विद्युत विधेयक 2022 खबरों में क्यों है :
देश भर में विपक्षी दलों और किसानो द्वारा करे जा रहे विरोध प्रदर्शन को नज़रअंदाज़ करते हुए हल ही में केंद्र सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक 2022 को लोक सभा में पारित कर दिया है | गौरतलब है कि देश में किसान संगठनो और विपक्षी दलों और विद्युत् विभाग के कर्मचारियों द्वारा व्यापक स्तर पर विरध प्रदर्शन किये जा रहे हैं और इस पूरे विधेयक को लेकर अपनी आपत्ती दर्ज कराई गई है |
संशोधन विधेयक की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
आर्थिक विकास एवं राष्ट्रों के कल्याण हेतु उर्जा क्षेत्र बुनियादी ढांचे का सबसे महत्वपूर्ण घटक है | भारत का ऊर्जा क्षेत्र दुश्चक्र में फंसा हुआ है और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है सबसे अधिक समस्या बिजली वितरण कंपनियों को आ रही है | बीजली वितरण कंपनियों को डिस्कॉम कहा जाता है और इनपर बिजली उत्पादन कंपनियों का 1 लाख करोड़ रूपए बकाया है जिसकी वजह से उत्पादन कंपनियों का कोल इंडिया लिमिटेड पर बकाया है | भुगतान न होने के कारण से बिजली आपोरती की पूरी श्रृंखला प्रभावित हुई है | सकल तकनीकी और वाणिज्यिक AT & C नुस्कन का भी सामना कर रहा है |
2019 के विद्युत मंत्रालय रिपोर्ट
2019 के विद्युत मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया था की भारत की विद्युत् वितरण कंपनियों का नुकसान AT & C 18% – 19% था | विकसित देशों में यह मात्र 6%-7% के आसपास पहुँचता है | नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया की डिस्कॉम कंपनियों को हर साल हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है | 2021 की रिपोर्ट में बताया गया की विद्युत् वितरण कंपनियों का 90,000 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है | वितरण कंपनियों को कृषि सब्सिडी, राजनितिक कारणों से बिजली शुल्क में कमी आदि कारणों की वजह से इन्हें नुकसान हो रहा है | इन्ही सब को देखते हुए बिजली संशोधन विधेयक को लाना पड़ा | इसका उद्देश्य भुगतान ढांचे को सुव्यवस्थित करना साथ ही नियामको को सशक्त बनाना और विद्युत् क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन देना है इसके साथ ही नियामक और न्यायिक तंत्र मजबूत करने का प्रयास किया गया है |
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विद्युत विधेयक 2022 में क्या- क्या प्रावधान शामिल हैं ?
विद्युत विधेयक 2022 के माध्यम से सरकार विद्युत अधिनियम 2003 में संसोधन का प्रयास कर रही है | विद्युत अधिनियम 2003 को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में लाया गया था | इस अधिनियम का उद्देश्य बिजली के उत्पादन, पारेषण, वितरण, व्यापर और उपयोग से सम्बंधित कानूनों को मजबूत करना था | इस अधिनियम में 2007 में क्रॉस सब्सिडी को जोड़ने के लिए पहली बार संशोधन किया गया | क्रॉस सब्सिडी का मतलब समाज के किसी एक तबके से कम मूल्य लेना और इसकी भरपाई के लिए दूसरे तबके से अधिक मूल्य लेना | इसके 2014, 2017, 2018, 2020 और 2021 में इसमें संशोधन करने के प्रयास किये गए थे पर संसोधन विधेयक लागू नहीं हो सके |
एक ही क्षेत्र में कई डिस्कॉम कम्पनियाँ :
2003 एक्ट के माध्यम से एक ही क्षेत्र में कई डिस्कॉम कम्पनियाँ कम कर सकती थीं, सभी कम्पनियाँ अपने नेटवर्क के माध्यम से ही बिजली का वितरण करेंगी | नए विद्युत विधेयक 2022 में इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है | इस विद्युत विधेयक 2022 में कहा गया है कि एक डिस्कॉम कंपनी को उस क्षेत्र में कार्यरत अन्य सभी डिस्कॉम कंपनियों को अपने नेटवर्क के लिए गैर भेदभावपूर्ण पहुँच प्रदान करनी होगी | जिससे बिजली वितरण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी इसके साथ ही ग्राहकों को बिजी आपूर्तिकर्ता चुनने का विकल्प मिलेगा जैसे हम अपने टेलीफोन या इन्टरनेट प्रदाता को चुनते हैं |
बिजली दरो को मुक्तिसंगत बनाने के लिए 2003 अधिनियम की धारा 62 में संशोधन का प्रयास का प्रयास किया जा रहा है | डिस्कॉम कम्पनियों के बीच प्राइस वार को रोकने के लिए उपभोगताओं की सुरक्षा के लिए न्यूनतम और अधिकतम प्रशुल्क (टैरिफ) सीमा के निर्धारण का प्रावधान किया गया है |
चरणबद्ध और समयबद्ध टैरिफ संशोधन का प्रावधान :
इससे आर्थिक संकट से जूझ रहे डिस्कॉम कंपनियों की मदद की जा सकेगी इसके साथ राज्य सरकार द्वारा राजनीतिक हितों के चलते टैरिफ दरों में संशोधन नहीं किया जाता जिससे डिस्कॉम कंपनियों को नुकसान ना हो इसके भी प्रयास किए जाएंगे ।
लाइसेंस प्रक्रिया में तेजी लाना
यदि कोई कंपनी लाइसेंस के लिए आवेदन करती है और उसे 90 दिनों में लाइसेंस नहीं दिया जाता है तो उसके बाद उस कंपनी को स्वता ही लाइसेंस प्राप्त हो जाएगा।
अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए
नियामक प्राधिकरण को दीवानी अदालत की शक्तियां प्रदान की गई हैं ।
नियामक प्राधिकरण की दक्षता में सुधार
नियामक आयोग की कार्यप्रणाली के सुधार में हस्तक्षेप कर सकती है एक राज्य के नियामक का काम किसी दूसरे राज्य के नियामक को सौंपा जा सकता है इसके साथ ही सदस्यों को हटाने का प्रावधान भी है ।
विद्युत विधेयक 2022 का विरोध क्यों हो रहा है
विपक्षी दलों द्वारा विरोध
इस देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध बताया जा रहा है साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इससे केंद्र सरकार का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा बिजली को सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इसमें केंद्र और राज्य दोनों ही कानून बनाने का अधिकार रखते हैं राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों से विचार-विमर्श नहीं किया गया है । संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन इसके साथ ही राज्यों के अधिकारों को समाप्त करने की कोशिश बताई जा रही है।
विद्युत विभाग के कर्मचारियों द्वारा विरोध
मौजूदा समय में बिजली वितरण क्षेत्र में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी काफी कम है। सार्वजनिक कंपनियों का नेटवर्क काफी विस्तृत है विधेयक के माध्यम से एक-दूसरे का नेटवर्क उपयोग करने की अनुमति दी गई है जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा नहीं हो सकेगा चिंता का विषय यह भी है कि निजी क्षेत्र केवल लाभ पर काम करता है। बिजली क्षेत्र केवल उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा जहां उन्हें ज्यादा मुनाफा हो इसकी वजह से सरकारी कंपनियों के पास केवल नुकसान वाले क्षेत्र ही होंगे जिससे सरकारी डिस्कॉम कंपनियां बंद हो जाएंगी और विद्युत विभाग के कर्मचारियों की नौकरी जाने का डर भी है।
सुबेद्ध उपभोक्ताओं को नुकसान
क्योंकि 85% उपभोक्ता किसान और घरेलू उपभोक्ता हैं इन क्षेत्रों को सब्सिडी के आधार पर बिजली प्रदान की जाती है । निजी क्षेत्र के वर्चस्व से इस सब्सिडी को समाप्त होने का डर भी है बिजली वितरण कंपनियां बिजली खरीद समझौते के माध्यम से बिजली खरीदती है यह समझौता 15 से 20 वर्षों के लिए होते हैं निजी कंपनियों के लिए सब्सिडी प्रदान करना मुश्किल होगा । विद्युत विधेयक 2022 राज्य नियमों को में केंद्र को हस्तक्षेप करने की शक्ति प्रदान करता है जिससे राज्यों की भूमिका कम होती है।
सरकार की प्रतिक्रिया क्या है
सरकार द्वारा इसे जन हितैषी और किसान हितैषी विधेयक के रूप में पेश किया जा रहा है या विधेयक किसानों के लिए बिजली सब्सिडी के प्रावधान को समाप्त नहीं करता है। इस संशोधन का उद्देश्य विद्युत क्षेत्र की दक्षता में सुधार करना है इससे राज्य सरकार की भूमिका कम नहीं होगी
विद्युत विधेयक 2022 का निष्कर्ष क्या निकलता है
बिजली भारतीय संविधान की समवर्ती सूची का विषय है । विद्युत विधेयक 2022 का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने हेतु राज्यों की सिफारिश को ध्यान में रखना आवश्यक है। डिस्कॉम क्षेत्र संकट से गुजर रहा है इसलिए इस क्षेत्र में आमूलचूल सुधारों की आवश्यकता है। सब्सिडी और नौकरियों के मुद्दे को व्यापक स्तर पर संबोधित किया जा सकता है व्यापक जांच के लिए स्थाई समिति को भेजा जा सकता है।