क्रिप्स मिशन और भारत छोड़ो आंदोलन

 

क्रिप्स मिशन और भारत छोड़ो आंदोलन

क्रिप्स मिशन (1942)

  • द्वितीय विश्वयुद्ध में जब मित्र राष्ट्रों की स्थिति बिगड़ने लगी तब युद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिये ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1942 में अपने मंत्री स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में एक मंडल को भारत भेजा। इसने निम्नलिखित घोषणाएँ की
  • युद्ध समाप्त होने पर भारत को डोमिनियन स्टेटस का दर्जा तथा एक संविधान निर्मात्री परिषद का गठन किया जाएगा।
  • इस पस्तान में यह गुंजाइश रखी गई थी कि यदि किसी प्रांत को नया सविधान स्वीकार्य नहीं होता तो वह अपने लिये नए संविधान हेतु ब्रिटिश सरकार के साथ अलग से समझौता कर सकेगा।
  • हालाँकि प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की मांग को इसमें स्वीकार नहीं किया गया था।
  • कांग्रेस एवं मुस्लिम लोग दोनों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। गांधी जी ने इसे ‘पोस्ट डेटेड चेक‘ कहा।

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भारत छोड़ो आंदोलन

  • क्रिप्स मिशन की असफलता ने भारतीय जनमानस की मन:स्थिति को झकझोरने का कार्य किया।
  •  7 अगस्त, 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक के मैदान में कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आजाद कर रहे थे।
  • इस अधिवेशन में 8 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव को पास कर दिया गया और गांधी जी के नेतृत्व में एक जनसंघर्ष चलाने का निर्णय लिया गया।
  • भारत छोड़ो प्रस्ताव का आलेख गांधी जी ने तैयार किया, जवाहरलाल नेहरू ने इसे प्रस्तुत किया और सरदार बल्लभभाई पटेल ने इसका समर्थन किया था।
  •  इस आंदोलन में ही गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा दिया।
  • 9 अगस्त की सुबह ‘ऑपरेशन जीरो आवर’ के तहत गांधी जी को गिरफ्तार कर आगा खाँ पैलेस में रखा गया
  • तथा जवाहर लाल नेहरू गोविंद वल्लभ पंत, जे.बी. कृपलानी, पट्टाभि सीतारमैया आदि को गिरफ्तार कर अहमदनगर जेल में रखा गया।
  • राजेंद्र प्रसाद को पटना तथा जयप्रकाश नारायण को हजारीबाग की सेंट्रल जेल में रखा गया।
  • बाद में जयप्रकाश नारायण ने जेल से फरार होकर नेपाल में आजाद दस्ते का गठन किया तथा भूमिगत होकर आंदोलन चलाते रहे।
  • राममनोहर लोहिया रेडियो पर नियमित रूप से बोलते थे।
  • गुप्त रेडियो संचालन से जुड़े अन्य नेता थे वी. एम. खाकर, उषा मेहता, चद्रकांत झावेरी आदि।
  • अरुणा आसफ अली इस आंदोलन के दौरान भूमिगत क्रियाकलापों से जुड़ी रहीं।
  • भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देश के कुछ हिस्सों में समानांतर सरकार की स्थापना हुई।
  • चित्तू पांडे के नेतृत्व में बलिया में समानांतर सरकार का गठन किया गया।
  • जंगाल के मिदनापुर जिले के तामलुक नामक स्थान पर जातीय सरकार (राष्ट्रीय सरकार) की स्थापना (1942) की गई।
  • तामलुक की जातीय सरकार ने बड़े पैमाने पर राहत कार्य किये।
  • स्कूलों को अनुदान तथा एक सशस्त्र विद्युतवाहिनी का गठन भी इसमें शामिल है।
  • सतारा की समानांतर सरकार सबसे लंबे समय (1945) तक चली। यशवंतराव चव्हाण एवं नाना पाटिल यहाँ के महत्त्वपूर्ण नेता थे।
  • हिंदू महासभा, एवं मुस्लिम लीग ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का समर्थन नहीं किया।
  • अमेरिकी पत्रकार तथा महात्मा गांधी के जीवनीकार लुई फिशर भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के साथ रहे।

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