फसलोत्पादन क्या होता है?
फसलोत्पादन अर्थात् शस्य विज्ञान कृषि विज्ञान की वह शाखा है जो फसल उत्पादन और भूमि प्रबन्ध के सिद्धान्तों और क्रियाओं से सम्बन्ध रखती है। इस विज्ञान के जनक (Father of Agronomy) की संज्ञा ‘पीटर डेक्रेसंजी‘ को प्रदान की गई है।
फसलों का वर्गीकरण (Classification of Crops)-
Cover Crops-
ऐसी फसलें भूमि को ढँककर रखती हैं तथा भूमि को क्षरण से बचाती हैं। ऐसी फसलों की वानस्पतिक वृद्धि तेजी से होती है और मिट्टी के ऊपर एक आवरण बनाती हैं। इसकी जड़े मिट्टी में जाल की तरह फैल जाती हैं जिससे वर्षा के कारण मिट्टी का कटाव कम होता है। जैसे-उर्द, मूँगफली, पैराग्रास, शकरकंद, लोबिया ।
Contour Crops–
समोच्च रेखाओं पर या इन रेखाओं के अनुरूप उगाई जाने वाली फसलें contour crops कहलाती हैं जिसका मुख्य उद्देश्य भूमि तथा जल संरक्षण होता है।
Border/Guard Crops–
कुछ फसलें खेत के बॉर्डर के रूप में या जन्तुओं से सुरक्षा हेतु मुख्य फसल के चारों ओर बॉर्डर के रूप में उगाई जाती हैं। रोधी फसलें (Barrier) हवा की गति को भी कम करती हैं जैसे कुसुम (Safflower)। ऐसी फसलें प्राय: काँटेदार होती हैं। चने के खेत के चारों ओर कुसुम (बर्रे) इसी उद्देश्य से लगाई जाती हैं।
Cash Crops-
ऐसी फसलों को इसलिए उगाया जाता है ताकि इसे बिक्री कर तुरंत मुद्रा प्राप्त किया जा सके जैसे- जूट, कपास, तम्बाकू, गन्ना। Cash crops निश्चित रूपेन व्यवसायी फसलें हैं।
Commercial Crops–
व्यवसायी फसलों का उत्पादन आमदनी के ख्याल से किया जाता है। जैसे- जूट, कपास, तम्बाकू, गन्ना, चाय, कॉफी एवं रबर आदि ।
बागानी फसलें (Plantation Crops ) –
कृषि एवं वाणिज्य मंत्रालयों के आधार पर भारत में बागानी फसलों के अन्तर्गत नारियल, ताड़, सुपारी, कोकोआ, काजू, चाय, कॉफी एवं रबर को सम्मिलित किया गया है ।
Catch/Emergency Crops–
जब मुख्य फसल असफल सिद्ध होती है तब आकस्मिक रूप से ऐसी फसलें आगामी ऋतु को पकड़ने (catch) के लिये उगायी जाती है। ऐसी फसलें प्राय: अल्प अवधि, एवं तेजी से वृद्धि करने वाली होती हैं जो आसानी से काटकर किसी भी समय उपयोग में लाई जा सकती है। जैसे-मूँग, उर्द, लोबिया, प्याज, मूली आदि।
Trap Crops–
ऐसी फसलों को उगाकर मृदाजनित हानिकारक जीव (Soil-borne) जैसे परजीवी खरपतवार या कीट-पतंग को फंसाया (Trap) जाता है। जैसे- Orobanche को Solanceous कुल के पौधें द्वारा, स्ट्राइगा को सोर्घम द्वारा एवं Cotton Red Bug को कपास के चारों ओर भिन्डी उगाकर नियंत्रित अर्थात् फंसाया जाता है।
Energy Crops–
तरल ऊर्जा प्राप्त करने के लिए जैसे (Ethanol तथा Alcohol) खेती की जाती है-गन्ना, आलू, मक्का, टपियोका, जटरोफा
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भारतीय फसलें
ऋतुएँ | समय/महीने | फसलें | विशेषता |
रबी | अक्टूबर-नवम्बर में बुआई अप्रैल-मई में कटाई | गेहूं, जौ, चना, मटर, सरसों, मसूर,आलु, अलसी | शीत ऋतु की फसलें
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खरीफ | जून-जुलाई में बुआई सितम्बर-अक्टूबर में कटाई
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चावल, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, सन, जूट, उड़द, तम्बाकू | वर्षा काल की फसलें
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जायद | रबी और खरीफ के बीच की फसलें मार्च में बुआई जून में काट ली जाती हैं। | तरबूज, खरबूज, ककड़ी, खीरा, करेला | ग्रीष्मकाल की फसलें
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फसलों का वानस्पतिक वर्गीकरण
- घास कुल (Gramineae) – गेहूँ, जौ, धान, मक्का, बाजरा,गन्ना, ज्वार, कोदों आदि।
- मटर कुल (Leguminosae) – मटर, चना, मूँग, उर्द, सोयाबीन, अरहर, मसूर, सनई, लोबिया आदि।
- सरसों कुल (Cruciferae) – सरसों, राई, तारामीरा, मूली, शलजम, फूलगोभी, पातगोभी आदि।
- कपास कुल (Malvaceae) – कपास, पटसन, भिण्डी, गुड़हल आदि ।
- आलू कुल (Solanaceae)– तम्बाकू, आलू, धतूरा, बैंगन,टमाटर, मिर्च आदि।
- जूट कुल (Teliacae) – जूट, फलसा आदि।
- अलसी कुल (Linaceae) – अलसी आदि।
- अरण्डी कुल (Euphorbiaceae) – अरण्डी, हजारदाना आदि।
- कम्पोजिटी कुल (Compositeae) – सूरजमुखी आदि ।
- चुकन्दर कुल (Chenopodiaceae)– चुकन्दर, बथुआ आदि।
- एलियेसी कुल (Aliaceae)– प्याज, लहसुन आदि।
- तिल कुल (Pedaliaceae) – तिल आदि।