गांधीवादी आंदोलन

गांधीवादी आंदोलन (1919–47)

  • गांधी जी एक मुकदमे के सिलसिले में 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए।
  • वहाँ उन्होंने अंग्रेज़ों की रंगभेद नीति का विरोध किया।
  • गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में नटाल इंडियन कांग्रेस और फीनिक्स आश्रम की स्थापना की।
  • जर्मन मित्र हर्मन कालेनबाख की सहायता से टॉलस्टॉय फार्म स्थापित किया।
  • गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में ‘इंडियन ओपीनियन’ नामक एक पत्रिका भी निकाली।
  • इंडियन ओपीनियन पत्रिका के प्रथम संपादक मनसुखलाल नज़र थे।
  • यह पत्रिका गुजराती, हिंदी, तमिल तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित होती थी।
  • 1915 में गांधी जी का भारत आगमन हुआ। इस समय प्रथम विश्वयुद्ध चल रहा था।
  • इन्होंने ब्रिटिश सरकार से समर्थन हासिल करने के उद्देश्य से युद्ध कार्यों में सरकार की सहायता की जिससे खुश होकर सरकार ने इन्हें ‘कैसर-ए-हिंद’ की उपाधि दी।
  • ‘सत्याग्रह आश्रम’ की स्थापना 1915 में कोचरब (अहमदाबाद) में की गई।
  • 1917 में सत्याग्रह आश्रम को साबरमती नदी के किनारे पुनर्स्थापित किया गया।
  • गांधी जी ने 1916 के होमरूल आंदोलन को अपना समर्थन नहीं दिया क्योंकि वे होमरूल लीग आंदोलनकारियों की इस रणनीति के ख़िलाफ़ थे कि अंग्रेज़ों के ऊपर मुसीबत अपने लिये एक सुनहरा अवसर है।
  • गांधी जी के भारत में सत्याग्रह का क्रम है- चंपारण (1917), अहमदाबाद मिल मज़दूर (1918), खेड़ा (1918)।

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                              गांधी जी के प्रमुख कथन

  • “गलत साधन हमें कभी सही उद्देश्य तक नहीं ले जाते हैं। “
  • “स्वाद का वास्तविक स्थान जिह्वा नहीं, बल्कि मन है। “
  • “साधन ही उद्देश्यों का औचित्य बताते हैं।”
  • “शक्ति के विरुद्ध अधिकार की इस लड़ाई में मैं विश्व की सहानुभूति चाहता हूँ।” (दांडी मार्च के दौरान)
  • “सत्य परम तत्त्व है और वह ईश्वर है। “
  • ‘धरती सभी के लालच के लिये नहीं बल्कि सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये पर्याप्त साधन उपलब्ध करवाती है।
  • “मैं देश के बालू से ही कांग्रेस से बड़ा आंदोलन खड़ा कर दूँगा। “

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