केप्लर के नियम
- केप्लर ने सूर्य के चारों ओर गति करने वाले ग्रहों के लिये तीन नियम दिये
प्रथम नियम : कक्षाओं का नियम (Law of Orbit)
- सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर एक दीर्घ वृत्ताकार कक्षा (Elliptical orbit) में परिक्रमण करते हैं तथा कक्षाओं के एक फोकस पर सूर्य स्थित होता है।
द्वितीय नियम : क्षेत्रफलीय चाल(Law of Areal Speed)
- प्रथम नियम से ज्ञात है कि कक्षाओं के एक फोकस पर सूर्य स्थित होता है।
- किसी भी ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा समान समय में समान क्षेत्रफल तय करती है अर्थात् ग्रह की क्षेत्रफलीय चाल (Areal Speed) नियत रहती है।
- अतः क्षेत्रफल SDC = क्षेत्रफल SAB
- केप्लर का द्वितीय नियम ‘कोणीय संवेग संरक्षण का नियम’ (Law of Conservation of Angular Momentum) पर आधारित है।
तृतीय नियम : परिक्रमण कालों का नियम (Law of Periods)
- किसी भी ग्रह का सूर्य के चारों ओर परिक्रमण काल (सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में लगा समय) का वर्ग, ग्रह की दीर्घवृत्ताकार कक्षा के अर्द्ध दीर्घ अक्ष (Semi Major Axis) के तृतीय घात के समानुपाती होता है।
T² ∞ r3
- जो ग्रह सूर्य से जितनी अधिक दूरी पर होगा, उसका परिक्रमण काल उतना ही अधिक होगा।
- अतः जो सूर्य के जितना समीप होगा, उसका परिक्रमण काल उतना ही कम होगा।