हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbon)
- ऐसे यौगिक जो कार्बन एवं हाइड्रोजन परमाणु आबंध से युक्त होते है, वे ‘हाइड्रोकार्बन’ कहलाते हैं।
संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbon)
- वे हाइड्रोकार्बन जिनमें प्रत्येक कार्बन परमाणु हाइड्रोजन परमाणुओं तथा अन्य परमाणुओं से एकल बंधों द्वारा जुड़े रहते हैं।
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbon)
- वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से द्विबंधों (Double Bond) अथवा त्रिबंधों (Triple Bond) से जुड़ा रहता है।
समजातीय श्रेणी (Homologous category)
- कार्बनिक यौगिकों की वह श्रृंखला, जिसमें अभिक्रियाशील मूलक एक ही तत्त्व का परमाणु होता है तथा इस श्रृंखला के दो परस्पर क्रमागत सदस्यों के अणुसूत्र में CH2 का अंतर होता है।
समावयवता (Isomer)
- वे कार्बनिक यौगिक जिनके अणुओं में परमाणुओं की व्यवस्था भिन्न-भिन्न होती है, परंतु उनके अणुसूत्र समान होते हैं, साथ ही इनकी परमाणुविक संरचना भिन्न होने की वज़ह से इनके भौतिक एवं रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
- ऐसे यौगिकों को समावयवी तथा इन यौगिकों द्वारा प्रदर्शित किये जाने वाले इस गुण को समावयवता कहते हैं,
क्रियात्मक समूह (Functional Group)
- कार्बन की संयोजकता 4 होती है और यह अन्य तत्त्वों के साथ मिलकर आसानी से यौगिक का निर्माण करता है।
- हम जानते हैं कि सरलतम हाइड्रोकार्बन मीथेन में कार्बन परमाणु चार हाइड्रोजन परमाणुओं से जुड़ा होता है।
- कार्बन अन्य तत्त्वों के साथ मिलकर यौगिक बनाने की प्रवृत्ति रखता है, इसके लिये हाइड्रोकार्बन संरचना में से हाइड्रोजन परमाणु का स्थानांतरण करके अन्य तत्त्व कार्बन के साथ यौगिक बनाते हैं। हाइड्रोजन को विस्थापित करने वाले इन तत्त्वों को ‘विषम परमाणु’ कहते हैं।
- कभी-कभी यह विषम परमाणु समूहों में उपस्थित रहते हैं। जैसे- OH (एल्कोहॉल), -CHO (एल्डिहाइड) आदि। ऐसे समूहों को ‘क्रियात्मक समूह’ कहते हैं। ये क्रियात्मक समूह उस कार्बनिक यौगिक के रासायनिक गुणों के लिये उत्तरदायी होता है।
ऐसे कार्बनिक यौगिक जो – N = C = O क्रियात्मक समूह रखते हैं, ‘आइसोसायनेट’ के नाम से जाने जाते हैं। मिथाइल आइसोसायनेट (CH2NCO) एक विषैला और मानव स्वास्थ्य के लिये अत्यधिक खतरनाक है। दिसंबर 1984 में भोपाल में हुई भयंकर गैस त्रासदी इसी गैस की लीकेज वजह से हुई थी। इस गैस का उपयोग कीटनाशक एवं रबर उद्योग में किया जाता है।
एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Aromatic Hydrocarbon)
- एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन का एक प्रमुख भौतिक गुण एरोमैटिसिटी (aromaticity) होता है, इस गुण को प्रदर्शित करने वाले हाइड्रोकार्बन ही ‘एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन’ कहलाते हैं।
- एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन के उदाहरण- बेंजीन (Benzene), टालुईन (Tolune), क्लोरो बेंजीन (Chloro Benzene), फिनॉल (Phenol)
- सिगरेट के धुएँ में बेंजीन उपस्थित होता है।
- बेंजीन का उपयोग रबर, स्नेहक पदार्थ, डाई (dye) डिटर्जेंट औषधि, विस्फोटक, कीटनाशक आदि के निर्माण में होता है।
- टॉलुईन का उपयोग विस्फोटकों के निर्माण में होता है।
- नाइट्रो बेंजीन (Nitro Benzene): इससे ट्राइनाइट्रो बेंजीन, जो कि प्रमुख विस्फोटक है, बनाया जाता है।
- एनिलीन (C6H5NH2): यह एक प्रमुख एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है। इसका उपयोग, औषधि निर्माण, रबर उद्योग, रंजकों के निर्माण आदि में किया जाता है।
- फीनॉल (C6H5OH): यह एक प्रमुख एरोमैटिक एल्कोहल है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण, बालों के रंजक (hair dyes) के निर्माण, विस्फोटक पदार्थों के निर्माण तथा शल्य चिकित्सा में किया जाता है।
- बेंजोइक अम्ल (C7H6O2) : इसका उपयोग खाद्य पदार्थों के संरक्षण के लिये किया जाता है। बेंजोइक एसिड का प्रयोग कीटों से सुरक्षा के रूप में होता है।
- सैकरीन (Saccharine): टॉलुईन के ऑक्सीकरण से निर्मित यह पदार्थ चीनी से कई गुना मीठा होता है। मधुमेह से प्रभावित लोगों को इसे चीनी के स्थान पर दिया जाता है।
- नेफ्थलीन (C10H8): इसकी गोलियों का उपयोग कपड़ों को कीड़ों से बचाने के लिये किया जाता है।
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कुछ महत्त्वपूर्ण कार्बनिक यौगिकों के समूह
एल्कोहाल, फीनॉल और ईथर
- जब किसी हाइड्रोकार्बन के एक या अधिक हाइड्रोजन परमाणुओं का प्रतिस्थापन अन्य किसी परमाणु या परमाणुओं के समूह से होता है तो पूर्णत: नए यौगिकों का निर्माण होता है।
- जिनका गुणधर्म और उपयोग बिल्कुल भिन्न होता है। एल्कोहल में एक अथवा अधिक हाइड्रॉक्सिल (-OH) समूह ऐल्फिटिक तंत्र (R-OH) के कार्बन परमाणु से जुड़े होते हैं, जबकि फीनॉल में हाइड्रॉक्सिल (-OH) समूह ऐरोमैटिक तंत्र (Ar-OH) के कार्बन परमाणु से जुड़े रहते हैं।
एमीन (Amine)
- यह अमोनिया अणु से एक अथवा अधिक हाइड्रोजन परमाणुओं के एल्किल अथवा ऐरिल समूह द्वारा विस्थापन से प्राप्त होने वाले यौगिक हैं। यह प्राकृतिक रूप से प्रोटीन, विटामिन, हार्मोन इत्यादि में पाए जाते हैं। अमोनिया अणु में एल्किल अथवा एरिल समूहों के द्वारा प्रतिस्थापित हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या के आधार पर एमीन का वर्गीकरण प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक में किया जाता है।