भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन

भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों का आगमन इस रूप में हुआ – पुर्तगाली >डच >अंग्रेज़ >डेनिश >फ्राँसीसी

पुर्तगाली

  • 1498 में पुर्तगाल निवासी वास्कोडिगामा आशा अंतरीप (Cape of Good Hope) होते हुए भारत के कालीकट पहुँचा, जहाँ के शासक जमोरिन ने उसका स्वागत किया। इस प्रकार वास्कोडिगामा ने यूरोप से भारत पहुँचने के लिये समुद्री मार्ग की खोज की।
  • पुर्तगालियों ने 1503 में कोचीन में अपनी प्रथम ‘व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री) की स्थापना की।
  • भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय फ्राँसिस्को-डी-अल्मेडा (1505 1509) था। इसने ‘ब्लू वाटर पॉलिसी’ की शुरुआत की।
  • 1509 में वायसराय बने अल्फांसो-डी-अलबुकर्क को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • अलबुकर्क ने 1510 में बीजापुर के शासक युसुफ आदिलशाह से गोवा छीन लिया जो कालांतर में भारत में पुर्तगाली व्यापारिक केंद्रों की राजधानी (मुख्यालय) बना।
  • 1511 में अलबुकर्क ने ‘मलक्का’ और 1515 में ‘होरमुज’ पर भी अधिकार कर लिया।
  • प्रारंभ में अलबुकर्क ने कोचीन को मुख्यालय बनाया था।
  • 1530 में नीनो-द-कुन्हा नामक पुर्तगाली वायसराय ने मुख्यालय को कोचीन से गोवा स्थानांतरित कर दिया।
  • भारत में गोवा, दमन और दीव 1961 तक पुर्तगालियों के अधिकार में रहे।
  • इस प्रकार पुर्तगाली सबसे पहले भारत में आए और सबसे बाद में भारत से गए।
  • भारत में तंबाकू की खेती और प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत, पुर्तगालियों के आगमन से हुई।

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डच

  • 1602 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई।
  • भारत में डचों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री) 1605 में मसूलीपट्टनम में स्थापित की।
  • डचों ने पीपली, चिनसुरा, आगरा, पटना, सूरत, भरूच, अहमदाबाद आदि जगहों पर भी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कीं।
  • डचों ने पुलीकट में पैगोडा नामक स्वर्ण सिक्के का प्रचलन करवाया।
  • 1759 में अंग्रेज़ों ने बेदरा के युद्ध में डचों को पराजित कर भारत में उनकी शक्ति को समाप्त कर दिया।

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अंग्रेज़

  • 31 दिसंबर, 1600 को इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ ने 1599 में स्थापित ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व के साथ व्यापार करने हेतु 15 वर्षों का अधिकार पत्र दे दिया।
  • 1608 में जेम्स प्रथम के दूत के रूप में कैप्टन हॉकिन्स सूरत पहुँचा, जहाँ से वह मुगल बादशाह जहाँगीर से मिलने आगरा गया।
  • कैप्टन हॉकिन्स हेक्टर नामक जहाज़ से आया था जो भारत आने वाला पहला अंग्रेज़ी जहाज़ था। इसी जहाज़ी बेड़े में ‘रेड ड्रैगन’ नामक जहाज़ भी था।
  • दक्षिण भारत में सबसे पहले अंग्रेज़ों ने 1611 में मसूलीपट्टनम अपनी व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री) स्थापित की।
  • 1613 में जहाँगीर ने अंग्रेज़ों को फरमान जारी कर सूरत में व्यापारिक कोठी स्थापित करने की इजाज़त दी।
  • 1615 में ‘सर टॉमस रो’ सम्राट जेम्स प्रथम का दूत बनकर भारत पहुँचा और वह मुगल सम्राट जहाँगीर के दरबार में उपस्थित हुआ। ‘रो’ ने मुगल दरबार से साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में व्यापार करने की अनुमति प्राप्त कर ली।
  • 1632 में अंग्रेज़ों ने गोलकुंडा के सुल्तान से सुनहरा फरमान प्राप्त किया।
  • इसके अनुसार उन्हें 500 पैगोड़ा वार्षिक भुगतान के बदले गोलकुंडा राज्य में स्थित बंदरगाहों से व्यापार का एकाधिकार प्राप्त हुआ।
  • 1639 में फ्राँसिस डे ने चंद्रगिरी के राजा से मद्रास को पट्टे पर लेकर ‘फोर्ट सेंट जॉर्ज’ नामक किलाबंद कोठी का निर्माण किया।
  • 1661 में पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन ब्रगेंजा की शादी ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स-II से होने पर दहेज स्वरूप पुर्तगालियों ने बंबई चार्ल्स-II को दे दिया।
  • 1668 में चार्ल्स ने बंबई को 10 पौंड वार्षिक भुगतान के बदले ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया। कंपनी ने यहाँ किलेबंदी कर शहर की स्थापना की।

बंबई शहर का वास्तविक संस्थापक गेराल्ड औंगियार था।

  •  पूर्वी भारत में अंग्रेज़ों द्वारा स्थापित पहला कारखाना ओडिशा (1633) में था।
  • 1651 में बंगाल के हुगली तथा कासिम बाज़ार में व्यापारिक केंद्र की स्थापना की गई (शाहशुजा की अनुमति से)।
  • 1698 में कंपनी ने बंगाल के तत्कालीन सूबेदार अजीमुश्शान की अनुमति से सुतानाती, कालिकाता तथा गोविंदपुर की ज़मींदारी प्राप्त कर ली।
  • इसी सुतानाती, कालिकाता तथा गोविंदपुर को मिलाकर जॉब चॉरनाक ने कलकत्ता की नींव डाली
  • तथा यहाँ फोर्ट विलियम नामक किले का निर्माण करवाया।
  • इसका पहला अध्यक्ष चार्ल्स आयर था।
  • आगे चलकर 1717 में कंपनी को मुगल सम्राट फर्रुखसियर के एक फरमान द्वारा बंगाल में ₹3000 वार्षिक कर अदा करने के बदले सभी प्रकार के व्यापारिक शुल्कों से मुक्त कर दिया गया।
  • साथ ही बम्बई में कंपनी द्वारा ढाले गए सिक्कों को पूरे मुगल साम्राज्य में चलाने की छूट दे दी गई।

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डेनिश

  • डेन ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1616 में की गई।
  • सेरमपुर तथा ट्रैकोबार डेनों का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।
  • 1845 में उन्होंने अपनी फैक्ट्रियाँ ब्रिटिश कंपनी को बेच दीं।

फ्राँसीसी

  • फ्राँसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1664 (लुई चौदहवें के शासन काल) में की गई थी
  • तथा इस पर फ्राँसीसी सरकार का कड़ा नियंत्रण था।
  • भारत में फ्राँसीसियों की प्रथम कोठी फ्रेकों केरो द्वारा सूरत (1668) में स्थापित की गई।
  • 1674 में फ्राँसिस मार्टिन ने पांडिचेरी की स्थापना की। यहाँ स्थित व्यापारिक कोठी की किलेबंदी कर उसे ‘फोर्ट-लुई’ नाम दिया गया।

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