राष्ट्रीय संस्थाएँ
नीति आयोग
- 1 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय प्रस्ताव जारी करके नीति आयोग का गठन किया गया।
- इस आयोग ने 15 मार्च, 1950 को स्थापित योजना आयोग का स्थान लिया। नीति (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) आयोग एक ‘थिंक टैंक’ की तरह नीति निर्माण, विकास प्रक्रिया में निर्देश व परामर्श, क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी उन्नयन, व ग्राम स्तर पर योजना से लेकर सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
राष्ट्रीय विकास परिषद्
- यह एक संविधानेत्तर निकाय (न संवैधानिक, न ही सांविधिक है, जिसका प्रमुख कार्य योजना निर्माण एवं कार्यान्वयन में राज्यों का सहयोग पाना था।
- वर्तमान में योजना आयोग के समाप्त होने के कारण इसकी प्रासंगिकता कम हो गई है व नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल को इसका उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट)
- संविधान का अनुच्छेद 323क संसद को प्रशासनिक अधिकरण की स्थापना की शक्ति देता है।
- यह एक बहुसदस्यीय निकाय है, जिसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
- इसके अध्यक्ष 5 वर्षों या 65 वर्षों, जबकि अन्य सदस्य 62 वर्षों तक पद धारण करते हैं। यह केंद्र सरकार से जुड़े कर्मचारियों की भर्ती व सेवा शर्तों से जुड़े मामले देखता है। इसकी अधिकारिता सशस्त्र बलों के सैन्य क्षेत्र में कार्यरत, संसद सचिवालय व सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों के अधिकारियों या कर्मचारियों तक नहीं है। इसकी प्रधान पीठ दिल्ली में है और 18 पीठे वर्तमान में कार्यरत हैं।
अनुच्छेद 323क संसद को, जबकि अनुच्छेद 323ख संसद व राज्य विधानमंडलों दोनों को अपनी अधिकारिता के भीतर अधिकरण बनाने की अनुमति देता है। |
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत एक साविधिक स्वायत्त निकाय के रूप में इसका गठन संसदीय अधिनियम मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019 के द्वारा 1993 के मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित किये गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं
- यह अधिनियम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोगों और मानवाधिकार अदालतों की स्थापना का प्रावधान करता है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहा व्यक्ति या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर रहा व्यक्ति राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष होगा।
- 1993 में दो व्यक्तियों को सदस्य नियुक्त किया जाता था जबकि 2019 के अधिनियम के अनुसार तीन व्यक्तियों को सदस्य नियुक्त किया जाएगा इनमें से एक सदस्य अनिवार्यतः महिला होनी चाहिये।
- 1993 के अधिनियम के अनुसार अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षों या 70 वर्षों (जो भी पहले) के स्थान पर वर्तमान अधिनियम के अनुसार 3 वर्षों या 70 वर्षों जो भी पहले हो किया गया है।
- इस आयोग में निम्न 7 आयोगों के अध्यक्ष पदेन मानद सदस्य के रूप में होंगे- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष तथा दिव्यांगजनों के लिये मुख्य आयुक्त।
राष्ट्रीय महिला आयोग
- महिला सशक्तीकरण को प्रभावी बनाने हेतु 1992 में साविधिक निकाय के रूप में इसकी स्थापना हुई, जिसका नोडल मंत्रालय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय है।
- जयंती पटनायक इसकी प्रथम अध्यक्ष थी। यह एक बहुसदस्यीय संस्था (एक अध्यक्ष, पाँच सदस्य, एक सचिव सदस्य) है, जिनका कार्यकाल तीन वर्षों का होता है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग
- यह एक बहुसदस्यीय (एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त व दो या दो से कम सतर्कता आयुक्त) संस्था है।
- इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति (प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता) के आधार पर की जाती है।
- इसके अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 4 वर्षों या 65 वर्षों (जो भी पहले हो) तक का होता है।
- अपने कार्यकाल के पश्चात् ये केंद्र अथवा राज्य सरकार के अधीन किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।
- कदाचार व अक्षमता के आधार पर उच्चतम न्यायालय की जाँच के उपरांत राष्ट्रपति इन्हें पद से हटा सकता है।
- केंद्रीय सतर्कता आयोग अपने वार्षिक कार्यकलापों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है।
- आयोग सरकारी कार्यालयों व सार्वजनिक संगठनों में पारदर्शिता उन्नत करने व भ्रष्टाचार को कम करने का प्रयास करता है।
व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2011 लोकहित में गोपनीय सूचनाओं को प्रकट करने वाले व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करता है।
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केंद्रीय सूचना आयोग
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत केंद्रीय सूचना आयोग (एक मुख्य सूचना आयुक्त व अधिकतम 10 सूचना आयुक्त) की स्थापना की गई।
- इसके अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति एक समिति (प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष, प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्री) की सिफारिश पर करता है।
- आरटीआई नियम 2019 के अनुसार सीआईसी और आईसीज़ (केंद्र व राज्य स्तर पर) का कार्यकाल तीन वर्ष होगा।
- इसके साथ ही सीआईसी एवं आईसीज़ का वेतन (केंद्र व राज्य स्तर पर) क्रमश: ₹2,50000 और ₹2,25000 होगा।
- नागरिकों को समय सीमा में सूचना प्रदान कराने हेतु इन्हें सिविल कोर्ट की शक्तियाँ प्राप्त हैं और उच्चतम न्यायालय की जाँच के उपरांत कदाचार व असमर्थता के आधार पर राष्ट्रपति इन्हें पद से हटा सकता है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
- वर्ष 1993 में अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन (2014) के लिये एक अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया।
- आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष व पाँच अन्य सदस्य सम्मिलित होते हैं, जिसका कार्य संघ तथा राज्यों के अल्पसंख्यकों की प्रगति का मूल्यांकन व सुरक्षा उपायों की निगरानी करना आदि है।
नोट: अध्यक्ष सहित पाँच सदस्यों का अल्पसंख्यक समुदायों से होना आवश्यक है।
भारत का विधि आयोग
- एक गैर-वैधानिक कार्यकारी निकाय के रूप में कानूनों में सुधार कानून के शासन के तहत सुशासन को बढ़ावा देने के लिये और समय-समय पर विधि आयोग का गठन होता है। 21वें विधि आयोग (1 सितंबर, 2015-31 अगस्त, 2018 तक) के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश बलबीर सिंह चौहान थे।
क्षेत्रीय परिषदें
- एक क्षेत्र में विभिन्न राज्यों के मध्य संवाद हेतु राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के माध्यम से क्षेत्रीय परिषद् की स्थापना की गई।
- वर्तमान में पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण व मध्य क्षेत्रीय परिषद् कार्यरत हैं।
- प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद् में केंद्रीय गृहमंत्री अध्यक्ष व बारी-बारी से मुख्यमंत्री उपसभापति का पद धारण करते हैं।
- ये सलाहकारी निकाय हैं। लक्षद्वीप व अंडमान निकोबार द्वीप समूह किसी क्षेत्रीय परिषद् में शामिल नहीं है।
पूर्वोत्तर परिषद्
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये विशेष क्षेत्रीय परिषद् का गठन 1971 में एक अधिनियम द्वारा किया गया।
- इसमें पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री व राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत एक अध्यक्ष व 3 सदस्य शामिल होते हैं।