भारतीय बैंकिंग व्यवस्था

भारतीय बैंकिंग व्यवस्था

भारतीय बैंकिंग व्यवस्था

भारतीय बैंकिंग का इतिहास

  • संयुक्त पूंजी पर आधारित भारत में पहला बैंक 1720 में स्थापित : ‘बैंक ऑफ बॉम्बे’ था।
  • 1865 में इलाहाबाद में स्थापित इलाहाबाद बैंक भारतीय स्वामित्व वाला प्रथम बैंक था।
  • वर्ष 1894 में ‘पंजाब नेशनल बैंक’ का गठन हुआ।
  • वर्ष 1921 में तीनों प्रेसिडेंसी बैंकों [बंगाल (1806), मद्रास (1843 ), बॉम्बे (1840)] को मिलाकर ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ की स्थापना की गई।
  • गोरेवाला समिति की सिफारिश पर 1 जुलाई, 1955 को इंपीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण कर ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ की स्थापना की गई।

केंद्रीय बैंक

  • यह किसी देश का सर्वोच्च बैंक होता है जो बैंक जमाओं का लेन-देन नहीं करता, बल्कि बैंकों तथा बैंकिंग प्रणाली का विनियमन करता है।
  • रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य करता है।

वाणिज्यिक बैंक

  • लोगों तथा देश की औद्योगिक एवं व्यापारिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जमा स्वीकार करने, ऋण वितरण तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में लिप्त बैंक को व्यावसायिक/वाणिज्यिक बैंक कहते हैं।

औद्योगिक बैंक

  • इनके द्वारा देश के उद्योग-धंधों को दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराने, दीर्घकालीन जमाएँ स्वीकार करने, ऋण पत्रों तथा हुडियों की बिक्री एवं औद्योगिक इकाइयों के सलाहकार के रूप में कार्य किया जाता है।

भूमि विकास बैंक

  • इनका मुख्य कार्य कृषकों की दीर्घकालीन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने का होता है।

विदेशी विनिमय बैंक

  • ये विदेशी विनिमय बिलों का क्रय-विक्रय करके विदेशी व्यापार के लिये वित्त की व्यवस्था करते हैं।

डाकघर बचत बैंक

  • एक छोटा वाणिज्यिक बैंक जो ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी बचत को प्राप्त करने तथा प्रोत्साहित करने का कार्य करता है।

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क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Bank)

  • ‘बीस सूत्री कार्यक्रम’ के तहत ग्रामीण बैंकों पर एम. नरसिंहम की अध्यक्षता में एक कार्य समूह का गठन किया गया जिसकी सिफारिश पर 2 अक्तूबर, 1975 को राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा ग्रामीण बैंकों की स्थापना आरंभ की गई।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य दूरदराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएँ मुहैया कराना है।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सिक्किम तथा गोवा के अतिरिक्त संपूर्ण देश में कार्यरत हैं।
  • RRBs में केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा प्रवर्तक (Sponsor) बैंक की भागीदारी 50:15:35 के अनुपात में होती है।

सहकारी बैंक (Co-operative Bank)

  • इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य सहकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए छोटे स्तर के संस्थागत साख का निर्माण करना है।
  • इसके लिये सहकारी बैंकों को RBI से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
  • सहकारी बैंकों की स्थापना राज्यों द्वारा पारित सहकारी समिति अधिनियमों द्वारा होती है।
  • देश में तीन स्तरीय सहकारी संस्था कार्यरत हैं

राज्य सहकारी बैंक

  • यह राज्य का शीर्ष सहकारी बैंक होता है जो जिला सहकारी बैंकों को ऋण प्रदान करता है तथा उनके कार्यों पर नियंत्रण रखता है।
  • यह अत्यंत कम दर पर RBI से ऋण प्राप्त करता है।

जिला सहकारी बैंक/केंद्रीय सहकारी बैंक

  • यह जिला स्तर पर सहकारी बैंक है जो राज्य सहकारी बैंक से ऋण प्राप्त करता है तथा प्राथमिक सहकारी समितियों के कार्यों पर नियंत्रण करने तथा उन्हें ऋण प्रदान करने का कार्य करता है।

प्राथमिक सहकारी ऋण समिति

  • इसकी स्थापना मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र की अल्पकालीन ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये की जाती है।

भुगतान बैंक (Payment Bank)

  • इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये लघु बचत खाते उपलब्ध कराना तथा प्रवासी श्रमिकों, निम्न आय परिवारों, लघु कारोबारियों, असंगठित क्षेत्र की अन्य इकाइयों को भुगतान एवं विप्रेषण सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।
  • ये अन्य बैंकों के व्यावसायिक प्रतिनिधि बन सकते हैं, म्यूचुअल फंड तथा बीमा उत्पादों का वितरण तथा मांग जमा स्वीकार कर सकते हैं, किंतु सावधि जमा, मियादी जमा तथा आवर्ती जमा स्वीकार नहीं कर सकते। ये एटीएम/डेबिट कार्ड जारी कर सकते हैं पर क्रेडिट कार्ड नहीं।

लघु वित्त बैंक (Small Finance Bank)

  • इसकी स्थापना का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये बचत माध्यमों का प्रावधान करना तथा छोटी कारोवारी इकाइयों, छोटे सीमांत किसानों, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों एवं अन्य असंगठित क्षेत्र की इकाइयों को उन्नत तकनीकी और कम लागत के परिचालनों के माध्यम से ऋण तथा बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।
  • ये मुख्यतः बैंकिंग सेवा से वंचित या अल्प सेवा प्राप्त तबकों को जमा और ॠण जैसी बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।
  • इन पर वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होने वाले RBI के सभी मानदंड एवं विनियम इस बाध्यता के साथ लागू होंगे कि इन्हें अपनी 25 प्रतिशत शाखाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में खोलनी होंगी।

ओनली बैंक/डिजिबैंक

  • यह मोबाइल के ज़रिये बैंकिंग की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह ग्राहक की बायोमेट्रिक जानकारी तथा आधार कार्ड की मदद से कार्य करेगा।
  • डी.बी.एस. बैंक (सिंगापुर) ने अप्रैल 2016 में भारत का पहला मोबाइल ओनली बैंक लॉन्च किया।

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