क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रथम चरण (1905-1915)
भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों की शुरुआत 1897 महाराष्ट्र के पुणे से हुई जब दामोदर एवं बालकृष्ण (चापेकर बंधुओं) ने 22 जून, 1897 को पुणे के प्लेग कमिश्नर रैंड एवं एमहर्स्ट की हत्या कर दी।
संस्था | संस्थापक |
अनुशीलन समिति (1902) | पी.मित्रा, वारींद्र कुमार घोष एवं जतींद्रनाथ बनर्जी |
अभिनव भारत (1904) | वी.डी. सावरकर |
युगांतर | वारींद्र कुमार घोष एवं जतींद्रनाथ बनर्जी |
भारत स्वशासन समिति एवं इंडिया हाउस (1905)
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श्यामजी कृष्ण वर्मा |
लाहौर छात्र संघ | सुखदेव एवं भगत सिंह |
अंजुमाने मोहिब्बाने वतन | अजीत सिंह |
पेरिस इंडियन सोसाइटी | मैडम भीकाजी कामा |
हिंद एसोसिएशन ऑफ अमेरिका | सोहन सिंह भाकना |
‘गदर’ एवं युगांतर आश्रम | सोहन सिंह भाकना, लाला हरदयाल |
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन(1924) | सचींद्र नाथ सान्याल, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आज़ाद |
हिंदुस्तान सोशलिस्ट (1928) रिपब्लिकन एसोसिएशन | चंद्रशेखर आज़ाद (नेतृत्व), बिजोय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, भगत सिंह, भगवती चरण वोहरा, सुखदेव, दुर्गा भाभी |
भारत नौजवान सभा (1926) | भगत सिंह, छबीलदास, यशपाल |
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वी. डी. सावरकर द्वारा 1899 में स्थापित ‘मित्र मेला’ नामक संस्था ही 1904 में ‘अभिनव भारत’ में परिवर्तित हो गई। |
- अप्रैल 1908 में खुदीराम बोस एवं प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर के बदनाम जज किंग्स फोर्ड की हत्या करने का असफल प्रयास किया।
- इस घटना के उपरांत प्रफुल्ल चाकी खुद को गोली मारकर शहीद हो गए तथा खुदीराम बोस को फाँसी दे दी गई।
अरविंद घोष की क्रांतिकारी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण। उन्हें 1908 के अलीपुर बम मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अलीपुर मामले में चितरंजन दास ने अरविंद घोष का बचाव किया तथा उन्हें अंततः रिहा कर दिया गया। अलीपुर मामले में नरेंद्र गोसाईं सरकारी गवाह बन गया था। |
- दिसंबर 1912 में रासबिहारी बोस ने लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका और जापान भाग गए।
- इस षड्यंत्र से जुड़े अन्य आरोपियों- अवध बिहारी, अमीर चंद, बालमुकुंद और बसंत विश्वास पर दिल्ली षड्यंत्र केस के तहत मुकदमा चलाया गया तथा उन्हें फाँसी दे दी गई।
विदेशों में क्रांतिकारी गतिविधियाँ
- 1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट में द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का आयोजन किया गया।
- इसमें भारतीय प्रतिनिधि के रूप में मैडम भीकाजी कामा ने हिस्सा लिया। जहाँ उन्होंने भारतीय तिरंगा फहराया।
- 1909 में लंदन में मदनलाल ढींगरा ने कर्जन वाइली की हत्या कर दी।
गदर आंदोलन
- 1 नवंबर, 1913 में लाला हरदयाल के नेतृत्व में अनेक भारतीयों ने सैन फ्राँसिस्कों (अमेरिका) में ‘गदर पार्टी’ की स्थापना की।
- सोहन सिंह भाखना इसके प्रथम अध्यक्ष, लाला हरदयाल इसके प्रथम मंत्री तथा काशीराम इसके कोषाध्यक्ष चुने गए।
- 1 नवंबर, 1913 को ही ‘गदर’ पत्रिका (साप्ताहिक) का पहला अंक प्रकाशित किया गया जो उर्दू में था। 9 दिसंबर, 1913 से यह गुरुमुखी में छपने लगा।
- सिंगापुर के गुरदीत सिंह ने दक्षिण-पूर्व एशिया के 376 भारतीयों को कामागाटामारू जहाज़ से वैंकूवर ले जाने का प्रयास किया किंतु कनाडा के अधिकारियों ने अनुमति नहीं दी।
- यात्रियों के अधिकार के लिये हुसैन रहीम, सोहनलाल और बलवंत सिंह के नेतृत्व में शोर कमेटी का गठन किया गया।
- 1914 में चंपाकरण पिल्लै द्वारा बर्लिन में भारतीय राष्ट्रीय दल की स्थापना की गई थी।
- राजा महेंद्र प्रताप और बरकतुल्ला ने 1915 में अफगानिस्तान के अमीरों की मदद से काबुल में अंतरिम सरकार गठित की।
क्रांतिकारी गतिविधियों का दूसरा चरण (1924-1934)
- असहयोग आंदोलन के अचानक वापस ले लिये जाने के कारण युवाओं में असंतोष की लहर दौड़ गई।
- निराश युवा एक बार फिर से क्रांतिकारी गतिविधियों में संलग्न हो गए।
- उत्तर भारत के क्रांतिकारियों ने 24 अक्तूबर, 1924 को कानपुर में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन किया।
- हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) ने 9 अगस्त, 1925 को काकोरी में 8 डाउन ट्रेन को रोककर लूट-पाट की घटना को अंजाम दिया।
- यह घटना ‘काकोरी कांड’ के नाम से जानी जाती है।
- इस घटना के पश्चात् गिरफ्तार होने वाले क्रांतिकारियों में अशफाकउल्ला खाँ, रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह तथा राजेंद्र लाहिड़ी को फाँसी दे दी गई तथा अन्य को आजीवन कारावास या लंबी सज़ाएँ मिलीं।
- सितंबर 1928 में दिल्ली के फिरोज़शाह कोटला में HRA का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) कर दिया गया।
- 30 अक्तूबर, 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय पर बर्बर लाठी चार्ज और उसके बाद उनकी मौत का बदला लेने के लिये 17 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद एवं राजगुरु ने लाठी चार्ज करने वाले पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या कर दी।
- 8 अप्रैल, 1929 को पब्लिक सेफ्टी बिल तथा ट्रेड डिस्प्यूट बिल के विरोध में भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंका।
- इस बमकांड के आरोप में बटुकेश्वर दत्त तथा भगत सिंह पर मुकदमा चला।
- आगे चलकर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव तथा अन्य क्रांतिकारियों पर लाहौर षड्यंत्र केस के तहत मुकदमा चला तथा भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को 23 मार्च, 1931 को फाँसी दे दी गई।
- जेल में बंद क्रांतिकारियों ने जेल की अमानवीय दशाओं में सुधार तथा स्वयं को राजनीतिक बंदी का दर्जा दिये जाने की मांग करते हुए अनशन कर दिया। अनशन के 64वें दिन 13 सितंबर, 1929 को जतिनदास की मृत्यु हो गई।
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चटगाँव शस्त्रागार हमला, 1930
- बंगाल के क्रांतिकारियों में सूर्य सेन (मास्टर दा) द्वारा स्थापित इंडियन रिपब्लिकन आर्मी (IRA) का विशिष्ट स्थान था।
- इन्होंने चटगाँव के शस्त्रागार पर अधिकार करने तथा चटगाँव का बंगाल से संपर्क
- काटने की कार्यवाही की। इसमें गणेश घोष और लोकीनाथ बाउल सहित 65 क्रांतिकारी शामिल थे।
- बंगाल के इस दौर के क्रांतिकारियों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी थी।
- प्रीतिलता वाडेदार ने रेलवे इन्स्टीट्यूट पर छापा मारा, तथा वह इस दौरान शहीद हो गईं।
- कल्पना दत्त सूर्यसेन के साथ गिरफ्तार हो गई। कोमिल्ला की छात्राओं शांति घोष और सुनीति चौधरी ने जिलाधिकारी की हत्या कर दी।
- बीना दास ने दीक्षांत समारोह में गवर्नर पर गोली चला दी।
अन्य तथ्य
- 1924 में गोपीनाथ साहा द्वारा चार्ल्स टेगार्ट की हत्या का प्रयास किया गया जिसमें साहा को फाँसी दे दी गई।
- 27 फरवरी, 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में एक पुलिस मुठभेड़ में चंद्रशेखर आज़ाद शहीद हो गए।
- 1940 में उधम सिंह ने माइकल ओ डायर की लंदन में हत्या कर दी।
होमरूल लीग आंदोलन
- तिलक ने 16 अप्रैल, 1916 को बेलगाँव में होमरूल लीग का गठन किया।
- इनकी लीग का कार्यक्षेत्र कर्नाटक, महाराष्ट्र (बंबई को छोड़कर), मध्य प्रांत एवं बरार था।
- सितंबर 1916 में एनी बेसेंट ने अपनी लीग का गठन किया।
- इन्होंने जॉर्ज अरुंडेल को लीग का सचिव बनाया तथा अन्य सहयोगी थे-वी. पी. वाडिया एवं सी.पी. रामास्वामी अय्यर।
- एनी बेसेंट ने अपनी लीग का मुख्यालय अड्यार में स्थापित किया।
- एनी बेसेंट की लीग का कार्यक्षेत्र तिलक के कार्यक्षेत्र छोड़कर शेष भारत में था।
- इस आंदोलन के बढ़ते प्रभावों को देखकर सरकार इसके दमन हेतु सक्रिय हुई तथा तिलक पर मुकदमा चलाया गया।
- मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में वकीलों की एक टीम ने तिलक की ओर से मुकदमा लड़ा।
- जून 1917 में एनी बेसेंट, जॉर्ज अरुंडेल एवं वी.पी. वाडिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
- इस गिरफ्तारी के विरोध में सुब्रमण्यम अय्यर ने अपनी ‘नाइट’ की उपाधि त्याग दी थी तथा मदन मोहन मालवीय, सुरेंद्र नाथ बनर्जी तथा मुहम्मद अली जिन्ना जैसे तमाम नरमपंथी नेता लीग में शामिल होने लगे।
- मांटेग्यू घोषणा के चलते सितंबर 1917 एनी बेसेंट को रिहा कर दिया गया तथा दिसंबर 1917 में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में तिलक के प्रस्ताव पर उन्हें अध्यक्ष चुन लिया गया।
लखनऊ अधिवेशन-1916 (कांग्रेस-लीग समझौता)
- 1916 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की।
- इसी अधिवेशन में गरमपंथियों की कांग्रेस में रं पुनर्वापसी हुई (एनी बेसेंट और तिलक के प्रयास से)।
- इसी अधिवेशन में कांग्रेस-लीग समझौता हुआ जिसे लखनऊ पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
- इस समझौते को संपन्न कराने में जिन्ना एवं तिलक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- कांग्रेस-लीग समझौते के तहत कांग्रेस ने पहली बार मुसलमानों के लिये पृथक् निर्वाचन की मांग को औपचारिक तौर पर स्वीकार कर लिया।
- इसी अधिवेशन में राजकुमार शुक्ल की महात्मा गांधी से मुलाकात हुई और उन्होंने चंपारण के किसानों की समस्याओं से महात्मा गांधी को अवगत कराया।