अन्य ग्रहों की भाँति पृथ्वी की भी दो गतियाँ हैं (पृथ्वी की गतियाँ)- घूर्णन (Rotation) एवं परिक्रमण (Revolution) ।
पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है, जबकि परिक्रमण से तात्पर्य पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाने से है।
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा लगभग 365 दिन, 6 घंटों में पूर्ण करती है, जिसे पृथ्वी की वार्षिक गति भी कहते हैं।
1 वर्ष में 365 दिनों की अवधि पृथ्वी के परिक्रमण काल के आधार पर ही होती है।
शेष 6 घंटे की अवधि 4 वर्षों में 24 घंटे के रूप में 1 दिन को पूर्ण करती है।
इस प्रकार हर चौथे वर्ष में 366 दिन होते हैं, जिसे अधिवर्ष (लीप ईयर) कहते हैं। यह दिन फरवरी माह में जोड़ा जाता है।
पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है जो उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी । ध्रुव के बीच खींची गई है। पृथ्वी का अक्ष लंब तल पर 23½° तथा कक्षीय तल पर 66½° कोण बनाता है।
पृथ्वी का अक्ष अपने परिक्रमण मार्ग पर सदैव एक ही ओर झुका रहता है।
इस कारण उत्तरी गोलार्द्ध 6 महीने सूर्य के सम्मुख रहता है।
इस स्थिति में उत्तरी ध्रुव पर हमेशा दिन रहता है और दक्षिणी ध्रुव पर रात रहती है।
जब दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका रहता है तब स्थितियाँ इसके विपरीत होती हैं।
पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है तथा यह अपने अक्ष पर 23½° झुकी हुई है।
पृथ्वी लगभग 365 दिन, 6 घंटे में सूर्य का एक चक्कर लगाती है, जिसे पृथ्वी का परिक्रमण काल कहते हैं।
पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में 23 घंटे, 56 मिनट का समय लेती है जिसे पृथ्वी का घूर्णन काल कहते हैं।
पृथ्वी की दैनिक गति (घूर्णन) के कारण दिन-रात होते हैं।
पृथ्वी की वार्षिक गति या परिक्रमण तथा अपने अक्ष पर झुकाव के कारण दिन-रात बड़े-छोटे होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन की घटना होती है।
ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन तथा अपने अक्ष पर झुके होने के कारण होता है।
पृथ्वी के परिक्रमण में चार अवस्थाएँ होती हैं
ग्रीष्म अयनांत (Summer Solstice)
सूर्य की किरणें 21 जून को कर्क रेखा पर लंबवत् पड़ती हैं।
21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है।
इस अवस्था को उत्तरी अयनांत कहते हैं।
शीत अयनांत (Winter Solstice)
सूर्य की किरणें 22 दिसंबर को मकर रेखा पर लंबवत् पड़ती हैं।
इस स्थिति में दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है, जिसमें दिन की अवधि लंबी तथा रातें छोटी होती हैं।
पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जाता है।
समुद्र तल को आधार मान कर समान ऊँचाई के स्थानों को जोड़ने वाली काल्पनिक रेखाएँ कंटूर रेखा (Contour Line) कहलाती हैं।
हैच्चूर रेखा (Hachured Line) नक्शे पर ढाल को दिखाने के लिये खींची गई असंबद्ध रेखा है।
मैग्नेटिक मेरीडियन पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी चुंबकीय क्षेत्र से गुज़रने वाली एक काल्पनिक रेखा है।
वैज्ञानिक आधार पर मानचित्रों को बनाना कार्टोग्राफी कहलाता है।
मानचित्र पर क्षेत्रफल को मापने के लिये प्रयुक्त यंत्र को प्लैनीमीटर कहते हैं।
ऐसा नक्शा जो किसी विशेष विषय (Theme) को प्रदर्शित करता है। उसे विषयगत मानचित्र (Thematic Map) कहते है।
विषुव Equinox
21 मार्च तथा 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत् रेखा पर लंबवत् पड़ती हैं, इसलिये इन दोनों तिथियों को संपूर्ण पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं। जब सूर्य की किरणें 21 मार्च को विषुवत् रेखा पर चमकती हैं तो ऐसी स्थिति में उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है। जब सूर्य की किरणें 23 सितंबर को विषुवत् रेखा पर सीधी चमकती हैं तब उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है।