CAATSA क्या है? आखिर क्या जरुरत पड़ी इसे लाने की ?

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  CAATSA – (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act)

CAATSA क्या है?

  • काऊंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरज थ्रू सेंक्शंस एक्ट  [CAATSA] को 2017 में अमेरिका द्वारा पारित किया गया था।
  • इस अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य आर्थिक प्रतिबंधों का उपयोग करते हुए उन देशों को दंडित करना है ।
  • जो मुख्य तौर पर रूस, उत्तर कोरिया और ईरान से संबंध रखते हैं या उनके साथ ट्रेड करते हैं।

क्यों लाया गया CAATSA ?

  • 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया का अधिग्रहण किया गया।
  • 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस पर कथित हस्तक्षेप करने का आरोप लगा।
  • सीरियाई युद्ध में रूस का हस्तक्षेप करना।
  • इसी घटनाक्रम को देखते हुए अमेरिका ने 2017 में रूस और कुछ अन्य देशों को सबक सिखाने के लिए यह कानून लाया ।

CAATSA के अन्य तथ्य

  • यह पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में पारित हुआ था।
  • लेकिन ट्रंप स्वयं इस अधिनियम के विरोधी थे।
  • ट्रंप का कहना था कि यह अधिनियम गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण है।
  • ट्रंप के अलावा कई यूरोपीय देशो ( फ्रांस और जर्मनी) द्वारा भी इसका विरोध किया गया।
  • फ्रांस और जर्मनी का कहना था कि यह उनकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा और यह पूर्ण रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन भी नहीं करता।
  • रूस– यूक्रेन युद्ध के पहले फ्रांस और जर्मनी तेल और गैस आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर थे।
  • धारा 231 के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को रूस साथ महत्वपूर्ण लेनदेन में संलग्न व्यक्तियों या देशों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है ।
  • सामान्य लेनदेन पर कोई प्रतिबंध नहीं है ।
  • धारा 235 में 12 प्रतिबंधों का जिक्र किया गया है ।
  • यदि किसी व्यक्ति या देश पर CAATSA कानून लगाया जाता है तो अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए कम- से- कम पांच प्रतिबंध लगाना अनिवार्य है।

भारत को क्या खतरा था?

  • रूस– भारत का सबसे महत्वपूर्ण सैन्य भागीदार है ।
  • 2020 के रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सशस्त्र बलों में रूसी मूल के 60 से 70% हथियार हैं ।
  • अक्टूबर 2018 में भारत ने S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की 5 इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ 5 बिलियन डॉलर का समझौता किया था।
  • यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
  • यह रूस द्वारा डिजाइन की गई है ।
  • यह दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल में से एक है।
  • यह एक ही समय में एक से अधिक टारगेट को अप्रोच कर सकती है।
  • इसी समझौते के चलते भारत पर प्रतिबंधों का डर था।
  • भारत द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है ।
  • भारत किसी देश के दबाव में आकर अपने निर्णय नहीं लेता है।
  • यदि भारत पर प्रतिबंध लगाया जाता तो देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता ।
  • ‘हाउस ऑफ रिप्रेंसेटिव ’ द्वारा पारित बिल भारत के लिए एक बड़ी जीत है।

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इस छूट की क्या मायने हैं?

  • इस छूट के बिल को भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद ‘रो खन्ना’ द्वारा पेश किया गया।
  • उन्होंने इस बिल को पेश करते हुए कहा –चीन की बढ़ती आक्रामकता का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत के साथ खड़ा होना चाहिए ।
  • अमेरिका इंडो–पैसिफिक क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को एक सहयोगी के रूप में देख रहा है।
  • इंडो – पैसिफिक क्षेत्र में भारत और अमेरिका की एक प्रमुख भागीदारी मौजूद है ।
  • दोनों देशों का समान विजन है ‘स्वतंत्र एवं मुक्त इंडो–पैसिफिक’ ।
  • इससे दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे।
  • यह बिल भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता की नीति की भी पुष्टि करता है ।
  • अब अमेरिका ने भी यह स्वीकार किया है कि भारत स्वतंत्र रूप से नीति निर्णायक का पक्षधर है ।
  • भारत पर प्रतिबंध लगाना अमेरिका के हित में नहीं है।
  • 1998 के पोखरण परीक्षण के बाद अमेरिका द्वारा भारत पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए थे।
  • इन प्रतिबंधों के चलते भारत और रूस के संबंधों को और भी ज्यादा मजबूती मिली थी|
  • नए प्रतिबंध भारत और अमेरिका के संबंध को प्रभावित करेंगे ।
  • इंडो–पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती हुई आक्रामकता को देखते हुए भारत को इस तरह के छूट की सख्त जरूरत थी ।
  • भारत को सैन्य स्तर पर चीन का मुकाबला करने के लिए आधुनिक हथियारों की जरूरत है ।
  • अमेरिका की तुलना में चीन की सैन्य शक्ति तेजी से बढ़ रही है ।
  • आने वाले समय में चीन सैन्य शक्ति के मामले में अमेरिका से भी आगे होगा।
  • चीन का मुकाबला करने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

क्या चुनौतियां हैं?

  • संशोधन में ‘आग्रह’ शब्द का प्रयोग किया गया है यह शब्द संशोधन में छूट मिलने की गारंटी नहीं देता है ।
  • इसे अमेरिकी कांग्रेस से बिल पारित करवाना जरूरी है ।
  • अमेरिका के राष्ट्रपति की भी मंजूरी की आवश्यकता है।
  • CAATSA मैं केवल राष्ट्रपति को छोड़ देने का अधिकार है ।
  • यह छूट केवल S-400 मिसाइल प्रणाली को लेकर है।
  •  लेकिन भारत रूस के साथ AK-203 असाल्ट राइफल, परमाणु संचालित पनडुब्बी और ग्रेगोरोविच क्लास फ्रेगेट्स जैसी प्रणालियों पर भी समझौता किया है।
  • इसलिए यदि अमेरिका द्वारा CAATSA कानून में पूर्णतः छूट नहीं दी जाती तो भारत के लिए अभी भी एक बड़ी चुनौती है।

निष्कर्ष

  • नए बिल में न केवल छूट देने का जिक्र है ।
  • बल्कि अमेरिका को सैन्य स्तर पर भारत की मदद करना चाहिए ।
  • जिससे भारत –रूस में निर्मित हथियारों पर अपनी निर्भरता कम कर सके ।
  • इंडो– पैसिफिक क्वॉड (QUAD) और पश्चिमी एशिया (I2U2) के माध्यम से दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करना चाहिए ।
  • रूस – यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और चीन के संबंधों में बढ़ोतरी हो रही है ।
  • इसलिए भारत को भी एक सहयोगी की आवश्यकता है।

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