भू-पटल परिवर्तनकारी बल क्या होता है?

  • भू-पटल में परिवर्तन लाने वाले बलों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है

अंतर्जात बल

  • पृथ्वी में आंतरिक परिवर्तनों के फलस्वरूप उत्पन्न बल जो भू-पटल पर विषमताओं के लिये उत्तरदायी होता है।
  • इसके अंतर्गत आकस्मिक बल, जैसे-ज्वालामुखी, भूकंप, भूस्खलन आदि तथा पटल विरूपक बल, जैसे-महाद्वीपीय जनक बल तथा पर्वत निर्माणकारी बल आदि आते हैं। पर्वत निर्माणकारी बलों में तनाव बल, जैसे- भृंग, चटकन तथा दरार बल आदि एवं संपीडन बल, जैसे- वलन तथा संवलन बल आते हैं।

बहिर्जात बल

  • पृथ्वी की सतह पर उत्पन्न होने वाले बल जिनका भू-पटल पर प्रमुख कार्य अनाच्छादन होता है, बहिर्जात बल कहलाते हैं।
  • अनाच्छादन के अंतर्गत अपक्षय तथा अपरदन की क्रियाएँ आती हैं।

हमारा YouTube Channel, Shubiclasses अभी Subscribe करें !

भ्रंश (Faults)

  • जब भू-पटल में तनाव या संपीडन बल के कारण एक तल के सहारे दरार उत्पन्न हो, तब चट्टानों के स्थानांतरण से उत्पन्न संरचना को भ्रंश (Fault) कहते हैं। भ्रंशन से कई प्रकार की स्थलाकृतियों का विकास होता है, जैसे

भ्रंश घाटी (Rift Valley) क्या होती है?

  • जब दो भ्रंश रेखाओं के बीच का चट्टानी भाग नीचे धँस जाता है तो उसे भ्रंश घाटी कहते हैं।
  • उदाहरण- अफ्रीका की महान भ्रश घाटी, जर्मनी की राइन भ्रंश घाटी, संयुक्त राज्य अमेरिका की मृतक घाटी या डेथ वैली, भारत की नर्मदा व ताप्ती नदी घाटी आदि।

रैम्प घाटी (Ramp Valley)

  • जब दो भ्रंश रेखाओं के दोनों ओर के भूखंड ऊपर की ओर उठ जाते हैं तथा मध्यवर्ती खंड यथावत रहता है तो ऐसी घाटी को रैम्प घाटी कहते हैं। उदाहरण- ब्रह्मपुत्र नदी घाटी ।

भ्रंशोत्थ पर्वत (Block Mountain)

  • जब दो भ्रंशों के बीच का भाग यथावत् रहता है तथा किनारे के भाग नीचे धँस जाते हैं तो ऊँचे उठे भाग को भ्रंशोत्थ पर्वत कहते हैं।
  • उदाहरण- जर्मनी में ब्लैक फॉरेस्ट एवं भारत का सतपुड़ा पर्वत।

हॉर्स्ट पर्वत (Horst Mountain )

  • जब दो भ्रंशों के किनारे के भाग यथावत रहें एवं बीच का भाग ऊपर उठ जाए तो हॉर्स्ट पर्वत का निर्माण होता है।

वलन (Fold)

  • अंतर्जात बलों के क्षैतिज संचलन द्वारा धरातलीय चट्टानों में संपीडन के परिणामस्वरूप लहरों के रूप में पड़ने वाले मोड़ों को ‘वलन’ कहा जाता है।
  • वलन के कारण चट्टानों के ऊपर उठे भाग को अपनति तथा धँसे हुए भाग को अभिनति कहा जाता है।
  • चट्टानों में निर्मित अपनति तथा अभिनति की एक-दूसरे के सापेक्ष विभिन्न प्रकार की स्थितियों के आधार पर इन्हें विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।

भूकंप (Earthquake)

  • सामान्यतः पृथ्वी के अंतर्जात बल से भू-पटल में उत्पन्न होने वाले कंपन को भूकंप कहते हैं।
  • भूकंप के उत्पत्ति केंद्र को ‘भूकंप मूल’ (Focus) कहते हैं।
  • भूकंप केंद्र के ठीक ऊपर भूतल पर स्थित स्थान जहाँ सर्वप्रथम भूकंपीय तरंगों का अनुभव किया जाता है भूकंप केंद्र (Epicentre) कहलाता है।

भूकंपीय तरंगें क्या होती है ?

  • सिस्मोग्राफ द्वारा रेखांकित भूकंपीय तरंगों के लक्षण ठोस एवं द्रव चट्टानी संरचना में भिन्न-भिन्न होने से हमें भूगर्भ में चट्टानों की भिन्नता की जानकारी प्राप्त होती है।
  • भूकंपीय तरंगें तीन प्रकार की होती हैं- P-तरंगें, S-तरंगें तथा L-तरंगें।
  • इनका विवरण निम्नलिखित सारणी के माध्यम से समझा जा सकता है।
P-तरंगें (P-Waves) S-तरंगें (S-Waves) L-तरंगें (L-Waves)
अन्य नाम प्राथमिक तरंगें (Primary Waves /Pressure Waves) द्वितीयक या गौण तरंगें

(Secondary Waves)

पृष्ठीय या सतही तरंगें

(Surface Waves)

गति/चाल सर्वाधिक P-तरंगों से कम सबसे कम
आवृत्ति सर्वाधिक मध्यम सबसे कम
संचरण का माध्यम ठोस, तरल और गैस केवल ठोस यह धरातल के समीप ही चलती है।
तरंगों की प्रकृति

 

अनुदैर्ध्य (Longitudinal) (कणों का कंपन तरंग की दिशा के समानांतर) अनुप्रस्थ (Transverse) (कणों का कंपन तरंग की दिशा के लंबवत्) अनुदैर्ध्य और अनुप्रस्थ

 

सादृश्यता ध्वनि तरंगों के समान प्रकाश तरंगों के समान जल तरंगों के समान
तीव्रता सबसे कम P की अपेक्षा अधिक सबसे अधिक
आयाम / विस्तार सबसे कम मध्यम सर्वाधिक (इसलिये सर्वाधिक विनाशकारी)

 

भू-पर्पटी पर P, S और L तीनों तरंगों का प्रभाव महसूस होता है। P तरंगों की गति कोर में अत्यधिक होती है, क्योंकि कोर का निर्माण लोहा (Fe) व निकेल (Ni) से हुआ है, जबकि दुर्बल मंडल में P एवं S तरंग का वेग कम हो जाता है परंतु मध्य मंडल में पुनः तीव्र हो जाता है। भूकंपीय छाया क्षेत्र : ये वैसे क्षेत्र हैं जहाँ भूकंपीय तरंगों का प्रभाव नहीं होता है। एक भूकंप का छाया क्षेत्र दूसरे भूकंप के छाया क्षेत्र से भिन्न होता है। ‘S’ तरंगों का छाया क्षेत्र ‘P’ तरंगों के छाया क्षेत्र से अधिक विस्तृत होता है।

भूकंप का विश्व वितरण

परिप्रशांत मेखलाः

  • यह विश्व की सबसे विस्तृत भूकंप एवं ज्वालामुखी पेटी है जिसमें विश्व के 50 प्रतिशत से अधिक भूकंपीय क्षेत्र सम्मिलित हैं। इस पेटी के भूकंपीय क्षेत्रों में अलास्का, फिलीपींस, न्यूज़ीलैंड, जापान आदि शामिल हैं। इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ भी कहते हैं।

मध्य महाद्वीपीय मेखलाः

  • यह विश्व की दूसरी बड़ी भूकंपीय पेटी है। नवीन मोड़दार पर्वत हिमालय, आल्प्स, कॉकेशस, पिरेनीज तथा भूमध्य सागर आदि इसी पेटी में अवस्थित हैं।

मध्य अटलांटिक पेटी:

  • यह पेटी मध्य अटलांटिक महासागर में आइसलैंड से लेकर वोवेट द्वीप तक विस्तृत है।
  • अन्य भूकंपीय क्षेत्रों में पूर्वी अफ्रीका की दरार घाटी प्रमुख है।

भारत का भूकंप क्षेत्र

  • भारतीय मानक ब्यूरो ने भूकंपीय तीव्रता की दृष्टि से भारत को चार प्रमुख क्षेत्रों (Zones) में विभाजित किया है
  • ज़ोन V- मरकेली स्केल पर 9 या 9 से अधिक तीव्रता का भूकंपीय क्षेत्र जिसमें संपूर्ण पूर्वोत्तर राज्य, कश्मीर, हिमाचल तथा उत्तराखंड के हिमालय से सटे जिले, उतरी बिहार तथा अंडमान निकोबार शामिल हैं।
  • ज़ोन-IV- मरकेली स्केल पर 8 की तीव्रता तक को भूकंपीय क्षेत्र जम्मू-कश्मीर, हिमाचल तथा उत्तराखंड के शेष भाग, दिल्ली, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, गुज़रात का कच्छ क्षेत्र, महाराष्ट्र तथा राजस्थान के कुछ भाग शामिल हैं।
  • जोन-III- मरकेली स्केल पर 7 की तीव्रता तक क्षेत्र जिसमें उत्तर प्रदेश, गुज़रात, पश्चिम बंगाल के बचे हुए भाग, दक्षिण भारत के राज्य, ओडिशा तथा लक्षद्वीप समूह शामिल हैं।
  • ज़ोन-II- मरकेली स्केल पर 6 या 6 से कम तीव्रता के क्षेत्र जिसमें देश के बचे हुए भाग शामिल हैं।

भूकंपीय तरंगों का मापन

  • भूकंपीय तरंगों की तीव्रता जिस संवेदनशील यंत्र द्वारा मापी जाती है उसे भूकंपलेखी या ‘सिस्मोग्राफ’ कहते हैं।
  • भूकंप की तीव्रता (Intensity) को मरकेली स्केल द्वारा मापा जाता है जबकि भूकंप का परिमाण (Magnitude) रिक्टर स्केल द्वारा मापा जाता है।
  • रिक्टर स्केल में 0 से 9 तक की संख्या होती है। जबकि मरकेली स्केल पर 1 से 12 तक की।
  • रिक्टर स्केल का प्रत्येक स्तर पिछले की तुलना में 10 गुना ज्यादा तीव्रता का होता है।

ज्वालामुखी (Volcano)

  • ज्वालामुखी का उद्भेदन मुख्यतः दो रूपों- केंद्रीय उद्भेदन तथा दरारी उद्भेदन में होता है।

केंद्रीय उद्भेदन

  • ऐसे उद्भेदन वाले ज्वालामुखी में लावा का निष्कर्षण एक छिद्र से होता है जिससे लावा शंकु या गुंबद का निर्माण होता है।
  • ऐसे ज्वालामुखी सामान्यतः विनाशकारी प्रकृति के होते हैं। जैसे- पीलियन तुल्य ज्वालामुखी।
  • ज्वालामुखी लावा के उद्गार की घटती तीव्रता के आधार पर ज्वालामुखी शंकु को पीलियन, वल्कैनियन, स्ट्राम्बोली तथा हवाईतुल्य प्रकारों में बाँटा गया है।

दरारी उद्भेदन

  • ऐसे उद्भेदन वाले ज्वालामुखी से लावा किसी दरार या दरारों से निःसृत होता है। यह दूर तक बहकर कम ऊँचाई के ज्वालामुखी भू-दृश्यों का निर्माण करता है।
  • दक्कन का लावा पठार, ब्राज़ील के पराना का पठार, कोलंबिया का पठार आदि दरारी ज्वालामुखी उद्भेदन के सर्वोत्तम उदाहरण हैं।
  • क्रियाशीलता के आधार पर ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते हैं सक्रिय ज्वालामुखी, सुसुप्त ज्वालामुखी तथा शांत (मृत) ज्वालामुखी।
 

                       प्रमुख ज्वालामुखी

स्ट्रॉम्बोली– इटली के सिसली द्वीप के उत्तर में स्थित सक्रिय ज्वालामुखी, इसे भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ भी कहते हैं।

माउंट एटना– इटली के सिसली द्वीप में स्थित सक्रिय ज्वालामुखी।

विसुवियस – इटली में स्थित सुषुप्त ज्वालामुखी।

कोटोपैक्सी– इक्वाडोर में स्थित सक्रिय ज्वालामुखी।

फ्यूजीयामा जापान का सुषुप्त ज्वालामुखी।

क्राकातोआ– जावा व सुमात्रा के मध्य स्थित सक्रिय ज्वालामुखी।

चिंबाराजो– इक्वाडोर स्थित शांत ज्वालामुखी।

माउंट पोपा– म्याँमार स्थित शांत ज्वालामुखी।

एकांकागुआ– चिली अर्जेंटीना के मध्य स्थित शांत ज्वालामुखी,एंडीज की सर्वोच्च चोटी।

माउंट कैमरून– अफ्रीका का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत।

ओजोस डेल सलाडो– चिली व अर्जेंटीना की सीमा पर स्थित विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी। (कुछ स्रोतों में कोटोपैक्सी सबसे ऊँचा)

माउंट हेक्ला व लाकी– आइसलैंड में स्थित ज्वालामुखी।

माउंट किलिमंजारो– तंज़ानिया के क्षेत्र में अवस्थित अफ्रीका का सबसे ऊँचा सुषुप्त ज्वालामुखी पर्वत

मोनालोआ– यू.एस.ए. के हवाई द्वीप में स्थित ज्वालामुखी।

माउंट ताल, माउंट मेयान, माउंट पिनाटुबो– फिलीपींस स्थित ज्वालामुखी पर्वत।

देमबंद– एल्बुर्ज पर्वत की सर्वोच्च चोटी (ईरान) ।

माउंट सेंट हेलेंस– सं. रा. अमेरिका में स्थित ज्वालामुखी।

 

धुआँरा (Fumaroles)

  • पृथ्वी की सतह पर स्थित छिद्र जिनसे जलवाष्प तथा ज्वालामुखी गैसें उत्सर्जित होती रहती हैं, धुआँरा कहलाते हैं। धुआँरे से जलवाष्प के साथ-साथ कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैसें भी निकलती हैं। ऐसे धुआँरे जिनसे सल्फर डाइऑक्साइड गैसें ज़्यादा मात्रा में निकलती हैं, सोल्फाटारा कहलाते हैं। विश्व के प्रमुख धुआँरों में अलास्का की कटमई ज्वालामुखीघाटी जिसे ‘दस हज़ार धुआँरों की घाटी’ भी कहते हैं तथा ईरान का ‘कोह-ए-सुल्तान’ आदि हैं।

नोट: कुछ मानक स्रोतों में कोह-ए-सुल्तानको पाकिस्तान में स्थित बताया गया है।

गर्म जल का झरना /कुंड (Hot Spring)

भू-तापीय ऊर्जा द्वारा गर्म हुए जल से निर्मित झरना या कुंड। ऐसे कुंड सामान्यतः ज्वालामुखी बहुल क्षेत्रों में मैगमा द्वारा या संवहनीय धाराओं द्वारा भूजल के गर्म होकर बाहर आने से निर्मित होते हैं, जैसे- राजगीर का ब्रह्म कुंड एवं सीता कुंड, हिमाचल में मणिकर्ण एवं वशिष्ठ कुंड, ओडिशा का अत्रि एवं तप्त पानी कुंड, मध्य प्रदेश का अनहोनी कुंड आदि।

अनाच्छादन (Denudation)

बहिर्जात बलों द्वारा संचालित ऐसी प्रक्रियाएँ जो भू-पटल पर परिवर्तन लाने का कार्य करती हैं। इसके अंतर्गत धीमी गति से पृथ्वी के ऊपरी परत की चट्टानों का कटाव एवं क्षरण होता है। इसमें निम्न दो प्रक्रिया शामिल हैं

अपक्षय (Weathering)

  • अपक्षय एक स्थैतिक क्रिया है जिसमें चट्टानों का क्रमशः भौतिक एवं रासायनिक कारकों के प्रभाव में अपने ही स्थान पर विघटन एवं वियोजन होता रहता है।
  • विघटन एवं वियोजन में भाग लेने वाले कारकों को तीन प्रकारों में वर्गीकृत करते हैं आधार पर अपक्षय
  • भौतिक अपक्षय, जैसे- विखंडन तथा अपशलकन की क्रियाएँ आदि।
  • रासायनिक अपक्षय, जैसे-विलयन, कार्बोनेटीकरण, ऑक्सीकरण एवं जलयोजन की क्रियाएँ आदि।
  • जैव अपक्षय, जैसे- जीवों व वनस्पतियों द्वारा विघटन या वियोजन आदि।

अपरदन (Erosion)

  • ‘अपरदन’ एक गतिक क्रिया है जिसमें बाह्य बलों द्वारा भू-पटल की चट्टानों को घर्षित, अपघर्षित तथा सन्निघर्षित कर छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर उन्हें स्थानांतरित एवं निक्षेपित करना शामिल है। इसके द्वारा उच्चावचों का निम्नीकरण होता है। अपरदन के प्रक्रमों में नदी, हिमानी, सागरीय तरंग, पवन आदि शामिल होते हैं, जो अपरदनात्मक व निक्षेपणात्मक भू-दृश्यों का जनन करते हैं।

           विश्व के पर्वत श्रृंखलाओं की सूची

1. कॉर्डिलेरा डी लॉस एन्डिस

स्थान: पश्चिमी दक्षिण अमेरिका

सर्वोच्च चोटी: आकोंकागुआ या आकोंकाग्वा

 

2. रॉकी पर्वत

स्थान: पश्चिमी दक्षिण अमेरिका

सर्वोच्च चोटी: माउंट अल्बर्ट

3. हिमालय-काराकोरम-हिंदूकुश

स्थान: दक्षिण मध्य एशिया

सर्वोच्च चोटी: माउंट एवेरेस्ट

 

4. ग्रेट डिविडिंग रेंज

स्थान: पूर्वी ऑस्ट्रेलिया

सर्वोच्च चोटी: माउंट कोस्सिउसको

5. ट्रांस अंटार्कटिका पर्वत

स्थान: अंटार्कटिका

सर्वोच्च चोटी: माउंट विन्सन मासिफ

 

6. तिएन शान

स्थान: दक्षिण मध्य एशिया

सर्वोच्च चोटी: माउंट पाइक पोवेदा

7. अल्ताई

स्थान: मध्य एशिया

सर्वोच्च चोटी: माउंट गोरा वेलुखा

 

8. यूराल

स्थान: मध्य रूस

सर्वोच्च चोटी: माउंट गोरा नॉर्डनया

 

9. कमचटका

स्थान: पूर्वी रूस

सर्वोच्च चोटी: माउंट क्लेचशेकाया सोपका

10. एटलस

स्थान: उत्तर-पश्चिम अफ्रीका

सर्वोच्च चोटी: माउंट जेबेल टौक्काल

 

11. वेर्खोयांस्क

स्थान: पूर्वी रूस

सर्वोच्च चोटी: माउंट गोरा मास खाया

12. पश्चिमी घाट

स्थान: पश्चिमी भारत

सर्वोच्च चोटी: माउंट अनामुड़ी

13. सिएरा मेड्रे ओरिएंटल

स्थान: मेक्सिको

सर्वोच्च चोटी: माउंट ओरिजावा

 

14. जाग्रोस

स्थान: ईरान

सर्वोच्च चोटी: माउंट ज़द कुह

 

15. अलबुर्ज़

स्थान: ईरान

सर्वोच्च चोटी: माउंट दमावंद

 

16. स्कैंडिनेवियन रेंज

स्थान: पश्चिमी नॉर्वे

सर्वोच्च चोटी: माउंट गल्धोपिजें

 

17. पश्चिमी सिएरा माद्री

स्थान: मेक्सिको

सर्वोच्च चोटी: माउंट नेवादो डे कोलिमा

 

18. ड्रैकेंसबर्ग

स्थान: दक्षिण पूर्व अफ्रीका

सर्वोच्च चोटी: माउंट द्वानायेंतालेंयाना

 

19. काकेशस

स्थान: रूस

सर्वोच्च चोटी: माउंट एल्ब्रस (पश्चिमी चोटी)

 

20. अलास्का रेंज

स्थान: अलास्का, अमेरिका

सर्वोच्च चोटी: माउंट मैककिनले (दक्षिणी चोटी)

 

21. कैसकेड रेंज

स्थान: अमेरिका-कनाडा

सर्वोच्च चोटी: माउंट रेनियर

22. अपेंनिने

स्थान: इटली

सर्वोच्च चोटी: माउंट कॉर्न ग्रांडे

 

23. अप्पलाचियन

स्थान: पूर्वी अमेरिका-कनाडा

सर्वोच्च चोटी: माउंट मिशेल

 

24. ऐल्प्स

स्थान: मध्य यूरोप

सर्वोच्च चोटी: माउंट ब्लैंक

25. सिएरा मेड्रे डेल सुर

स्थान: मेक्सिको

सर्वोच्च चोटी: माउंट तिओपेक

 

 

  विश्व के महत्त्वपूर्ण पठार

 

             विश्व के महत्त्वपूर्ण पठार

पठार                                         देश

1.     कोलंबिया-स्नेक का पठार                  यू.एस.ए

2.     कोलरैडो का पठार                        यू.एस.ए.

3.     कंबरलैंड का पठार                        यू.एस.ए.

4.     लॉरेशिया का पठार                      कनाडा

5.     किंबरले का पठार                       ऑस्ट्रेलिया

6.     तिब्बत का पठार                       चीन

7.     बोगोटा का पठार                       कोलंबिया

8.     दक्कन का पठार                         भारत

9.     एबीसीनियन पठार                      इथियोपिया

10.एशिया माइनर ,अनातोलिया का पठार          तुर्की

Leave a comment