प्रवर्तन निदेशालय (ED) क्या है? PMLA के प्रावधानों पर विवाद क्यों?

ED क्या है

खबरों में क्यों है?

  • हाल ही में आपने ED (Enforcement Directorate) या प्रवर्तन निदेशालय और मनी लेंडिंग दो शब्द खूब सुना होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद काफी चर्चा में आ गया है। 

इसे समझने के लिए चलिए पहले ED और मनी लांड्रिंग दोनों को अलग – अलग संक्षिप्त रूप से समझते हैं

  • मनी लांड्रिंग– यह एक ऐसी गैर कानूनी प्रक्रिया है जिसमें अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाया या बदला जाता है इसमें ऐसे क्रियाकलाप किए जाते हैं जिससे अवैध रूप से अर्जित आय वैध रूप से अर्जित आय प्रतीत होती है, इससे भ्रष्टाचार जैसी गतिविधियां बढ़ती हैं , इसके साथ ही सरकार के राजस्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस तरह से अर्जित आय पर आमतौर पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं चुकाया जाता है।
  • ED – मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए भारत सरकार ने एक संस्था बनाई थी, इस संस्था का नाम ED यानी प्रवर्तन निदेशालय है, इसे मनी लांड्रिंग को रोकने के लिए संविधान से कई शक्तियां प्राप्त हैं।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी इन याचिकाओं में Prevention of Money Laundering Act(PMLA) के तहत ED को प्राप्त शक्तियों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी, पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ईडी को प्राप्त शक्तियों को बरकरार रखा है।

चलिए अब ED के बारे में विस्तार से जानते हैं–

प्रवर्तन निदेशालय ( ED) क्या है?

  • स्वतंत्रता के बाद देखा गया कि विदेशों में चल रहे एक्सचेंजों में भारतीयों द्वारा पैसा लगाया जा रहा है, जिनमें कुछ गड़बड़ियों के मामले भी सामने आए ऐसे में मुद्दा उठा कि जो लेनदेन हो रहा है वह सही दिशा में हो रहा है या उनमें कुछ गड़बड़ियां है ।
  • हालांकि इस प्रकार की जांच के लिए भारत में पहले से ही एक कानून FERA यानी विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम नाम से मौजूद था लेकिन फिर भी इसके लिए एक मजबूत संस्था की आवश्यकता महसूस की गई ।
  • इसी संदर्भ में आर्थिक मामलों के विभाग ने एक यूनिट के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की , इसी क्रम में 1 मई 1956 को ED (Enforcement Directorate) की स्थापना आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में प्रवर्तन इकाई के रूप में की गई थी। इस इकाई को साल 1957 में प्रवर्तन इकाई का नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया। 
  • शुरुआत में ED भारत सरकार की एक आर्थिक खुफिया एजेंसी की तरह काम करती थी, साल 1960 में इसे बदलकर वित्त मंत्रालय से राजस्व के अधीन कर दिया गया। 
  • इस तरह प्रवर्तन निदेशालय एक बहुत अनुशासनिक संगठन है जो मनी लांड्रिंग जैसे अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अतिदेशित है और यह भारत सरकार की आर्थिक खुफिया एजेंसी की तरह भी काम करती है ।

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ED की शक्तियां

ED को विभिन्न शक्तियां प्राप्त हैं–

FERA – 

  • इस अधिनियम का मुख्य काम विदेशी मुद्रा भुगतान पर नियंत्रण लगाना था, इसके साथ ही पूंजी बाजार में काले धन पर नजर रखना और विदेशी मुद्रा के आयात और निर्यात पर भी नजर रखना था।
  • इस तरह FERA कानून को भारत में विदेशी भुगतानो पर नियंत्रण लगाने और विदेशी मुद्रा सदुपयोग करने के लिए बनाया गया था ।
  • वर्तमान में यह लागू नहीं है लेकिन इसके तहत 31 मई 2002 तक जारी कारण बताओ नोटिस के उल्लंघन पर ED कार्यवाही कर सकती है।

FEMA – 

  • साल 1999 में FERA की जगह FEMA यानी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम लाया गया, इसका उद्देश्य विदेशी व्यापार और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को एकीकृत और संशोधित करना था।
  •  इसके साथ ही भारत में विदेशी मुद्रा बाजार में व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देना भी इसका मुख्य उद्देश्य था ।
  • FEMA की शुरुआत निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने हेतु की गई थी ।
  • यह एक बिल कानून है इसके उल्लंघन के मामले में ED कार्यवाही कर सकती है इसके दंड में मौद्रिक दंड या अर्थदंड का प्रावधान है।

PMLA –

  • ईडी को सबसे ज्यादा शक्ति PMLA यानी Prevention of Money Laundering Act से मिलती है, इसे 2002 में अधिनियमित किया गया था इसमें तीन बार संशोधन किया जा चुका है।
  • PML Act 2012 की माध्यम से अपराधों की सूची में धन को छुपाना ,अधिग्रहण , कब्जा करना या धन का किसी क्रिमिनल कामों में उपयोग करना इत्यादि को शामिल किया गया है।
  •  इसके अंतर्गत RBI, SEBI और बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण को लाया गया है ।
  • इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंको, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्तो पर लागू होते हैं।
  • इसके तहत दोषी पाए जाने पर दोषी के धन को जप्त करने का प्रावधान है इसके साथ ED इस तरह के धन से बनाई गई संपत्ति को भी कुर्क कर सकती है ।
  • इसके अलावा इसमें ED को यह अधिकार दिया गया है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
  • PML Act की धारा 24 के मुताबिक आरोपी व्यक्ति को खुद ही अपने आप को निर्दोष साबित करना होता है ।
  • इसकी अन्य धारा के मुताबिक आरोपी व्यक्ति द्वारा ईडी को दिया गया बयान ही न्यायालय में सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • इस प्रकार PML Act ED को कई विशेष शक्तियां प्रदान करता है ।

PMLA के प्रावधानों पर विवाद क्यों?

  • PML Act के तहत ED को यह शक्ति दी गई है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी की पहचान करें और उस पर कार्यवाही करें।
  • CrPC (अपराधिक प्रक्रिय) कहती है कि यदि किसी एजेंसी या पुलिस ने कोई मामला दर्ज किया है तो उस एजेंसी का काम है कि वह संबंधित व्यक्ति को गुनहगार साबित करके दिखाए ।
  • लेकिन PML Act की धारा 24 कहती है कि अगर किसी व्यक्ति के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगता है तो उस व्यक्ति का यह दायित्व होगा कि वह खुद को निर्दोष साबित करें इसमें ED (Enforcement Directorate) को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी व्यक्ति को तलब कर सकती है ।
  • साथ ही किसी मामले में संबंधित व्यक्ति के बयान को ले सकती है और उन्हें दर्ज कर सकती है और इसे न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश कर सकती है ।
  • जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को अपने खिलाफ साक्षी या गवाह होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता ।
  • इसके अलावा सामान्य मामलों में पुलिस को दिया गया बयान भी सबूत के तौर पर मान्य नहीं होता है ।
  • ED जब कोई मामला दर्ज करती है तो उसे FIR नहीं कहते बल्कि उसे ECIR (Enforcement Directorate) कहते हैं ।
  • ED किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उसे ECIR की कॉपी उपलब्ध नहीं कराती ,इस कारण वह व्यक्ति यह जान नहीं सकता कि उसे किस कारण गिरफ्तार किया जा रहा है।
  • जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 और अन्य सामान कानून में कुछ  अपवादों के साथ कहा गया है कि किसी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
  • इसीलिए PML Act का विरोध हो रहा है और साथ ही यह कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ED को अपने विरोधियों के खिलाफ गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है ,यदि ऐसा होता है तो ED जल्द ही अपना अस्तित्व खो देगी।

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