रेवड़ी कल्चर : देश के लिए घातक

खबरों में क्यों है?

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवड़ी कल्चर के बारे में अपने कुछ सुझाव दिए हैं ।
  • यह कल्चर किस तरह से भारत की संस्कृति और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है ।
  • इसके लिए उन्होंने देश को आगाह किया है।

क्या है रेवड़ी कल्चर?

  • चुनावों के दौरान राजनीतिक दल मुक्त चीजें बांटने का वादा करते हैं ।
  • राजनीतिक दल मुफ्त बिजली, पानी, लैपटॉप ,साइकिल ,टेबलेट आदि देने का वादा करते हैं ।
  • इसके अलावा कई दल ऋण माफ करने का वादा करते हैं ।
  • इसी तरह के वादों की संस्कृत को रेवड़ी कलचर या फ्रीवी कल्चर कहते हैं।

रेवड़ी कल्चर के पक्ष में तर्क–

  • यह कल्चर विकास को बढ़ावा देता है ।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली रोजगार गारंटी योजना शिक्षा हेतु सहायता और स्वास्थ्य पर सरकार व्यय करती है।
  • यह देश के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है ।
  • इससे उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है ।
  • यह स्वास्थ्य एवं सक्षम कार्यबल का विकास करता है।
  • यह आर्थिक वृद्धि के लिए भी जरूरी है।

समग्र मांग में बढ़ोतरी 

  • मुक्त सुविधाएं प्रदान करने का अर्थ यह है कि लोगों को अन्य स्थानों पर खर्च करने के लिए सक्षम बनाना ।
  • मुफ्त बिजली देने से वे उस पैसे को किसी अन्य जरूरत पर खर्च कर सकते हैं ।
  • देश में समग्र मांग में बढ़ोतरी होती है ।
  • इससे देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आता है ।
  • इससे लोगों के जीवन स्तर में अल्पकालिक सुधार भी किया जा सकता है ।
  • भारत में कई राज्य विकास के निचले चरण में हैं ।
  • व्यापक स्तर पर गरीबी भी मौजूद है ।
  • ऐसे में दो तरह के उपाय किए जा सकते हैं–
  • दीर्घकालिक –उद्योगों में निवेश किया जाए।
  • सरकार द्वारा मांग में बढ़ोतरी करने की कोशिश की जाए।
  • इससे लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा ।
  • लेकिन इसमें काफी लंबा समय लगेगा ।
  • अल्पकालिक– सरकार मुक्त तौर पर सुविधाएं प्रदान करें ।
  • इससे कम समय में ही लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा ।

कल्याणकारी राज्य के लक्ष्य हेतु जरूरी

  • आर्थिक विकास हेतु ‘ट्रिकल डाउन’ मॉडल अपनाया गया ।
  • इस मॉडल के अंतर्गत देश के विकास के लिए उन्नत और भारी उद्योगों को बढ़ावा दिया गया।
  • उन्नत उद्योगों के विकास से छोटे और पिछड़े उद्योगों का भी विकास होगा ।
  • इस मॉडल का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा।
  • इससे आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ गई।
  • कुछ लोग उसको अधिक फायदा हुआ।
  • कुछ को बिल्कुल नहीं हुआ ।
  • इस मॉडल से शहरी क्षेत्रों में रहने वाला गैर कृषि अभिजात वर्ग सबसे अधिक लाभान्वित हुआ ।
  • इस मॉडल से गरीब लोगों को बिल्कुल भी फायदा नहीं हुआ ।
  • ऐसे में मुक्त सुविधाएं प्रदान करना सरकार का दायित्व है ।
  • ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गरीब वर्ग आजीविका के लिए जरूरी मूलभूत चीजों से वंचित ना रह जाए।

रेवड़ी कल्चर

रेवड़ी कल्चर के विपक्ष में तर्क

सरकार के वित्त पर प्रभाव

  • अधिकांश राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब है ।
  • उन पर काफी अधिक ऋण का दबाव है।
  • मुफ्त में वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने से सरकार पर भी दबाव पड़ता है ।
  • उदाहरण के लिए 2020-21 में महाराष्ट्र सरकार ने कृषि ऋण माफ करने के लिए 45 से 51000 करोड रुपए खर्च किए थे ।
  • इससे महाराष्ट्र सरकार पर काफी वित्तीय दबाव पड़ा था ।
  • 2020-21 में पंजाब सरकार ने भी यूरिया ,बिजली सब्सिडी पर खर्च किया था ।
  • जिससे उसका ऋण जीडीपी अनुपात 53.3% तक पहुंच गया था ।
  • जो खर्च मुक्त सुविधाओं पर किया जाता है सरकार उसका प्रयोग इंफ्रास्ट्रक्चर और कृषि क्षेत्र में निवेश कर सकती है ।

राज्य के स्वामित्व वाले उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव

  • सरकार द्वारा जो मुफ्त सुविधाएं प्रदान की जाती है वह सरकारी उद्योगों के माध्यम से ही की जाती हैं ।
  • इससे सरकारी उद्योगों को नुकसान होता है ।
  • यही कारण है कि PSUs मौजूदा समय में नुकसान में है ।

सरकार के राजस्व पर प्रभाव–

  • मुक्त सुविधाएं प्रदान करने से सरकार को कोई राजस्व प्राप्त नहीं होता है।
  • राजस्व का भी नुकसान होता है
  • विकास और संरचनात्मक परियोजनाओं में निवेश करने की सरकार की क्षमता कम हो जाती है ।
  • मुक्त सुविधाओं पर कर का भी नुकसान होता है ।

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स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के विरुद्ध–

  • नेताओं द्वारा जनता से तर्कहीन वादे किए जाते हैं ।
  • राज्य के राजस्व पर पहले से ही दबाव है ।
  • यह मतदाताओं को रिश्वत देने जैसी अनैतिक प्रथा को जन्म देती है।
  • चुनाव की स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्रभावित होती है।

पर्यावरण को नुकसान

  • फ्री मिलने पर संसाधनों की बर्बादी होती है ।
  • जरूरत से ज्यादा प्रयोग किया जाता है ।
  • जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है ।
  • उदाहरण के लिए पंजाब में बिजली और पानी पर सब्सिडी देने के बाद वहां का वाटर ग्राउंड लेवल काफी नीचे चला गया।

ऋण संस्कृति नष्ट होती है–

  • राज्य सरकारों द्वारा कृषि ऋण माफी की घोषणा की जाती है ।
  • जिससे देश की ऋण संस्कृत प्रभावित होती है ।
  • बैंकों को भी नुकसान होता है ।
  • लोग इस उम्मीद से ऋण देते हैं कि सरकार माफ करेगी

सर्वोच्च न्यायालय का मत–

  • सर्वोच्च न्यायालय इसे लेकर काफी गंभीर रहा है। हाल ही एक विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है ।
  • इस तरह के वादे दो राजनीतिक दलों के बीच समान मुकाबला नहीं होने देते हैं।
  • आर्थिक संकट से प्रभावित सरकारों के बजट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है ।
  • सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा तो चुनाव आयोग का कहना है तर्कहीन वादों के आधार पर कोई कानून कार्यवाही करने के लिए कानून नहीं है।

निष्कर्ष

  • सार्वजनिक वितरण और मुक्त सुविधाओं के बीच अंतर है
  • दोनों शब्दों को एक साथ नहीं देखा जाना चाहिए ।
  • सार्वजनिक वितरण कल्याणकारी राज्य की धारणा को लागू करने हेतु आवश्यक है ।
  • मुक्त सुविधाएं आर्थिक मोर्चों पर चुनौतीपूर्ण है ।
  • यदि राज्य सरकार के पास वित्त है तो वह सुविधाएं दे सकती है साथ ही इस बात का ध्यान रखे कि अन्य जरूरी योजनाओं में कमी ना हो ।
  • सभी लोगों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु सभी को बराबरी प्रदान करना भी जरूरी है।
  • ” किसी को खाना बनाना ना आता हो तो उसे खाना देकर केवल कुछ दिन ही खिलाया जा सकता है लेकिन उसे खाना बनाना सिखा कर उसे जीवन भर खिलाया जा सकता है।”

 

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