अर्थशास्त्र (Economics)
- एक विषय के रूप में अर्थशास्त्र के अंतर्गत यह अध्ययन किया जाता है कि व्यक्ति, समाज और सरकार द्वारा किस तरह से अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर संसाधनों का इस्तेमाल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये किया जाता है।
अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था (Economics and the Economy)
- अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध सामान्यतः सिद्धांत और व्यवहार का है।
- जहाँ अर्थशास्त्र बाज़ार के सिद्धांतों, रोज़गार आदि की बात करता है, वहीं अर्थव्यवस्था किसी क्षेत्र विशेष की समस्त आर्थिक क्रियाओं को प्रदर्शित करती है।
- अतः किसी क्षेत्र विशेष के अनुकूल अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का व्यावहारिक उपयोग ही उस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कहलाता है।
अर्थव्यवस्थाओं का वर्गीकरण
- अर्थव्यवस्थाओं (देशों) द्वारा अपनाई गई उत्पादन प्रणालियों तथा उनमें राज्य या सरकार की भूमिका के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
- इस अर्थव्यवस्था में किसका उत्पादन होगा, कितना होगा और उसकी बिक्री किस कीमत पर होगी, इन सभी का निर्धारण बाज़ार द्वारा किया जाता है।
- इसमें सरकार की कोई आर्थिक भूमिका नहीं होती।
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था तथा शास्त्रीय अर्थशास्त्र का उद्गम स्रोत एडम स्मिथ की पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ (1776) को माना जाता है।
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राज्य अर्थव्यवस्था
- इस अर्थव्यवस्था में उत्पादन, आपूर्ति और कीमत का फैसला सरकार द्वारा किया जाता है।
- ऐसी अर्थव्यवस्थाओं को केंद्रीकृत नियोजित अर्थव्यवस्था भी कहते हैं।
- इस प्रकार की अर्थव्यवस्था का पहला सिद्धांत जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स (1818–1883) ने दिया था।
- बोल्शेविक क्रांति (1917) के फलस्वरूप सोवियत संघ में राज्य अर्थव्यवस्था का विकास हुआ, जहाँ इसे समाजवादी अर्थव्यवस्था भी कहते हैं।
- बाद के वर्षों में चीन तथा पूर्वी यूरोप के कई देशों में यह अर्थव्यवस्था प्रचलित हुई।
मिश्रित अर्थव्यवस्था
- इसमें कुछ आधारभूत और महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की आर्थिक ज़िम्मेदारी सरकार की होती है तथा बाकी आर्थिक गतिविधियाँ निजी क्षेत्र के लिये छोड़ दी जाती हैं।
- अतः मिश्रित अर्थव्यवस्था में राज्य अर्थव्यवस्था तथा पूंजीवादी अर्थव्यवस्था, दोनों के लक्षण विद्यमान रहते हैं।
- जॉन मेनार्ड केंस ने अपनी पुस्तक ‘द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी’ (1936) में सुझाव दिया कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था द्वारा समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपने में समाहित करना चाहिये।
- ऐसी ही सलाह 1950 के दशक में ऑस्कर लांज ने समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं को दिया था।
- उनके अनुसार समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अच्छे तत्त्वों को अपने में समाहित करना चाहिये।
भारत सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के सहअस्तित्व के कारण एक मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला देश है।
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
- अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों के आधार पर इसे निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बाँटा गया है, जिन्हें अर्थव्यवस्था का क्षेत्र/क्षेत्रक कहते हैं
प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)
- वह क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक संसाधनों को कच्चे तौर पर प्राप्त किया जाता है, जैसे- कृषि कार्य, उत्खनन, पशु पालन, मछली पालन इत्यादि।
- इस क्षेत्र को कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ भी कहा जाता है।
द्वितीयक क्षेत्र (Secondary sector)
- वह क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल के रूप में उपयोग करता है द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है।
- इस क्षेत्र में विनिर्माण कार्य होता है जिस कारण इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।
- इसके अंतर्गत लौह और इस्पात उद्योग, वाहन उद्योग, वस्त्र उद्योग, फर्निचर उद्योग इत्यादि आते हैं।
- इसमें कुशल श्रमिक को ‘व्हाइट कॉलर जॉब’ तथा उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न श्रमिक को ‘ब्लू कॉलर जॉब’ वर्ग नाम से संबोधित किया जाता है।
तृतीयक क्षेत्र (Tertiary sector)
- यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में सेवाओं के उत्पादन से संबंधित होता है।
- सेवाओं में बैंकिंग, बीमा, चिकित्सा, शिक्षा, पर्यटन, संचार, रिटेल इत्यादि क्षेत्र आते हैं।
- इसे ‘सेवा क्षेत्र’ के नाम से भी जाना जाता है।
अर्थव्यवस्था के प्रकार
- किसी अर्थव्यवस्था की सकल आय में उसके क्षेत्रकों के योगदान तथा उन पर निर्भर जनसंख्या के आधार पर अर्थव्यवस्थाएँ निम्न प्रकार की होती हैं
कृषक अर्थव्यवस्था
- यदि अर्थव्यवस्था के सकल उत्पादन में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत या इससे अधिक हो तो वह कृषक अर्थव्यवस्था कहलाती है।
औद्योगिक अर्थव्यवस्था
- ऐसी अर्थव्यवस्था में द्वितीयक क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पादन में योगदान 50 प्रतिशत या इससे अधिक होता है।
सेवा अर्थव्यवस्था
- इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पादन में योगदान 50 प्रतिशत या उससे अधिक होता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) मिश्रित, श्रम-आधिक्य वाली, कृषि प्रधान एवं प्रति व्यक्ति न्यूनतम आय तथा उच्च बेरोज़गारी आदि विशेषता से युक्त एक विकासशील अर्थव्यवस्था है।