सिख संप्रदाय के गुरु
गुरु | संबंधित तथ्य |
गुरु नानक देव(1539 तक) | 15वीं सदी में सिख संप्रदाय की स्थापना। जन्म स्थान- तलवंडी (पाकिस्तान) बाबर और हुमायूँ के समकालीन। गुरु का लंगर (निःशुल्क भोजन) तथा संगत सभा की स्थापना। |
गुरु अंगद (1539-1552) | गुरुमुखी लिपि के जनक |
गुरु अमरदास (1552-1574) | विवाह पद्धति ‘लवन’ का प्रचलन। मुगल शासक अकबर द्वारा इनकी बेटी बीबी भानी को कई गाँव दान स्वरूप प्राप्त। |
गुरु रामदास(1574-1581) | गुरु अमरदास के दामाद। अकबर द्वारा दी गई ज़मीन पर ‘अमृतसर’ नामक जलाशय कानिर्माण। अमृतसर शहर की स्थापना। |
गुरु अर्जनदेव (1581-1606) | 1604 में आदिग्रंथ का संकलन जिसमें गुरुनानक की प्रार्थनाएँ एवं गीत संकलित। अमृतसर जलाशय के बीच में हर मंदिर साहब (स्वर्ण मंदिर) का निर्माण। मुगल राजकुमार खुसरो की सहायता के कारण जहाँगीर द्वारा मृत्युदंड। |
गुरु हरगोविंद (1606-1644) | ‘अकाल तख्त’ (ईश्वर का सिंहासन) की स्थापना। दो तलवार बाँधते थे। सिखों को एक लड़ाकू समुदाय के रूप में संगठित किया। |
गुरु हरराय (1644-1661) | सिखों के सातवें गुरु |
गुरु हरकिशन (1661-1664) | इनकी मृत्यु चेचक से हो गई थी। |
गुरु तेगबहादुर (1664-1675) | इस्लाम स्वीकार न करने के कारण औरंगज़ेब ने वर्तमान शीशगंज गुरुद्वारे के निकट मरवा दिया। |
गुरु गोविंदसिंह (1675-1708) | सिखों के दसवें और अंतिम गुरु। जन्म स्थान पटना (1666 ई.)। स्वयं को सच्चा पादशाह कहा। ‘पाहुल प्रणाली’ की शुरुआत। खालसा पंथ (1699) की स्थापना। सिखों के लिये पाँच ककार (केश, कंघा, कृपाण, कच्छा, कड़ा) अनिवार्य किया। सिखों को एक राजनीतिक व फौजी ताकत के रूप में उभारा। ‘कृष्णावतार’ तथा ‘ज़फरनामा’ की रचना। ‘विचित्रनाटक’ इनकी आत्मकथा का नाम। 1708 में नांदेड़ (महाराष्ट्र) में गुल खाँ नामक पठान द्वारा हत्या। गुरुपद की समाप्ति तथा आदिग्रंथ (गुरुग्रंथ साहिब) को ही गुरु घोषित कर दिया। |
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महत्त्वपूर्ण शब्दावली
उमरा– अमीर का बहुवचन; अमीर का अर्थ है, शासक अथवा सेनानायक ।
कलंदर– मुस्लिम फकीरों का एक वर्ग जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते रहते थे व भिक्षाटन के ज़रिये अपना गुजर-बसर करते थे।
खराज– भू-राजस्व, एक अधीनस्थ शासक द्वारा पेश किया जानेवाला नज़राना।
खानकाह – सूफियों का निवास-स्थान।
चराई– मवेशी पर लगाया जानेवाला एक कर।
जज़िया– दो अर्थ हैं- (क) दिल्ली सल्तनत के साहित्य में कोई भी ऐसा कर जो ख़राज अथवा भूमि- -कर नहीं है; (ख) शरीयत में; गैर-मुसलमानों पर व्यक्तिगत एवं वार्षिक कर।
ज़वाबित– राजकीय कानून।
जागीर- राज्य द्वारा एक सरकारी अधिकारी को दिया गया भू-भाग।
इदरार– विद्वानों तथा धार्मिक लोगों को दी जानेवाली आर्थिक सहायता।
उस्र– इस्लामी राज्य में मुसलमानों की कृषि भूमि को उसी भूमि कहते थे। उसी भूमि पर लिये जानेवाले लगान को उम्र कहते थे।
ज़कात– एक प्रकार का कर जो मुसलमानों को अपनी धन-संपत्ति पर देना पड़ता था।
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- यह कर मुसलमानी राज्य में भी केवल मुसलमानों से लिया जाता था।
- जिन वस्तुओं पर ज़कात लगता था उनमें सोना, चांदी, पशु तथा व्यापार आदि प्रमुख थे।
फवाज़िल /फाज़िल – अधिशेष भू-राजस्व
हशमे अतराफ– प्रांतों की सेना
हशमे कल्ब – दिल्ली की सेना ।
नवीसंदा– लिपिक
बंजारा– अनाज व्यापारी
मदद-ए-माश– धार्मिक अथवा सुपात्र व्यक्तियों को भूमि अथवा पेंशन का अनुदान
मलिकुत-तुज़्ज़ार– शाब्दिक अर्थ; व्यापारियों का प्रधान; राज्य के सर्वोच्च अधिकारियों में से किसी एक को दी जानेवाली उपाधि
सदा– शाब्दिक अर्थ: एक सौ; ‘सदा अमीर’ पद का अर्थ था ऐसा अधिकारी जो लगभग एक सौ गाँवों वाले भू-क्षेत्र का नियंत्रण करता था।
समा– सूफियों का विशिष्ट संगीत
सराय-अदल– कपड़े एवं अन्य विशिष्ट वस्तुओं के विक्रय हेतु दिल्ली में अलाउद्दीन ख़िलजी के समय बाज़ार को दिया गया नाम।
सर्राफ – मुद्रा विनिमयकर्त्ता, महाजन