5G स्पेक्ट्रम की नीलामी पूरी, सरकार के खजाने में आए 1.5 लाख करोड़ रुपये

5G स्पेक्ट्रम

चर्चा क्यों हो रही है 5G स्पेक्ट्रम की ?

हाल ही में भारत सरकार ने 1.5 लाख करोड़ की 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी की है जिसके बाद से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि देश में जल्द ही 5G सेवा शुरू होगी। 

आइये जानते हैं स्पेक्ट्रम क्या होता है?

जैसा कि हम जानते हैं कि उर्जा तरंगों के रूप में ट्रेवल करती है । इन्हीं तरंगों को इलेक्ट्रोमेग्नेटिक तरंग कहते हैं । इलेक्ट्रोमेग्नेटिक या विद्युतचुंबकीय तरंगों को कई आवृत्तियों में विभाजित किया जा सकता है । इन सभी तरंगों को एक साथ मिलाकर इलेक्ट्रोमेग्नेटिक स्पेक्ट्रम के रूप में देखा जाता है । इलेक्ट्रोमेग्नेटिक तरंग किसी भी माध्यम से ट्रेवल कर सकती हैं । जैसे– हवा ,पानी ,ठोस,गैस और वैक्यूम स्पेस आदि। दुनिया भर में समग्र वायरलेस संचार ‘रेडियो वेव्स’ के माध्यम से होता है । रेडियो स्पेक्ट्रम की सीमा 3 किलोहार्ट्ज से 3000 किलिहार्ट्ज तक होती है । रेडियो स्पेक्ट्रम में केवल सीमित संख्या में आवृत्तियां या फ्रीक्वेंसी शामिल होती है । यह दूरसंचार ऑपरेटर डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाते हैं ।

स्पेक्ट्रम की नीलामी क्यों होती है ?

  • रेडियो स्पेक्ट्रम पर सिग्नल एक ही समय में अलग-अलग आवृत्तियों पर भेजा जा सकता है।
  • इससे रेडियो कम्युनिकेशन में समस्या पैदा हो सकती है। जैसे– मोबाइल का सिग्नल एंड्राइड टीवी पर जा सकता है। 
  • इस समस्या से बचने के लिए सरकार द्वारा स्पेक्ट्रम को ‘बैंड ’ में विभाजित किया जाता है।
  • अलग-अलग तकनीकों के लिए अलग-अलग बैंड निर्धारित किए जाते हैं।
  • रेडियो – 100 मेगाहर्ट्ज– 200मेगाहर्ट्ज
  • दूरसंचार– 800मेगाहर्ट्ज –2300मेगाहर्ट्ज
  • इन्हीं स्पेक्ट्रम को सरकार द्वारा ऑक्शन के जरिए बेचा जाता है।

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5G स्पेक्ट्रम नीलामी में क्या है ख़ास ?

5G स्पेक्ट्रम
pic by zeenews
  • 20 साल की वैधता अवधि के साथ कुल 72097.85 मेगाहर्ट्ज( लगभग 72 गीगाहर्ट्ज) 5G स्पेक्ट्रम नीलामी हेतु पेश किया गया था।
  • जिसमें कुल 51.2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की बिक्री हुई (लगभग 71%)।
  • इस नीलामी के दौरान सरकार द्वारा 600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज ,900 मेगाहर्ट्ज ,1800मेगाहर्ट्ज ,2100 मेगाहर्ट्ज ,2300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्टज में स्पेक्ट्रम पेश किया गया था।
  • इस नीलामी के दौरान चार कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
    1. Jio ने ₹88078 करोड़ खर्च करके 24.7Ghz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की।
    2. Airtel ₹43084 करोड़ खर्च करके 19.8Ghz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की।
    3. VI ₹18799 करोड़ खर्च करके 6.2Ghz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की।
    4. Adani ₹212 करोड़ खर्च करके 400 Mhz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की।

 चलिए जानते हैं स्पेक्ट्रम नीलामी के मायने 

यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी थी ।इस नीलामी से सरकार को तकरीबन 1.5 लाख करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है । इस नीलामी में कंपनियों ने 700 मेगाहर्ट्ज की व्यापक तौर पर खरीदारी की ।इस बैंड को उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि आने वाले समय में अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों में नेटवर्क और बेहतर मिल सकेगा । इसके अलावा इस नीलामी के दौरान 33 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज की व्यापक बिक्री हुई । यह बैंड 5G नेटवर्क स्थापित करने हेतु सबसे उपयुक्त माना जाता हैं । इस नीलामी से अनुमान लगाया जा सकता है कि जल्द ही देश में 5G सेवा शुरू होगी ।

5G के विकास से क्या बदलाव आएगा 

इंटरनेट आफ थिंग्स को बढ़ावा मिलेगा । क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डाटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एज कंप्यूटिंग आदि के विकास में सहायक है । 5G चौथी औद्योगिक क्रांति का प्रवर्तक माना जा रहा है ।

5G स्पेक्ट्रम में क्या- क्या  हैं चुनौतियां 

स्पेक्ट्रम का अत्यधिक मूल्य–

भारत में 5G स्पेक्ट्रम मूल्य वैश्विक औसत से कई गुना अधिक है । यह संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनियों के लिए एक समस्या है । कई दूरसंचार कंपनियों ने चिंता भी जाहिर की है।

हार्डवेयर को 5G के सक्षम बनाना –

अधिकांश दूरसंचार हार्डवेयर 5G के अनुकूल नहीं है। अधिकांश हार्डवेयर विदेशी मूल के हैं।

उपभोक्ता पर अधिक वित्तीय दबाव

मौजूदा समय में 4G नेटवर्क अत्यधिक प्रचलित है। 4G नेटवर्क से 5G में अपग्रेड करने पर कंपनियों को अत्यधिक निवेश करना पड़ेगा । जिसकी भरपाई उपभोक्ताओं को अधिक मूल्य चुकाकर करना पड़ेगा।

5G तकनीक का पर्यावरण पर प्रभाव–

इस तकनीक से पक्षियों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। जानकारों का मानना है कि यह एक नई तकनीक है इसके क्या प्रभाव होंगे इसकी अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।

 निष्कर्ष

  • 5G स्पेक्ट्रम मूल्यों को और अधिक युक्तिसंगत बनाना चाहिए। जिससे संकटग्रस्त कंपनियों को राहत मिल सके और 5जी तकनीक को जल्द से जल्द लागू करने में मदद मिल सके ।
  • सरकार को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच अंतर को कम करने का प्रयास करना चाहिए ।ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच अभी भी काफी कम है। 4G भी व्यापक स्तर पर नहीं पहुंच सका है । इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए जिससे इंटरनेट क्रांति का लाभ गांवो को भी मिल सके।
  • सरकार को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत घरेलू दूरसंचार हार्डवेयर क्षेत्रों को मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए । 
  • 5G और दूरसंचार के क्षेत्र में सरकार को अनुसंधान और विकास पर भी जोर देना चाहिए।

 

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