |
भारतीय नौसेना में पनडुब्बियों की जरूरत –
- भारत के पास एक लंबी तट रेखा 7516 किलोमीटर के लगभग है |
- भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी दक्षिण में हिंद महासागर और पश्चिम में अरब सागर है |
- लंबी तट रेखा न केवल संसाधन के मामले में भारत को समृद्ध बनाती है |
- बल्कि सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी चुनौती भी उत्पन्न करती हैं |
- इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय नौसेना को दी गई है |
- नौसेना पनडुब्बी पर निर्भर करती है |
- क्योंकि पनडुब्बियाँ पानी के अंदर लंबे समय तक रह सकती हैं |
- इसलिए इनका पता लगाना मुश्किल होता है |
- इसकी सहायता से हम समुद्र में चल रही साभी गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।
- चीन के बदलते हुए तेवर को देखते हुए भारतीय नौसेना को और ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है |
- यदि भारत में पनडुब्बियों की तुलना चीन से की जाए तो भारत चीन से पनडुब्बियों के मामले में काफी पीछे है।
पनडुब्बी –भारतीय नौसेना के लिए एक चुनौती:
- अधिकांश पनडुब्बी या काफी पुरानी है |
- किलो क्लास की पनडुब्बी 35 वर्ष पूर्व भारतीय नौसेना में शामिल की गई |
- जो कि जल्द ही सेवा मुक्त हो जाएंगे |
- इनकी आयु सीमा 30 वर्ष होती है |
- लेकिन इनकी मरम्मत के बाद इनकी आयु सीमा 10 वर्ष और बढ़ाई जा सकती है |
- इसलिए यह अपने आयु सीमा से अधिक कार्य कर रही हैं पर कुछ सालों में यह भी सेवा मुक्त हो जाएंगे |
- इस कारण भारत में पनडुब्बियों की भारी कमी हो जाएगी |
- भारत में अधिग्रहण प्रक्रिया काफी धीमी है |
- भारत सरकार भारतीय नौसेना पर कम पैसे खर्च करती है सबसे ज्यादा थल सेना पर करती है उसके बाद वायु सेना को और बाद में बारी आती है नौसेना की ।
भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयास–
- 1999 में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के लिए मंजूरी दी थी |
- इस योजना का नाम 30 वर्षीय योजना था |
- इस योजना के तहत विदेशी निर्माताओं के साथ मिल कर दो प्रोजेक्ट्स की परिकल्पना p75 और p75i की गई है |
- जिसके तहत 6–6 पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना था
- P–75 इस प्रोजेक्ट के तहत चार कलवरी क्लास की स्कॉर्पियन पनडुब्बियों की डिलीवरी हो चुकी है और दो पर अभी काम चल रहा है |
- यह 2023 तक भारतीय नौसेना को मिल जाएंगे।
- P–75i यह प्रोजेक्ट अभी पूरी तरह शुरू भी नहीं हुआ है।
चर्चा में क्यों है?
- आई एन एस सिंधु ध्वज यह 35 वर्ष भारतीय नौसेना में शामिल रहा यह एक किलो क्लास पनडुब्बी है |
- आईएनएस सिंधुध्वज ने 35 साल की शानदार अवधि तक अपनी सेवाएं देने के बाद शनिवार, 16 जुलाई 2022 को भारतीय नौसेना को अलविदा कह दिया।
- 1987 में सोवियत संघ से एक अधिग्रहण समझौते के तहत भारतीय नौसेना द्वारा 10 किलो क्लास डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों खरीदी गई थी |
- आईएनएस सिंधुध्वज इनमें से एक है |
- किलो क्लास रूस द्वारा डिजाइन की गई पनडुब्बी है |
- जिसकी आयु सीमा 30 वर्ष है |
- लेकिन मरम्मत के बाद इसकी आयु सीमा 10 वर्ष और बढ़ाई जा सकती है |
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