भारत की पहली स्वदेशी HFC बस
हाइड्रोज़न फ़्यूल सेल खबरों में क्यों?
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, जितेंद्र सिंह ने रविवार को पहली मेड इन इंडिया HCF बस की शुरुआत की, जिसे पुणे में KPIT-CSIR द्वारा विकसित किया गया है।
हाइड्रोज़न फ़्यूल सेल (HFC) क्या होता है?
HCF एक विद्युत रासायनिक उपकरण है जो हाइड्रोजन को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों में पाई जाने वाली पारंपरिक बैटरियों की तरह ही काम करते हैं, लेकिन वे डिस्चार्ज नहीं होते हैं और उन्हें बिजली से रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है। जब तक हाइड्रोजन की उपलब्धता रहती है, तब तक वे बिजली का उत्पादन जारी रखते हैं। सबसे सफल ईंधन सेल में से एक पानी बनाने के लिये ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन की प्रतिक्रिया का उपयोग करता है।
HFC से चलने वाले वाहनों के क्या लाभ है?
HFC इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEV) का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि, ये कोई कार्बन या गंदा धुआं नहीं छोड़ते हैं। वे केवल भाप और गर्म हवा का उत्सर्जन करते हैं। इतना ही नहीं आज के समय के पेट्रोल-डीजल कारों के इंजन की तुलना में ज्यादा बेहतर परफॉर्म करते हैं। आमतौर पर इनका मेंटेनेंस भी काफी किफायती और सुलभ है। इस तरह के वाहन का एक और बड़ा फायदा ये है कि, जहां बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक बस को चार्ज करने में घंटों लग सकते हैं वहीं HCF वाहनों को मिनटों में रिफिल किया जा सकता है।
नयी तकनीक की विशेषताएँ:
HFC बस को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) तथा KPIT, भारतीय बहुराष्ट्रीय निगम द्वारा विकसित किया गया है। सही मायने में भारत की इस पहली स्वदेशी रूप से विकसित HFC बस का शुभारंभ राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के अनुरूप है। ईंधन सेल बस के लिये बिजली उत्पन्न करने हेतु हाइड्रोजन और वायु का उपयोग करता है तथा बस से निकलने वाला एकमात्र अपशिष्ट पानी है। इस प्रकार यह संभवतः परिवहन का सबसे पर्यावरण के अनुकूल साधन है। ईंधन सेल वाहनों की उच्च दक्षता डीज़ल चालित वाहनों की तुलना में प्रति किलोमीटर कम परिचालन लागत सुनिश्चित करती है और भारत में माल ढुलाई क्रांति ला सकती है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन
केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (NHM) की घोषणा की गई थी, जो हाइड्रोजन को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिये एक रोडमैप तैयार करता है। इसके तहत स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों (हाइड्रोजन) का उपयोग किया जाएगा। इस पहल में परिवहन क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता है।
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लक्ष्य
हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन उत्पादन पर ज़ोर। भारत की बढ़ती अक्षय ऊर्जा क्षमता को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना। हाइड्रोजन का उपयोग न केवल भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा, बल्कि यह जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा।
नवीनीकरण का महत्त्व
यह प्रधानमंत्री के हाइड्रोजन विज़न का एक हिस्सा है जो सुलभ और स्वच्छ ऊर्जा के आत्मनिर्भर साधनों को सुनिश्चित कर जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करेगा तथा नए उद्यमियों एवं रोज़गार का सृजन करेगा। ग्रीन हाइड्रोजन एक उत्कृष्ट स्वच्छ ऊर्जा का वाहक है जो वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जित होने वाले भारी प्रदूषकों के डीकार्बोनाइज़ेशन को सक्षम बनाता है।
लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीज़ल बस आमतौर पर वार्षिक स्तर पर 100 टन CO2 का उत्सर्जन करती है और भारत में ऐसी दस लाख से अधिक बसें हैं। लगभग 12-14% CO2 का उत्सर्जन डीज़ल चालित भारी वाणिज्यिक वाहनों से होता है, जो विकेंद्रीकृत स्वरुप में होने वाले उत्सर्जन हैं और इसलिये इन्हें कैप्चर करना एक कठिन कार्य है। फ्यूल सेल वाहन शून्य ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं। इसके अलावा प्रति किलोमीटर में उनकी परिचालन लागत डीज़ल से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम है।
इस तरह नवीनीकरण के माध्यम से भारत जीवाश्म ऊर्जा के शुद्ध आयातक से स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बनने का प्रयास कर सकता है। यह एक बड़े ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक और ग्रीन हाइड्रोजन के लिये उपकरणों का आपूर्तिकर्त्ता बनकर भारत को हाइड्रोजन एनर्जी के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
भारत सरकार द्वारा स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास
हाइड्रोजन सेल तकनीकी (FCEV), जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018, विद्युत चालित वाहनों का विकास, ग्रीन हाइड्रोजन आधारित फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल, वर्ष 2070 तक भारत के शुद्ध शून्य उत्सर्जन (Net Zero Emissions), भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण