भारत की प्रमुख कृषि क्रांतियां

कृषि क्रांति (AGRICULTURE REVOLUTION )

जब कृषि क्षेत्र में विकास हेतु नए तकनीक एवं नये अविष्कारों को उपयोग में लाते हैं तो उसे ही कृषि क्रांति कहते हैं,  जिससे कृषक उत्पादन के तरीकों और उत्पादन दर में वृद्धि करते हैं जिससे किसान और देश दोनों को आर्थिक  रूप से मदद भी मिलती है | भारत में कृषि को अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी माना जाता है |

कृषि क्रांति के प्रकार (Types Of Agriculture Revolution In India)

कुछ कृषि क्रांति इस प्रकार हैं ….

हरित क्रांति

भारत में हरित क्रांति का संबंध कृषि क्षेत्र में, उच्च उत्पादक बीजों (HYV), रासायनिक उर्वरक, सिंचाई आदि के मदद से खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करना था ।भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1960 के दशक में पंजाब,हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों में हुई। अमेरिकन वैज्ञानिक नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग को मेक्सिको में ‘हरित ‘क्रांति’ का जनक माना जाता है, जबकि डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। हरित क्रांति से सर्वाधिक लाभान्वित होने वाली फसल गेहूँ है।

पीली क्रांति

तिलहन उत्पादन से सम्बन्धित हैं। इसके उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से यह योजना प्रारम्भ की गई। तिलहन उत्पादन कार्यक्रम में 23राज्यों के 337 जिले शामिल हैं। तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए खाद्य तेल, विशेष रूप से सरसों और तिल के बीज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए 1986-1987 पीली क्रांति का आरम्भ किया गया। सैम पित्रोदा को भारत में पीली क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है। पीली क्रांति नौ तिलहनों को लक्षित करती है ये तिलहन मूंगफली, सरसों, सोयाबीन, कुसुम, तिल, सूरजमुखी, नाइजर, अलसी और अरंडी हैं।इस क्रांति के परिणामस्वरुप भारत के खाद्य तेलों और तिलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की हैं

नीली क्रांति

नील क्रांति का उद्देश्य’ देश के मछुआरों एवं मछली किसानों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना तथा जैव सुरक्षा एवं पर्यावरणीय सरोकारों को ध्यान में रखते हुए संपोषणीय ढंग से मछली पालन विकास के लिए जल संसाधनों की पूर्णक्षमता के उपयोग के माध्य‍म से खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में योगदान देना है । इसमें मछली पालन क्षेत्र के बदलाव, अधिक निवेश, बेहतर प्रशिक्षण और अवसंरचना के विकास की परिकल्पना है | भारत में नीली क्रांति का जनक हीरालाल चौधरी और डॉक्टर अरुण कृष्णन को माना जाता है| भारत में नीली क्रांति सातवीं पंचवर्षीय योजना से हुई थी जो वर्ष 1985 से वर्ष 1990 के बीच |

श्वेत क्रांति

श्वेत क्रांति की शुरुआत दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गाया| इसके जनक डॉ वर्गीज कुरियन को कहा जाता है | श्वेत क्रान्ति को ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता हैं| इसकी शुरुआत  1970 में की गई , इसे भारत के नेशनल डेयरी  डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB)के द्वारा शुरू किया गया , जो कि दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी  प्रोग्राम सिद्ध हुआ |यह 3 चरणों में हुआ –

प्रथम चरण- जुलाई 1970 -1980 तक

द्वितीय चरण – 1981 -1985 तक

तृतीय चरण – 1985-1996 तक

भूरी क्रांति –

भूरी क्रांति का सम्बन्ध चमड़ा / कोको / गैर-पारंपरिक उत्पाद के उत्पाद से है |

भारत की प्रमुख कृषि क्रांतियां

भारत में कृषि क्रांति और प्रमुख उत्पादन

 ·       हरित क्रांति- खाद्यान्न उत्पादन

·       श्वेत क्रांति- दुग्ध उत्पादन

·       नीली क्रांति-मत्स्य उत्पादन

·       भूरी क्रांति- कोको उत्पादन

·       रजत क्रांति- अंडा कुक्कुट उत्पादन

·       पीली क्रांति- तिलहन उत्पादन

·       लाल क्रांति- टमाटर / मांस उत्पादन

·       गुलाबी क्रांति- झींगा मछली उत्पादन/प्याज उत्पादन/ औषध उत्पादन

·       बादामी क्रांति- मसाला उत्पादन

·       सुनहरी क्रांति- फल उत्पादन / शहद उत्पादन

·       गोल क्रांति -आलू उत्पादन

·       सदाबहार क्रांति -जैविक खेती को प्रोत्साहन और किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने और उत्पादन बढ़ाने से संबंधित

·       रजत रेशा क्रांति- कपास उत्पादन

·        सुनहरा रेशा क्रांति- जूट उत्पादन

·       सेफ्रॉन क्रांति- केसर उत्पादन

·       ग्रे स्लेटी- उर्वरक उत्पादन

·       हरित सोना क्रांति -बाँस उत्पादन

·       मूक क्रांति- मोटे अनाज के उत्पादन

·       परामनी क्रांति- भिंडी उत्पादन

·       इंद्रधनुषीय क्रांति- सभी क्षेत्रों के उत्पादन में वृद्धि करने से

 

प्रकार बुआई कटाई प्रमुख फसलें
रवी अक्तूबर-नवंबर मार्च-अप्रैल गेहूं, जौ, चना, मटर, सरसों, मसूर, आलू आदि
खरीफ जून-जुलाई अक्तूबर-नवंबर चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, तिल, मूंगफली आदि
जायद मार्च-अप्रैल जून-जुलाई तरबूज, खरबूज, ककड़ी. खीरा एवं अन्य सब्जियाँ

 

नोट: दक्षिण भारत में रबी के मौसम में भी खरीफ फसलों की कृषि की जाती है।

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