‘फिलोसिफिया नेचुरलिस प्रिंसिपिया मैथेमेटिका’, जिसे आमतौर पर ‘प्रिंसिपिया’ कहा जाता है।
न्यूटन की सर्वश्रेष्ठ कृति है। इसी पुस्तक में न्यूटन ने गति के नियमों को प्रतिपादित किया था।
न्यूटन का गति विषयक प्रथम नियम (Newton’s First Law of Motion)
यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहेगी या यदि एकसमान चाल से सीधी रेखा में चल रही है तो वैसे ही चलती रहेगी, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल आरोपित करके उसकी वर्तमान अवस्था में परिवर्तन न कर दिया जाए।
इस नियम को गैलीलियो का नियम या जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
अपनी वर्तमान स्थिति को बनाए रखने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं।
दैनिक जीवन में हम जड़त्व के गुण का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।
जैसे-वाहन में अचानक ब्रेक लगने पर यात्री का आगे की ओर झुकना।
कंबल को डंडे से पीटने पर धूल के कणों का निकलना इत्यादि
न्यूटन का गति विषयक द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion)
किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस वस्तु पर आरोपित बल के समानुपाती होती है तथा उसी दिशा में होती है, जिस दिशा में बल कार्य करता है।
संवेग (Momentum)
किसी पिंड का संवेग उसके द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल द्वारा परिभाषित होता है।
इसे P द्वारा प्रदर्शित करते हैं। यदि m द्रव्यमान का पिंड वेग से गतिशील हो तो संवेगः P=mv
संवेग एक सदिश राशि है। SI मात्रक किग्रा. मीटर प्रति सेकेंड है।
दैनिक जीवन में संवेग का प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है।
जैसे: क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा गेंद को पकड़ते समय गेंद की दिशा में हाथों को पीछे खींच लिया जाता है, जिससे गेंद रोकने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है और खिलाड़ी को चोट नहीं लगती, जबकि कोई नौसिखिया खिलाड़ी गेंद को हाथों से एकदम स्थिर करके रोकता है और चोटिल हो जाता है, क्योंकि गेंद को तत्काल रोकने हेतु अत्यधिक बल आरोपित करना पड़ जाता है।
आवेग (Impulse)
जब किसी पिंड पर कोई बड़ा बल, बहुत कम समय के लिये कार्यरत रहकर उस पिंड के संवेग में परिवर्तन उत्पन्न करता है तो इसकी गणना आरोपित बल तथा समयावधि के गुणनफल से की जाती है। आवेग = बल x समयावधि = संवेग में परिवर्तन।
यह एक सदिश राशि है। इसका मात्रक न्यूटन सेकेंड (Ns) है।
न्यूटन की गति का तृतीय नियम (Newton’s third law of motion)
प्रत्येक क्रिया की सदैव समान एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
इस नियम के पदों की क्रिया एवं प्रतिक्रिया का अर्थ सिर्फ बल से में इसे इस है और साधारण शब्दों में हमेशा युग्म में पाए जाते हैं।
इस प्रकार समझा जा सकता है कि बल ये बल एक ही समय में कार्यरत रहते हैं।
इसमें किसी एक बल को ‘क्रिया’ और दूसरे बल को ‘प्रतिक्रिया’ कहा जा सकता है।
दैनिक जीवन में न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उदाहरण बंदूक से गोली चलाते समय पीछे की ओर झटका लगना, रॉकेट का ऊपर उठना इत्यादि है प्रकाश की गति के समतुल्य गति करने वाले कणों के संदर्भ में न्यूटन के गति विषयक नियम प्रभावी नहीं होते हैं।
संवेग संरक्षण का नियम (Law of conservation of Momentum)
यदि एक या अधिक वस्तुओं के निकाय पर कोई बाह्य बल आरोपित न हो तो निकाय का कुल संवेग संरक्षित (नियत) रहता है।
कण की साम्यावस्था
किसी कण की साम्यावस्था वह स्थिति है, जिसमें कण पर नेट बाह्य बल शून्य हो।
इसका अर्थ यह है कि या तो कण विरामावस्था में है अथवा एकसमान गति में है।
साम्यावस्था की स्थिति के लिये शून्य नेट बाह्य बल के साथ माशून्य नेट बाह्य बल आघूर्ण भी आवश्यक है।