उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद-63) :
- संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान अमेरिका के संविधान से ग्रहण किया गया है।
- भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है(अनुच्छेद-64 एवं अनुच्छेद-89)।
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है, अतः इसे मतदान का अधिकार नहीं है, किन्तु सभापति के रूप में निर्णायक मत देने का अधिकार उसे प्राप्त है
योग्यता:
कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के योग्य तभी होगा, जब वह —
- भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष की आयु पूरी कर ‘चुका हो।
- राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो ।
- निर्वाचन के समय किसी प्रकार के लाभ के पद पर नहीं हो ।
- 20 प्रस्तावक
- 20 अनुमोदक
- वह संसद के किसी सदन या राज्य के विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं हो सकता और यदि ऐसा व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है, तो यह समझा जायेगा कि उसने उस सदन का अपना स्थान अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।
उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल [अनुच्छेद- 66 (1) ] :
- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है।
नोट: संसद के दोनों सदनों से बनने वाले निर्वाचकगण में निर्वाचित एवं मनोनीत दोनों सदस्य शामिल होते हैं ।
- उपराष्ट्रपति को अपना पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेनी पड़ती है।
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उपराष्ट्रपति की पदावधि (अनुच्छेद –67) :
उपराष्ट्रपति पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा; परन्तु
(a) उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा; [अनुच्छेद-67 (क)]
(b) उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा जिसे राज्य सभा के तत्कालीन व समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोक सभा सहमत है; किन्तु इस खंड के प्रयोजन के लिए कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जायेगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम-से-कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हों; [अनुच्छेद- 67 (ख]
(c) उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है। [अनुच्छेद-67 (ग)]
भारत के उपराष्ट्रपति
- उपराष्ट्रपति बनने से पहले डॉ. एस राधाकृष्णन सोवियत संघ में राजदूत थे।
- डॉ. एस. राधाकृष्णन व मोहम्मद हामिद अंसारी ने लगातार दो बार इस पद पर कार्य किया।
- उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निपटारा भी राष्ट्रपति की तरह उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है। निर्वाचन अवैध होने पर उसके द्वारा किये गये कार्य अवैध नहीं होते हैं।
- राष्ट्रपति के पद खाली रहने पर उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति की हैसियत से कार्य करता है (अनु. -65)। उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने की अधिकतम अवधि छह महीने होती है। इस दौरान राष्ट्रपति का चुनाव करा लेना अनिवार्य होता है। राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते समय उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सब शक्तियों, उन्मुक्तियों, उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकार का अधिकार प्राप्त होगा ।
नोट : जिस किसी कालावधि में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है वह राज्यसभा के सभापति के पद के कार्यों को नहीं करेगा और अनुच्छेद 97 के अधीन राज्यसभा के सभापति के वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होगा।
उपराष्ट्रपति का वेतन –
- देश के उपराष्ट्रपति की सैलरी तय करने को लेकर साफ नियम-कानून हैं। यह ‘संसद अधिकारी के सैलरी और भत्ते अधिनियम, 1953’ के तहत तय होती है। उपराष्ट्रपति की वैसे अलग से कोई सैलरी नहीं होती है। यानी उपराष्ट्रपति पद के लिए सैलरी का कोई प्रावधान नहीं है। उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। लिहाजा, सभापति के तौर पर उन्हें सैलरी और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। उपराष्ट्रपति को सभा पति के रूप में हर महीने 4 लाख रुपये सैलरी मिलती है। सैलरी में रिवीजन 2018 के बजट में हुआ था।
भारत के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति तुलनात्मक अध्ययन
तुलना का आधार | राष्ट्रपति ( अनुच्छेद 52 ) | उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 63) |
पद हेतु अर्हताएँ | भारतीय नागरिक, 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो, लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता, लाभ के पद पर न हो, | भारतीय नागरिक, 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो, राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता, लाभ के पद पर न हो |
निर्वाचकगण | संसद के दोनों सदनों व राज्य की विधानसभाओं (विधान परिषद् नहीं) के निर्वाचित सदस्य, दिल्ली व पुदुच्चेरी विधानसभा के निर्वाचित सदस्य (70वाँ संविधान संशोधन 1992) | संसद के निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्य |
चुनाव पद्धति | अप्रत्यक्ष निर्वाचन, आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा | अप्रत्यक्ष निर्वाचन, आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा |
पदावधि | पद धारण करने के तिथि से पाँच वर्ष (उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक पाँच वर्ष बाद भी) | पद ग्रहण करने से लेकर पाँच वर्ष तक (उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक पाँच वर्ष बाद भी) |
पदच्युत | त्याग पत्र द्वारा, महाभियोग द्वारा (अनुच्छेद 61) निर्वाचन अवैध होने पर, पद ग्रहण करने की पात्रता न होने पर | त्याग पत्र द्वारा, राज्यसभा के संकल्प द्वारा उपराष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व नोटिस देकर व इसका लोकसभा द्वारा समर्थन, निर्वाचन की अवैधता पर |
पुनर्निर्वाचन | हो सकता है। (अनुच्छेद 57) | हो सकता है। |
परीक्षा दृष्टि प्रश्न :
प्रश्न: राज्यसभा में बैठकों का सभापतित्व कौन करता है ?
उत्तर: उपराष्ट्रपति
प्रश्न: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है ?
उत्तर : अप्रत्यक्ष रूप से
प्रश्न: भारत के उपराष्ट्रपति को 4,00,000 प्रतिमाह वेतन मिलता है, उन्हें यह वेतन किसके समान मिलता है?
उत्तर: संसद सदस्य के समान मिलता है |
प्रश्न: किस एकमात्र उपराष्ट्रपति की मृत्यु पद पर आसीन रहते हुई ?
उत्तर: कृष्णकांत की मृत्यु पद पर आसीन रहते हुई
प्रश्न: किसने दो पूर्ण अवधियों के लिए भारत के उपराष्ट्रपति का पद संभाला था?
उत्तर: डॉ. एस. राधाकृष्णन ने
प्रश्न: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन किसके द्वारा होता है?
उत्तर: संसद के द्वारा
प्रश्न: भारत के उपराष्ट्रपति बनने से पहले डॉ. एस. राधाकृष्णन द्वारा धारित पद क्या था?
उत्तर: सोवियत संघ में राजदूत थे