उत्तरी मैदान

उत्तरी मैदान

  • यह मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों- सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों के जलोढ़ निक्षेप से निर्मित है।
  • यह मैदान लगभग 3200 किमी. लंबा एवं 150 से 300 किमी. चौड़ा है।
  • यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है, जो समृद्ध मृदा आवरण. पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है।
  • उत्तरी मैदान मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित है-
  • उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। सिंधु तथा सहायक नदियों द्वारा निर्मित इस मैदान का अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान में है। मैदान के इस भाग में दोआबों की संख्या अधिक है।
  • दोआब का सामान्य अर्थ दो नदियों के मध्य के भाग से है।
  • रावी व चिनाब के बीच रचना दोआब, व्यास व सतलज के मध्य बिस्ट दोआब, चिनाब – झेलम के मध्य चाज या छाज दोआब,व्यास-रावी के मध्य बारी दोआब तथा सिंधु-झेलम के मध्य सिंधु सागर दोआब
  • ब्रह्मपुत्र का मैदान हिमालय पर्वत तथा मेघालय पठार के मध्य विस्तृत है।
    • ब्रह्मपुत्र व सहायक नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के निक्षेपण से इस मैदान का विकास हुआ है। इस क्षेत्र में कई नदी द्वीप हैं।
    • माजुली (असम) विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप है, जो असम राज्य में स्थित है।
    • यह भारत का पहला द्वीपीय जिला (Island District) भी है।
  • गंगा का मैदान गंगा के हिमालयी तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र की सहायक नदियों के अवसादों से निर्मित है।

आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को चार भागों में विभाजित किया गया है

हमारा YouTube Channel, Shubiclasses अभी Subscribe करें !

भाबर का मैदान

  • यह शिवालिक के पर्वतपदीय क्षेत्र में 8 से 10 किमी. की चौड़ाई में फैला है।
  • यहाँ नदियाँ मुख्यतः कंकड़-पत्थर के द्वारा जलोढ़ पंख एवं जलोढ़ शंकु का निर्माण करती हैं, जिनके आपस में मिलने के कारण भाबर के मैदान का निर्माण हुआ है।
  • भाबर के मैदान में पारगम्यता अधिक होने के कारण नदियाँ विलुप्त हो जाती हैं।

तराई का मैदान

  • यह भाबर के दक्षिण में 10 से 20 किमी. की चौड़ाई में फैला है।
  • भाबर प्रदेश में विलुप्त नदियाँ यहाँ धरातल पर प्रकट होती हैं, जिसे तराई कहते हैं।
  • नदियों के जल फैलाव के कारण तराई प्रदेश में अनेक दलदली क्षेत्रों का निर्माण हुआ है, जो जैव-विविधता के विकास हेतु अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराते हैं।

बांगर का मैदान

  • यह पुराने जलोढ़ से निर्मित मैदान है जिसका विस्तार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है।
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मैदान निर्माण में बालू के निक्षेपण द्वारा कटकनुमा स्थलाकृति का विकास हुआ है जिसे भूड़ (Bhur) के नाम से जाना जाता है।

खादर का मैदान

  • यह मैदान पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं असम में स्थित है।
  • लगभग प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होने के कारण इस मैदान में नवीन जलोढ़ का निक्षेप पाया जाता है।
  • मध्य गंगा के मैदान में नदियों के निकट समानांतर रूप से स्थित निम्न भूमि को ‘टाल भूमि’ या ‘चौड़ी भूमि’ के नाम से जाना जाता है जो वर्ष के अधिकांश महीनों में जलमग्न रहती हैं।
  • डेल्टाई प्रदेश में अनेक झीलें पाई जाती हैं जिन्हें ‘बील’ के नाम से जाना जाता है।
  • डेल्टा, नदी के मुहाने पर नदियों के अवसादों से निर्मित द्वीपनुमा आकृति है।

Leave a comment