मानव रोग

मानव रोग

शरीर में होने वाली अनेक प्रकार की अनियमितताओं को ही रोग या बीमारी कहा जाता है। ऐसे पदार्थ या सूक्ष्म जीव जो शरीर में रोग उत्पन्न करते हैं, रोगकारक या पैथोजन कहलाते हैं। रोगों के उपचार के लिये दवाओं का प्रयोग सर्वप्रथम हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates) ने किया था, अतः इन्हें औषधि विज्ञान का पिता कहा जाता है।

रोग का कीटाणु सिद्धांत (Germ Theory of Disease)

मानव रोग अनेक सूक्ष्म जीवों तथा हानिकारक पदार्थों से उत्पन्न होते हैं। रॉबर्ट कोच ने प्रमाणित किया कि पशुओं में होने वाला एंथ्रेक्स रोग सूक्ष्मजीवी जीवाणुओं द्वारा होता है। यह जीवाणु एंथ्रेक्स (Bacillus Anthracis) था। रॉबर्ट कोच का यही सिद्धांत रोग का कीटाणु सिद्धांत कहलाता है। मानव रोग मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किये जाते हैं

जन्मजात रोग (Congenital Disease)

ये रोग गर्भावस्था तथा जन्म के समय से ही जीवों के शरीर में विद्यमान रहते हैं। ये रोग अनेक कारणों से हो सकते हैं। जैसे गर्भावस्था के समय चोट या भ्रूण के गुणसूत्रों (Chromosomes) में असामान्यता आदि। हीमोफीलिया, हृदय के विकार, वर्णांधता आदि जन्मजात रोग हैं।

हमारा YouTube Channel, Shubiclasses अभी Subscribe करें !

उपार्जित रोग (Acquired Disease)

ये रोग जन्म के बाद तथा जीवन काल के दौरान शरीर में उत्पन्न होते हैं। उपार्जित रोग दो प्रकार के होते हैं- (a) संक्रामक रोग (b) असंक्रामक रोग।

संक्रामक रोग (Infectious or Communicable Disease)

ऐसे रोग जीवों में एक-दूसरे के संपर्क में आने पर फैलते हैं। ये रोग हानिकारक सूक्ष्म जीवों, जैसे- जीवाणु, विषाणु, प्रोटोजोआ, कवक आदि से फैलते हैं।

जीवाणु (Bacteria) जनित रोग : टिटनेस, सिफलिस, हैजा,डिप्थीरिया, काली खाँसी, प्लेग, निमोनिया, कॉलरा, गोनोरिया, क्षय रोग, टायफॉइड, कोढ़ आदि ।

विषाणु (Virus) जनित रोग : रेबीज या हाइड्रोफोबिया, दाद, चेचक, छोटी माता, ट्रेकोमा, खसरा, पोलियो, हेपेटाइटिस, एड्स, इबोला, इसेफलाइटिस, चिकनगुनिया, डेंगू, रूबेला, गलसुआ आदि।

प्रोटोजोआ (Protozoa) जनित रोग मलेरिया, पेचिस, पायरिया,कालाजार, निद्रा रोग आदि।

कृमिजन्य (Worm) जनित रोग : फाइलेरिया, टीनिएसिस, एस्केरियेसिस आदि।

एड्स (AIDS: Acquired Immune Deficiency Syndrome)

यह रोग HIV (Human Immune Deficiency Virus) के कारण होता है। इस रोग में रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। जिसका कारण यह है कि ये वायरस रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिये जिम्मेदार T लिम्फोसाइट श्वेत रक्त कणिकाओं को नष्ट करते हैं। इस रोग का प्रसार लैंगिक संभोग, संक्रमित व्यक्ति के रक्त का अन्य व्यक्ति को चढ़ाना और प्लेसेंटा के संपर्क से हो सकता है। इस रोग में लसिका पर्व में सूजन, स्मृति का लोप, रात्रि में पसीना आना आदि प्रमुख लक्षण हैं। HIV के जाँच के लिये ELISA (Enzyme Linked Immunosorbent Assay) टेस्ट किया जाता है।

कोविड-19 (COVID-19) :

COVID 19 मानव रोग

डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को COVID-19 नाम दिया है। COVID का अर्थ है- कोरोना वायरस और चूँकि वर्ष 2019 में चीन के वुहान में इसका पहला मामला सामने आया इसलिये इसमें 19 जोड़ा गया है। इस बीमारी के लिये सीवीयर एक्यूट रेस्पाइरेट्री सिंड्रोम कोरोनावायरस -2 (SARS COV-2) नामक वायरस को उत्तरदायी माना गया है। यह एक संक्रामक बीमारी है। जिसे विश्वव्यापी महामारी (Pandemic) घोषित किया गया है।

मलेरिया (Malaria) : इस रोग का कारण प्लाज्मोडियम नामक प्रोटोजोआ है जिसका वाहक मादा एनोफेलीज मच्छर होती है। यह जानकारी सर्वप्रथम सर रोनाल्ड रॉस ने दी, जिन्हें इस कार्य हेतु 1902 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। ये प्रोटोजोआ मानव शरीर में लिवर तथा प्लीहा को संक्रमित कर देते हैं। इस रोग में लाल रुधिर कोशिकाएँ तेजी से नष्ट होने लगती हैं और संक्रमित व्यक्ति में मलेरिया के स्पष्ट लक्षण दिखाई देने लगता है।

डेंगू (Dengue) : यह डेंगू नामक वायरस से फैलने वाली बीमारी है जिसकी वाहक मादा एडीज एजिप्टी मच्छर होती है। इस रोग में रोगी के शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। जिसके कारण आंतरिक रक्त स्राव होने लगता है।।

पीत ज्वर (Yellow Fever): यह भी एक वायरस जनित बीमारी है जिसका वाहक एडीज एजिप्टी मच्छर होता है।

चिकनगुनया (Chikungunya) : यह चिकनगुनया वायरस से फैलने वाली बीमारी है। इसका वाहक भी एडीज एजिप्टी मच्छर होता है।जोड़ों में तीव्र दर्द एवं त्वचा पर लाल चकते इसके लक्षण हैं।

जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis):

यह एक विषाणु जनित रोग है। इस रोग का उद्गम सर्वप्रथम जापान में हुआ। इसी कारण इसे जापानी इन्सेफेलाइटिस कहा जाता है। यह रोग क्यूलेक्स (Culex) प्रजाति के मच्छरों द्वारा होता है। यह रोग सूअरों के माध्यम से भी फैलता है। धान के खेत क्यूलेक्स मच्छर के पनपने के लिये उपयुक्त स्थान होते हैं। यह रोग दक्षिण-पूर्व एशिया के कई स्थानों पर फैलता है।

स्वाइन फ्लू ( Swine Flu): यह एक संक्रामक रोग है, जो विषाणु जनित है। रोग फैलाने वाले वायरस का नाम इन्फ्लूएन्जा HINI है। अचानक तेज बुखार, उल्टी एवं दस्त, शरीर में दर्द, खाँसी आना आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। इसके इलाज के लिये ओसेल्टा मिविर नामक औषधि दी जाती है।

असंक्रामक रोग (Non-Communicable Disease)

सभी रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं पहुँचते। जो रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित नहीं होते उन्हें असंक्रामक रोग कहते हैं। जैसे- हीनताजन्य रोग, आनुवंशिक रोग, हासित रोग, एलर्जी, कैंसर आदि।

कवक से होने वाले रोग

हीनताजन्य रोग (Deficiency Disease)

ऐसे रोग जो शरीर में अनेक पदार्थों की कमी से होते हैं, जैसे

मैरेस्मस (Marasmus) (प्रोटीन की कमी से) : इस रोग से बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं। इसमें पेशियों तथा वसा ऊतकों का क्षय हो जाता है। रोगी कमजोर एवं दुबला पतला हो जाता है। त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ जाती हैं एवं आँखें भीतर धँस जाती हैं।

क्वाशिओरकर (Kwashiorkor) (प्रोटीन की कमी से ) :

रोगी के रक्त के प्लाज्मा में प्रोटीन की कमी हो जाती है, जिससे पेट तथा पैर फूल जाते हैं तथा त्वचा सूखकर पपड़ी हो जाती है। यकृत का क्षय हो जाता है।

हृदय रोग

Heart Disease - मानव रोग
Heart Disease

ऐथिरोस्कलेरोसिस (Astherosclerosis) : यह हृदय धमनी से संबंधित रोग है जिसमें धमनी की दीवार पर कोलेस्ट्राल तथा अन्य लिपिड पदार्थ जमा हो जाते हैं। इसमें हृदय को रुधिर की आपूर्ति बंद हो जाती है।

हृदयशूल (Angina Pectoris) : अत्यधिक मानसिक तनाव, कठोर परिश्रम, अत्यधिक आहार के कारण कभी-कभी हृदय को ऑक्सीजन की पूर्ति बाधित हो जाती है। जिससे सीना एवं बाईं भुजा में दर्द होता है।

हृदयघात (Heart Attack): कभी-कभी उच्च तनाव, मोटापा, अधिक वसा युक्त भोजन सेवन आदि से हृदय को शुद्ध रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती और हृदय का स्पंदन रुक जाता है। सीने में तीव्र दर्द, पसीना आना, जी मचलना, बाहों में दर्द इत्यादि हृदयाघात के लक्षण हो सकते हैं।

उच्च तनाव (Hyper Tension): अत्यधिक रुधिर दाब के कारण अति तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है।

एलर्जी: एलर्जी कुछ बाह्य पदार्थों, जैसे- धूल, धुआँ आदि के प्रति शरीर की संवेदनशीलता से होती है। सर्दी, सिरदर्द एवं अस्थमा इत्यादि एलर्जी के कारण हो सकते हैं।

कैंसर: कोशिकाओं के अनियंत्रित विभाजन के कारण होने वाले रोग को कैंसर कहते हैं। कैंसर निम्न प्रकार के होते हैं-

कार्सीनोमा: यह त्वचा, स्तन, मस्तिष्क तथा गर्भाशय में होता है।

सार्कोमा: यह रक्त, पेशियों, उपास्थि तथा अस्थि में होने वाले कैंसर हैं।

लिम्फोमाः यह अस्थि मज्जा, प्लीहा, यकृत आदि में होता है।

ल्यूकेमियाः यह WBCs की संख्या के अत्यधिक बढ़ने के कारण उत्पन्न होता है।

आनुवंशिक विकार

आनुवंशिक विकारों को दो श्रेणियों में रखा जाता है- मेंडलीय विकार और क्रोमोसोमीय विकार ।

मंडलीय विकार

ऐसे विकार जो मुख्यतया एकल जीन के रूपांतरण या उत्परिवर्तन से निर्धारित हो जाते हैं मेंडलीय विकार कहलाते हैं। ये विकार उसी विधि से संतति में पहुँचते हैं जिसका अध्ययन वंशागति सिद्धांतों के साथ किया जा चुका है। जैसे- हीमोफीलिया, वर्णांधता, थैलेसीमिया, कीटोनूरिया आदि।

हीमोफीलिया (Hemophilia):

इस रोग में रुधिर के थक्का बनने से संबद्ध प्रोटीन प्रभावित होता है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में चोट लगने पर रुधिर का निकलना बंद नहीं होता। इस रोग के जीन की वाहक महिलाएँ हैं लेकिन यह जीन पुरुषों में प्रभावी रूप से लक्षण प्रदर्शित करता है और हिमोफीलिया का कारण बनता है। इसे रॉयल हिमोफीलिया भी कहते हैं।

फेनिलकीटोनूरिया (Phenylketonuria):

रोगी व्यक्ति में फेनिल ऐलेनीन अमीनो अम्ल को टाइरोसीन अमीनो अम्ल में बदलने के लिये आवश्यक एक एंन्जाइम की कमी हो जाती है। जिसके कारण फेनिल ऐलेनीन इकट्ठा हो जाता है। इसके एकत्रीकरण से मानसिक दुर्बलता आ जाती है।

क्रोमोसोमीय विकार

ऐसे विकार जो एक या अधिक क्रोमोसोम की अधिकता, अनुपस्थिति या असामान्य विन्यास से उन्पन्न होते हैं, क्रोमोसोमीय विकार कहलाते हैं। जैसे- डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, सिकल सेल एनीमिया (दात्र कोशिका अरक्तता) आदि।

डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome)

इस आनुवंशिक विकार का कारण 21वें क्रोमोसोम की एक अतिरिक्त प्रति का आ जाना है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति छोटे कद, छोटे गोल सिर का होता है, मुँह आंशिक रूप से खुला रहता है। मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।

टर्नर सिंड्रोम (Turner Syndrome)

इस विकार का कारण एक X क्रोमोसोम का अभाव होता है। ऐसी नारी बाँझ होती है, क्योंकि अंडाशय अल्पवर्द्धित होते हैं और द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का अभाव होता है।

परीक्षा दृष्टि प्रश्न

प्रश्न: कहां काम करने वाले व्यक्ति को ब्लैक लंग रोग हो जाता है ?

उत्तर: कोयला खान

प्रश्न: मानव गुर्दे में पथरी किसकी वजह से बनती है ?

उत्तर: कैल्शियम ऑक्सालेट की वजह से

प्रश्न: एड्स विषाणु के लिए सबसे ज्यदा अजमाई गई दवा कौन सी है ?

उत्तर: जीडो वुडीन ( AZT )

प्रश्न: काली मौत (Black Death) किसे कहते हैं ? 

उत्तर: प्लेग

प्रश्न: डेंगू बुखार के कारण मानव शरीर में किसकी कमी हो जाती है ?

उत्तर: प्लेटलेट्स

प्रश्न: BCG का टीका कितनी उम्र में लगाया जाता है ?

उत्तर: नवजात शिशु को

प्रश्न: रेबीस क्या है 

उत्तर: विषाणुजनित रोग

Leave a comment