देश | प्रावधान |
ब्रिटेन | संसदीय शासन प्रणाली, संसदीय विशेषाधिकार, विधि का शासन, विधायी प्रक्रिया, एकल नागरिकता, चुनाव में सर्वाधिक मत के आधार पर जीत की प्रक्रिया, मंत्रिमंडल प्रणाली, परमाधिकार लेख, द्विसदनात्मक व्यवस्था |
संयुक्त राज्य अमेरिका | मूल अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, राष्ट्रपति पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति का पद, उद्देशिका का विचार |
कनाडा | एक सशक्त केंद्र के साथ अर्द्ध संघ सरकार का स्वरूप, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास, शक्ति विभाजन (संघ एवं राज्य के बीच), राज्यपाल की नियुक्ति, उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन। |
आयरलैंड | राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत, राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाजसेवा आदि के क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन, राष्ट्रपति की निर्वाचन संबंधी प्रक्रिया |
द. अफ्रीका | संविधान संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा सदस्यों की निर्वाचन प्रक्रिया |
फ्राँस | स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का आदर्श , गणतंत्रात्मक व्यवस्था |
ऑस्ट्रेलिया | समवर्ती सूची का प्रावधान, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक, व्यापार वाणिज्य की स्वतंत्रता |
जर्मनी (वाइमर संविधान) | आपातकाल के दौरान मूल अधिकारों का निलंबन |
जापान | विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया |
पूर्व सोवियत संघ | मूल कर्त्तव्य, प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक,राजनीतिक न्याय का आदर्श | |
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कुछ महत्त्वपूर्ण कथन
- संविधान सभा कॉन्ग्रेस थी और कॉन्ग्रेस भारत था- ग्रेनविल ऑस्टिन
- संविधान की प्रस्तावना हमारे दीर्घकालिक सपनों का विचार है- सर अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर प्रस्तावना हमारे संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य का भविष्यफल है -के.एम. मुंशी
- सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र ही वास्तविक लक्ष्य एवं अंतिम उद्देश्य है- डॉ. बी.आर अंबेडकर प्रस्तावना “भारतीय संविधान का परिचय पत्र” है- एन.ए. पालकीवाला ।
- अमेरिकी इतिहासकार ग्रेनविल ऑस्टिन ने भारतीय संविधान को ‘सीवन रहित जाल’ (Seamless Web) के रूप में अवधारित किया था।