ईंधन (Fuel)

ईंधन (Fuel)

  • ईंधन (Fuel) वह पदार्थ है, जो जलने पर अर्थात् ऑक्सीजन अथवा वायु के संपर्क में आने पर ऊष्मा उत्पन्न करता है।
  • संक्षिप्त में कोई ऐसा पदार्थ जो ईंधन के रूप में प्रयुक्त होता है, जिसमें निहित रासायनिक ऊर्जा ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित जाती है।

ईंधन का ऊष्मीय मान (Calorific Value of Fuels)

  • वह न्यूनतम ताप जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है, उस पदार्थ का ‘ज्वलन-ताप’ कहलाता है।
  • जिन पदार्थों का ज्वलन ताप अत्यधिक निम्न होता है, उसे ‘ज्वलनशील पदार्थ’ कहते हैं, जैसे- पेट्रोल, एल्कोहल इत्यादि।
  • किसी ईंधन के 1 किलोग्राम के पूर्ण दहन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा को उस ईंधन का ऊष्मीय मान कहते हैं। इ
  • सका मात्रक किलोजूल प्रति किलोग्राम (kj/Kg) है।
  • किसी ईंधन का ऊष्मीय मान जितना अधिक होगा, वह उतना ही अच्छा ईंधन (Fuel) माना जाता है।

अपस्फोटन (Knocking) व ऑक्टेन संख्या (Octane Number)

  • वाहनों को चलाने के लिये दहन इंजनों का उपयोग किया जाता है।
  • ईंधन व हवा के मिश्रण को दहन इंजनों में जलाने पर ऊर्जा की प्राप्ति होती है, परंतु कुछ ईंधन सिलेंडर में ताप व दबाव के कारण समय से पूर्व ही जल उठते हैं, जिससे कि ऊर्जा का सही रूप से उपयोग नहीं हो पाता और यह ऊर्जा धात्विक ध्वनि उत्पन्न कर नष्ट हो जाती है। यही धात्विक ध्वनि ‘अपस्फोटन’ कहलाती है।
  •   अतः ईंधन का उचित समय पर दहन हो, इसके लिये ईंधन में अपस्फोटनरोधी यौगिक मिला देते हैं।
  • ट्रेट्रा एथिल लेड (TEL) एक अच्छा अपस्फोटरोधी यौगिक है, परंतु लेड की उपस्थिति के कारण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिये हानिकारक है।
  •   किसी ईंधन का ताप व दाब की स्थिति में स्वतः प्रज्वलित होने का विरोध करने की क्षमता को ऑक्टेन संख्या द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
  • ऑक्टेन संख्या से पेट्रोल के प्रत्यापस्फोटन (Anti-Knocking) गुण का पता लगता है, जबकि सीटेन संख्या से डीजल ईंधन की गुणवत्ता का पता चलता है।
  • ऑक्टेन व सीटेन संख्या जितनी अधिक होगी, उतना ही अच्छा ईंधन माना जाएगा।

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पेट्रोलियम उत्पाद

  • कच्चे तेल (Crude Oil) से विभिन्न प्रकार के उत्पाद पेट्रोलियम परिष्करणी में विभिन्न तापक्रमों पर प्राप्त होते हैं।
  • हल्के हाइड्रोकार्बन जिनका क्वथनांक निम्न है, गैस के रूप में प्राप्त होते हैं, जबकि भारी हाइड्रोकार्बन पैराफीन मोम, कोलतार इत्यादि अर्द्ध तरल के रूप में प्राप्त होता है।
  • चित्र में विभिन्न तापक्रमों पर प्राप्त उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है।

कोयला (Coal)

  • कोयले का निर्माण बहुत समय पहले चट्टानों के नीचे दबी वनस्पतियों से होता है।
  • कोयले में मुख्य रूप से कार्बन एवं कार्बन के यौगिक उपस्थित होते हैं।
  • कार्बन के यौगिकों में कार्बन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त ऑक्सीजन, सल्फर तथा नाइट्रोजन भी उपस्थित होती है।
  • कोयले की गुणवत्ता उसमें उपस्थित कार्बन की मात्रा से निर्धारित होती है। अधिक कार्बन की मात्रा कोयले को अधिक उपयोगी बनाती है।
  • जैसा कि चित्र से स्पष्ट है-पीट कोयले ऊपरी स्तरों से प्राप्त होते हैं, जिसमें कार्बन की मात्रा कम एवं नमी की मात्रा सर्वाधिक होती है।
  • एंथ्रासाइट कोयले सर्वाधिक गहराई से प्राप्त होने वाले और उच्च कार्बन प्रतिशत वाला कोयला है।
  • यह सबसे उत्तम गुणवत्ता का कोयला माना जाता है। इसमें कार्बन का प्रतिशत 90 प्रतिशत से भी
  • अधिक होता है।
  • जैसे-जैसे गहराई कम होती जाती है, कोयले में कार्बन का प्रतिशत कम और गुणवत्ता खराब होती जाती है।
  • पीट कोयले में सामान्यतः 50 प्रतिशत से भी कम कार्बन पाया जाता है।

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