- 16 अगस्त, 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने विभिन्न भारतीय समुदायों के विधानमंडल में प्रतिनिधित्व के लिये एक सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा की।
- इसके तहत दलित वर्गों को हिंदू वर्ग से अलग कर अल्पसंख्यक वर्ग में सम्मिलित कर इसके लिये पृथक् निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की गई।
- दलितों को पृथक् निर्वाचन क्षेत्र दिये जाने के विरोध में गांधी जी सितंबर 1932 में आमरण अनशन पर बैठ गए।
- मदन मोहन मालवीय, एम.सी. राजा, राजेंद्र प्रसाद, राजगोपालाचारी आदि के प्रयासों से 26 सितंबर, 1932 को गांधी जी एवं बी. आर. अंबेडकर के बीच समझौता हुआ, जिसे पूना पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
- इस समझौते में दलित वर्गों के लिये पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों को समाप्त कर दिया गया तथा प्रांतीय विधानमंडलों में दलितों के लिये सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई, साथ ही केंद्रीय विधानमंडल में सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई।
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