अपनी संपत्ति क्यों बेंच रहा है पाकिस्तान ?
- पाकिस्तान (Pakistan) के केंद्रीय कैबिनेट मंत्रीमंडल ने एक ऑर्डिनेंस पारित किया है ।
- जिससे पाकिस्तान सरकार सरकारी संपत्ति को किसी भी विदेशी राज्य को बेच सकेगी।
क्या कहता है नया अध्यादेश?
- नियम कानूनों को दरकिनार करते हुए सरकारी संपत्ति को किसी विदेशी राज्य को बेचने के लिए पाकिस्तानी कैबिनेट ने इस नए अध्यादेश को मंजूरी दी है ।
- इसे एक आपातकालीन उपाय के रूप में पेश किया गया है ।
- संपत्ति के बिक्री के खिलाफ अदालत में कोई याचिका भी दायर नहीं की जा सकती है ।
- कोई अदालत इसकी सुनवाई नहीं करेगी ।
- भूमि अधिग्रहण को लेकर केंद्र सरकार को बाध्यकारी आदेश जारी करने की शक्ति है ।
- संपत्ति की बिक्री हेतु किसी भी नियामक प्रक्रिया को पूरा करने की जरूरत नहीं है ।
- पाकिस्तानी जांच एजेंसियों द्वारा बिक्री की कोई जांच भी नहीं की जा सकती ।
- यदि सरकारी अधिकारी की इस बिक्री को लेकर कोई आदेश जारी करता है तो उसके खिलाफ कोई मुकदमा दायर नहीं किया जाएगा ।
- क्योंकि सरकारी अधिकारी सरकार के आदेशों का पालन कर रहा है ।
- इस अध्यादेश में पारदर्शिता की भारी कमी है ।
- इसकी वज़ह से इसकी कड़ी आलोचना भी हो रही है।
- पाकिस्तान के राष्ट्रपति के द्वारा इस अध्यादेश पर अभी हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।
- यदि राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं तो इससे पाकिस्तान (Pakistan) में भ्रष्टाचार और बढ़ सकता है।
पाकिस्तान को इस अध्यादेश की जरूरत क्यों पड़ी?
- मौजूदा समय में पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है ।
- इस संकट से निपटने हेतु पाकिस्तान IMF (International Monetary Fund)से सहायता के लिए गया ।
- लेकिन IMF ने एक शर्त रख दी कि यदि वह अपने किसी भी मित्र देश 4 बिलियन डालर की आर्थिक सहायता प्राप्त करता है तभी IMF द्वारा आर्थिक सहायता दी जाएगी।
- इस शर्त को पूरा करने के लिए पाकिस्तान संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के पास मदद के लिए गया।
- UAE ने मदद से इंकार कर दिया और कहा लौटाने की क्षमता नहीं है ।
- UAE ने औपचारिक तौर पर कहा कि वह पाकिस्तान की कंपनियों में निवेश कर सकता है ।
- हालांकि अनौपचारिक रूप से उसका कहना था कि वह पाकिस्तान की सरकारी संपत्ति को खरीद सकता है।
- पाकिस्तान में निजी करण के लिए 471 दिन लगते हैं यह काफी लंबा समय है ।
- इसलिए पाकिस्तान ने इस अध्यादेश को जारी किया।
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आर्थिक संकट क्यों है पाकिस्तान में ?
पाकिस्तान में महंगाई काफी तेजी से बढ़ रही है –
- पेट्रोल अप्रैल 2022–150 पाकिस्तानी रुपया/लीटर
- 1जुलाई 2022–250रुपए/लीटर
- पाकिस्तानी रुपया काफी तेजी से गिर रहा है ।
- मौजूदा समय में $1 की कीमत 228 पाकिस्तानी रुपए हैं ।
- पाकिस्तान निर्यात कम और आयात अधिक करता है।
- महंगे दामों में आयात करता है ।
- लोगों को भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है ।
- मई 2022 में गैर आवश्यक वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी गई थी ।
- इसमें चॉकलेट जानवरों का भोजन और टेंपोन शामिल था।
- हालांकि विरोध के बाद इसमें कुछ बदलाव किए गए।
आर्थिक संकट का क्या कारण है पाकिस्तान में ?
पाकिस्तान की नीतियां जिम्मेदार हैं–
- सेना का प्रभाव अधिक है ।
- अधिकांश निर्णय सेना प्रमुखों द्वारा लिए जाते हैं ।
- सभी नीतियां देश के हित में नहीं है बल्कि कुछ लोगों के हित में हैं यह पाकिस्तान की निरंकुशवादी प्रवृत्ति को दर्शाता है।
- गैर विकासात्मक और आर्थिक रूप से व्यवहार्य परियोजनाओं पर व्यापक खर्च किया जाता है।
- उदाहरण के लिए 2015 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा(CPEC) परियोजना शुरू की गई थी ।
- पाकिस्तान को अब तक इस परियोजना से कोई फायदा नहीं हुआ है ।
- इससे पाकिस्तान पर ऋण का दबाव और अधिक बढ़ा है ।
- मार्च 2022 में पाकिस्तान (Pakistan) का कुल विदेशी कर्ज 128 बिलियन डॉलर हो गया।
- जबकि जून 2021 में 86 बिलियन डॉलर था ।
- इस कर्ज में चीन की एक बड़ी हिस्सेदारी है उसके बाद ADB( Asian Development Bank) और विश्व बैंक की है ।
- फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल किया ।
- उसके बाद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा।
- ग्रे लिस्ट में होने की वजह से सुरक्षा चिंताओं को लेकर पाकिस्तान में अधिक निवेश नहीं हो रहा है ।
- विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं ।
- जिससे आर्थिक विकास दर धीमी पड़ गई है।
- कोविड–19महामारी और रूस –यूक्रेन युद्ध का प्रभाव– महामारी और युद्ध के बाद कच्चे तेलों की कीमतों में वृद्धि हो रही है ।
- दाल, गेहूं और चीनी के दामों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ोतरी हो रही है।
- पाकिस्तान के कुल आयात में 16% हिस्सेदारी खाद्य पदार्थ की है।
- खाद्य उत्पादन भी कम हुआ है ।
- लगातार महंगाई बढ़ रही है और महंगे दामों में आयात के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कम हो रही है।
सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास
- अपने मित्र देशों से सहायता ले सकता है।
- IMF से सहायता लेना अंतिम विकल्प है।
- पाकिस्तान में कुछ और कदम भी उठाए हैं– तेल की कीमतों में वृद्धि की है ,सरकारी व्यय में कमी और कर की दर में बढ़ोतरी की है ।
- जिससे महंगाई और बढ़ रही है ।
- जिससे हिंसक आंदोलन का खतरा है ।
- राजनीतिक अव्यवस्था होने पर IMF से लोन लेना मुश्किल हो जाएगा ।
- पाकिस्तान पहले भी 22 बार सहायता ले चुका है ।
- IMF से सहायता लेना वास्तविक समाधान नहीं है ।
क्या-क्या चुनौतियां हैं ?
आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए किसी देश की सहायता –
- कोई भी देश पाकिस्तान की सहायता करने को तैयार नहीं है
- पाकिस्तान मौजूदा सरकार अस्थाई है।
- कोई निश्चित राजनीतिक भविष्य नहीं है।
पारंपरिक मित्र देशों के साथ संबंध खराब हुए –
- सऊदी अरब और तुर्की के साथ
- चीन भी CPEC की प्रगति से खुश नहीं
- अमेरिका के साथ भी संबंध खराब
भारत पर क्या प्रभाव होगा
- भारत पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
- पाकिस्तान अपनी संपत्ति बेच रहा है यदि संपत्ति चीन को बेचता है तो भारत के लिए एक सुरक्षा खतरा उत्पन्न कर कर सकता है ।
- चीन एक सैन्य बेस स्थापित कर सकता है ।