वायुमंडल क्या है? वायुमंडल की परतें कितनी होती है?

वायुमंडलः संघटन एवं संरचना

  • पृथ्वी चारों ओर से गैसों के आवरण से घिरी हुई है जिसे ‘वायुमंडल’ कहते हैं।
  • यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल कारण इससे बंधा हुआ है। यह सभी जैव एवं अजैव घटकों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • यह सौर विकिरण की लघु तरंगों के लिये पारगम्य होता है, जबकि पार्थिव विकिरण के रूप में दीर्घ तरंगों के लिये अपारगम्य ।
  • इस प्रक्रिया द्वारा यह एक काँच घर की तरह कार्य करता है तथा पृथ्वी के औसत तापमान (लगभग 15°C) को नियंत्रित रखता है।
  • वायुमंडल विभिन्न गैसों, जलवाष्प तथा धूलकणों का सम्मिश्रण है।
  • इसकी सघनता वायुमंडल के निचले भाग में अधिक है तथा यह ऊँचाई के साथ विरल होती जाती है। जो लगभग 300 किमी तक मौजूद है।
  • वायुमंडल में जलवाष्प पृथ्वी की निचली परत में ही लगभग 8 किमी. की ऊँचाई तक मिलता है।
  • ध्रुवीय क्षेत्रों में जलवाष्प की मात्रा नगण्य होती है। वायुमंडल को गर्म रखने में जलवाष्प की प्रमुख भूमिका होती है।
  • धूलकण आर्द्रताग्राही होते हैं तथा ये जलवाष्प के लिये आधार का काम करते हैं।
  • ये प्रकाश के प्रकीर्णन में सहायक होते हैं। इनकी उपस्थिति में घना कुहरा-कुहासा की उत्पत्ति होती है।

तापमान तथा अन्य घटकों के आधार पर वायुमंडल को विभिन्न 5 संस्तरों में बाँटा जाता है

हमारा YouTube Channel, Shubiclasses अभी Subscribe करें !

क्षोभमंडल (Troposphere)

  • यह वायुमंडल की सबसे निचली परत है जिसकी औसत ऊँचाई 13 किमी. है और जो ध्रुवों पर 8 किमी. तथा संवहनीय धाराओं के कारण विषुवत् रेखा पर 18 किमी. है।
  • प्राति 165 मीटर ऊँचाई के साथ यहाँ तापमान 1°C घटता जाता है, जिसे ‘सामान्य ताप ह्रास दर’ कहते हैं।
  • समस्त मौसमी घटनाएँ इसी मंडल में होने के कारण यह मंडल वायु यातायात के लिये उपयुक्त नहीं माना जाता है।
  • वायुमंडल के 75% तत्त्वों तथा वायुमंडल का सर्वाधिक सघन संस्तर इसी मंडल में है।
  • क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा जो क्षोभ सीमा कहलाती है पर विषुवत् रेखा पर तापमान – 80°C होता है, तथा ध्रुवों पर 45°C होता है।

समतापमंडल (Stratosphere)

  • यह क्षोभ सीमा द्वारा क्षोभमंडल से अलग होता है। यह 50 किमी. ऊँचाई तक विस्तृत है।
  • समतापमंडल में ओजोन गैस के कारण ऊँचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है।
  • समतापमंडल में पाई जाने वाली ओजोन (O,) परत सूर्य से आने वाले विकिरणों की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है।
  • पराबैंगनी किरणों का सीधा संपर्क त्वचा कैंसर तथा आँखों की क्षति का कारण बनता है।
  • यह मंडल मौसमी घटनाओं व बादलों से मुक्त होने के कारण वायु यातायात के लिये आदर्श माना जाता है।
  • इसकी ऊपरी सीमा को समताप सीमा (Stratopause) कहते हैं।

मध्यमंडल (Mesosphere)

  • इसका विस्तार समतापमंडल के ठीक ऊपर 80 किमी. की ऊँचाई तक है। यहाँ ऊँचाई के साथ तापमान में कमी आती है, जो 80 किमी.की ऊँचाई पर घटकर – 100°C हो जाता है। इसकी ऊपरी सीमा को
  • मध्य सीमा कहते हैं। वायुमंडल में प्रविष्ठ उल्का पिंड इसी मंडल में जल कर नष्ट हो जाते हैं।

आयनमंडल (Ionosphere)

  • यह तापमंडल (Thermosphere) का ही एक भाग है।
  • इसका विस्तार 80 किमी. से 400 किमी. के बीच पाया जाता है।
  • इसमें विद्युत आवेशित कण पाए जाते हैं, जिन्हें आयन कहते हैं।
  • पृथ्वी से भेजी गई रेडियो तरंगें इस संस्तर से वापस लौट आती हैं जिससे पृथ्वी पर रेडियो एवं टेलीविज़न का प्रसारण सुगम होता है।
  • यहाँ ऊँचाई के साथ तापमान में वृद्धि दर्ज की जाती है।
  • यहाँ ध्रुवीय प्रकाश (Aurora) की उपस्थिति होती है।
  • जो उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Borealis) एवं दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Australis) के रूप में होती है।

बहिर्मंडल (Exosphere)

  • यह सामान्यतः 400 किमी. की ऊँचाई के बाद वायुमंडल की सबसे ऊपरी एवं अत्यंत विरल संस्तर है।

Leave a comment