उच्च न्यायालय {भाग 6 (अनुच्छेद 214-231)}
अनुच्छेद 214- संविधान के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक हाई कोर्ट होगा |
अनुच्छेद 231- लेकिन संसद विधि द्वारा दो या दो से अधिक राज्यों और किसी संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक ही हाई कोर्ट स्थापित कर सकती है।
वर्तमान में भारत में 25 हाई कोर्ट हैं, जिनमें से तीन हाई कोर्ट का अधिकार क्षेत्र एक राज्य से अधिक है ।
केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली और जम्मू कश्मीर में हाई कोर्ट है। प्रत्येक हाई कोर्ट का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों से मिलाकर किया जाता है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है ,भिन्न-भिन्न हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या अलग-अलग होती है।
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उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए योग्यताएँ
- भारत का नागरिक हो ।
- कम-से-कम दस वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो अथवा, किसी उच्च न्यायालय में या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो ।
- हाई कोर्ट के न्यायाधीश को उस राज्य, जिसमें हाई कोर्ट स्थित है, का राज्यपाल उसके पद की शपथ दिलाता है ।
- हाई कोर्ट के न्यायाधीशों का अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम उम्र सीमा 62 वर्ष (65 वर्ष प्रस्तावित) है।
- हाई कोर्ट के न्यायाधीश अपने पद से, राष्ट्रपति को संबोधित कर, कभी भी त्याग-पत्र दे सकता है।
उच्च न्यायालय : अधिकारिता तथा स्थान
क्र. | नाम | स्थापना वर्ष | राज्य
क्षेत्रीय अधिकारिता |
मूल स्थान | खंडपीठ |
1. | कलकत्ता | 1862 ई. | पश्चिम बंगाल,
अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह |
कोलकाता | पोर्ट ब्लेयर
|
2. | बम्बई | 1862 ई. | महाराष्ट्र,गोवा,
दादर एवं नागर हवेली,दमन एवं दीव |
मुम्बई | नागपुर,
पणजी, औरंगाबाद |
3. | मद्रास | 1862 ई. | तमिलनाडु,
पुदुचेरी |
चेन्नई | मदुरै |
4. | इलाहबाद | 1866 ई. | उत्तर प्रदेश | प्रयागराज | लखनऊ |
5. | कर्नाटक | 1884 ई. | कर्नाटक | बंगलुरु | – |
6. | पटना | 1916 ई. | बिहार | पटना | – |
7. | ओडिशा | 1948 ई. | ओडिशा | कटक | – |
8. | गुवाहाटी | 1948 ई. | असम,
नगालैंड, मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश |
गुवाहाटी | कोहिमा,
आइजोल, ईटानगर |
9. | राजस्थान | 1950 ई. | राजस्थान | जोधपुर | जयपुर |
10. | मध्य प्रदेश | 1956 ई. | मध्यप्रदेश | जबलपुर | ग्वालियर, इन्दौर |
11. | केरल | 1956 ई. | केरल,लक्षद्वीप | एर्नाकुलम | – |
12. | जम्मू-कश्मीर | 1957 ई. | जम्मू कश्मीर, लद्दाख | श्रीनगर | जम्मू |
13. | गुजरात | 1960 ई. | गुजरात | अहमदाबाद | – |
14. | दिल्ली | 1966 ई. | दिल्ली | दिल्ली | – |
15. | पंजाब व हरियाणा | 1966 ई. | पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ | चण्डीगढ़ | – |
16. | हिमाचल प्रदेश | 1971 ई. | हिमाचल प्रदेश | शिमला | – |
17. | सिक्किम | 1975 ई. | सिक्किम | गंगटोक | – |
18. | छत्तीसगढ़ | 2000 ई. | छत्तीसगढ़ | बिलासपुर | – |
19. | उत्तराखंड | 2000 ई. | उत्तराखंड | नैनीताल | – |
20. | झारखण्ड | 2000 ई. | झारखण्ड | राँची | – |
21. | मेघालय | 2013 ई. | मेघालय | शिलांग | – |
22. | मणिपुर | 2013 ई. | मणिपुर | इम्फाल | – |
23. | त्रिपुरा | 2013 ई. | त्रिपुरा | अगरतल्ला | – |
24. | तेलंगाना | 2019 ई. | तेलंगाना | हैदराबाद* | – |
25. | आंध्रप्रदेश | 2019 ई. | आंध्रप्रदेश | अमरावती | – |
* जब आन्ध्रप्रदेश एवं तेलंगाना एक ही राज्य थे तब इनका उच्च न्यायालय हैदराबाद था जिसकी स्थापना 1954 ई. में हुई थी।
नोट:केरल उच्च न्यायालय ने 1997 ई. में सबसे पहले बंद को असंवैधानिक घोषित किया था।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उसी प्रकार अपदस्थ किया जा सकता है, जिस प्रकार उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश पद मुक्त: किया जाता है। जिस व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है, वह उस न्यायालय में वकालत नहीं कर सकता। किन्तु यह किसी दूसरे उच्च न्यायालय में अथवा उच्चतम न्यायालय में वकालत कर सकता है।
राष्ट्रपति आवश्यकतानुसार किसी भी हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि कर सकता है अथवा अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति कर सकता है।
राष्ट्रपति हाई कोर्ट के किसी अवकाशप्राप्त न्यायाधीश को भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का अनुरोध कर सकता है।
हाई कोर्ट एक अभिलेख न्यायालय होता है। उसके निर्णय आधिकारिक माने जाते हैं तथा उनके आधार पर न्यायालय अपना निर्णय देते हैं |
भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श कर राष्ट्रपति हाई कोर्ट के किसी भी न्यायाधीश का स्थानांतरण किसी दूसरे हाई कोर्ट में कर सकता है।
हाई कोर्ट का क्षेत्राधिकार
1.प्रारंभिक क्षेत्राधिकार:
प्रत्येक हाई कोर्ट को नौकाधिकरण, इच्छा-पत्र, तलाक, विवाह, (कम्पनी कानून) न्यायालय की अवमानना तथा कुछ राजस्व संबंधी प्रकरणों नागरिकों के मौलिक अधिकारों के क्रियान्वयन (अनुच्छेद-226) के लिए आवश्यक निर्देश विशेषकर बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, निषेध, उत्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छा के लेख जारी करने के अधिकार प्राप्त हैं।
लोक अदालतलोक अदालत कानूनी विवादों के मैत्रीपूर्ण समझौते के लिए वैधानिक मंच है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 (संशोधन 2002) द्वारा लोक उपयोगी सेवाओं के विवादों के संबंध में मुकदमेबाजी पूर्व सुलह और निर्धारण के लिए स्थायी डोक अदालतों की स्थापना के लिए प्रावधान करता है। ऐसे फौजदारी विवादों को छोड़कर जिनमें समझौता नहीं किया जा सकता, दीवानी, फौजदारी, राजस्व अदालतों में संबित सभी कानूनी विवाद मैत्रीपूर्ण समझीते के लिए लोक अदालत में छाये जा सकते हैं। कानूनी विवादों को लोक अदालतें मुकदमा दायर होने से पूर्व भी अपने यहाँ स्वीकार कर सकती हैं। लोक अदालत के निर्णय अन्य किसी दीवानी न्यायालय के समान ही दोनों पक्षों पर लागू होते है। यह निर्णय अंतिम होते हैं। लोक अदालतों द्वारा दिये गये निर्णयों के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती। देश के लगभग सभी जिलों में स्थायी तथा सतत लोक अदालत स्थापित की गई हैं। लोक अदालत 5 लाख तक के दावे पर विचार कर सकती है। |
नोट: दिल्ली में पहली लोक अदालत अक्टूबर 1985 को बैठी थी तथा इसने एक दिन में दुर्घटना के शिकार लोगों के मुआवजे संबंधी 150 मामले निपटाए थे।
2.अपीठीय क्षेत्राधिकार :
- फौजदारी मामलों में अगर सत्र न्यायाधीश ने मृत्युदंड दिया हो, तो हाई कोर्ट में उसके विरुद्ध अपील हो सकती है।
- दीवानी मामलों में उच्च न्यायालय में उन सब मामलों की अपील हो सकती है, जो ₹5 लाख या उससे अधिक संपत्ति से संबद्ध हो
- उच्च न्यायालय पेटेंट और डिजाइन, उत्तराधिकार भूमि प्राप्ति, दिवालियापन और संरक्षकता आदि मामलों में भी अपील सुनता है।
3.उच्च न्यायालय में मुकदमों का हस्तांतरण:
यदि किसी उच्च न्यायालय को ऐसा लगे कि जो अभियोग अधीनस्थ न्यायालय में विचाराधीन है, वह विधि के किसी सारगर्भित प्रश्न से संबद्ध है तो वह उसे अपने यहाँ हस्तांतरित कर या तो उसका निपटारा स्वयं कर देता है या विधि से संबद्ध प्रश्न को निपटाकर अधीनस्थ न्यायालय को निर्णय के लिए वापस भेज देता है।
4.प्रशासकीय अधिकार :
हाई कोर्ट को अपने अधीनस्थ न्यायालयों में नियुक्त, पदावनति, पदोन्नति तथा छुट्टियों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार है।
नोट : उच्च न्यायालय राज्य में अपील का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है। राज्य सूची से संबद्ध विषयों में भी उच्च न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील हो सकती है।
उपभोक्ता संरक्षणभारत सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 पारित किया। उपभोक्ता समस्याओं के निपटारे के लिए जिला स्तर पर, ‘जिला फोरम’ राज्य स्तर पर ‘राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग” तथा राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग’ का गठन किया गया है। जिला फोरम 20 लाख तक के मामलों की, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग 20 लाख से एक करोड़ तक के मामलों की एवं राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग एक करोड़ से अधिक कीमत वाले मामलों की सुनवाई करता है। केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण [CAT]संविधान के अनुच्छेद-323 A के प्रावधानों से केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) का गठन 1985 में प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 के तहत किया गया। उस समय भारत के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी थे। CAT का अध्यक्ष उच्च न्यायालय के वर्तमान अथवा सेवानिवृत न्यायाधीश होता है । अध्यक्ष के अलावा इसमें 16 उपाध्यक्ष एवं 49 सदस्य होते हैं। ये सदस्य न्यायिक एवं प्रशासनिक दोनों क्षेत्रों से लिए जाते हैं। |
परीक्षा दृष्टि प्रश्न
प्रश्न: भारत में कुल कितने उच्च न्यायालय हैं?
उत्तर: 25
प्रश्न: देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायधीशों की कुल स्वीकृत संख्या है ?
उत्तर: 1079
प्रश्न: पटना उच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई ?
उत्तर: 1916 ई. में
प्रश्न: भारत में उच्च न्यायालय सर्वप्रथम कहां आरम्भ हुआ ?
उत्तर: बंबई, मद्रास व कलकत्ता में
प्रश्न: अंडमान व निकोबार द्वीप पर किस उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार है ?
उत्तर: कलकत्ता उच्च न्यायालय का
प्रश्न: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय कहां स्थित है ?
उत्तर: जबलपुर में
प्रश्न: केरल का उच्च न्यायालय कहां स्थित है ?
उत्तर: एर्नाकुलम में
प्रश्न: ओड़िसा का उच्च न्यायालय कहां स्थित है ?
उत्तर: कटक में
प्रश्न: भारत में उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश बनने वाली पहली महिला कौन है ?
उत्तर: लीला सेठ
प्रश्न: दिल्ली उच्च न्यायालय पहली महिला न्यायधीश कौन थी ?
उत्तर: लीला सेठ
प्रश्न: भारत का 25वा उच्च न्यायालय कौन सा है ?
उत्तर: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय