- फरवरी 1919 में प्रस्तावित रौलेट एक्ट में यह व्यवस्था की गई थी
- कि सरकार किसी व्यक्ति को जब तक चाहे बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रख सकती है।
- इसलिये इस कानून को बिना वकील, बिना अपील एवं बिना दलील का कानून कहा गया।
- मार्च 1919 में महात्मा गांधी ने रौलेट एक्ट के ख़िलाफ़ देशव्यापी आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया।
- रौलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के लिये गांधी जी द्वारा स्थापित की गई
- सत्याग्रह सभा में ज्यादातर होमरूल लीग के सदस्य शामिल थे।
- रौलेट एक्ट के विरोध में स्वामी श्रद्धानंद ने लगान न देने का आंदोलन चलाने का सुझाव दिया था।
- रौलेट एक्ट के विरोध में गांधी जी के अनुरोध पर 6 अप्रैल, 1919 “को देशभर में हड़तालों का आयोजन किया गया।
- 10 अप्रैल, 1919 को पंजाब के लोकप्रिय नेता सैफुद्दीन किचलू एवं डॉ. सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया गया,
- जिसके विरोध में 13 अप्रैल को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में सरकार की नीतियों के विरोध में शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया गया।
- इस सभास्थल पर उपस्थित अमृतसर के फौजी कमांडर ओ डायर ने जनता को आतंकित करने के उद्देश्य से निहत्थी भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया।
- जिसमें हज़ारों लोग मारे गए। इस हत्याकांड के बाद पूरे पंजाब में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया तथा जनता पर अत्याचार किये गए।
- इस हत्याकांड के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने ‘नाइट’ (या ‘सर’) की उपाधि त्याग दी
- तथा वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य शंकर नायर ने अपना पद त्याग दिया।
- इस हत्याकांड के विरोध में चारों ओर उठ रहे विरोध के स्वर तथा बढ़ते दबावों को देखते हुए सरकार ने इसकी जाँच हेतु हंटर कमीशन की नियुक्ति की।
- इस समिति में 3 भारतीयों को भी शामिल किया
- गया- चिमनलाल शीतलवाड़, सुल्तान अहमद तथा जगतनारायण ।
- कांग्रेस ने भी इस हत्याकांड की जाँच हेतु एक समिति नियुक्त की जिसके अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय
- तथा अन्य सदस्यों में महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास, जयकर आदि थे।
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