प्रत्यास्थता (Elasticity)
- जब किसी वस्तु पर कोई विरूपक बल आरोपित किया जाता है तो यह स्वाभाविक है कि वस्तु के आकार, आयतन अथवा आकृति में परिवर्तन आ जाए।
- विरूपक बल के प्रभाव में यह परिवर्तन होना तथा वस्तु पर लगाए गए बल को हटा लेने के पश्चात् वस्तु, की अपनी प्रारंभिक अवस्था में पुनः पहुँचने की प्रवृत्ति को प्रत्यास्थता कहते हैं।
- अतः प्रत्यास्थता किसी वस्तु का वह गुण है, जिसके कारण वस्तु अपने ऊपर आरोपित विरूपक बल के प्रभाव में किसी भी परिवर्तन का विरोध करती है।
हुक का नियम (Hook’s Law)
- प्रत्यास्थता की सीमा के भीतर किसी वस्तु में उत्पन्न विकृति उस पर लगाए गए प्रतिबल के अनुक्रमानुपाती होती है।
प्रतिबल (Stress)
- किसी पिंड पर जब कोई बाह्य बल लगाया जाता है तो उसकी आकृति में परिवर्तन (विरूपण) होता है।
- पिंड पर आरोपित प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को ‘प्रतिबल’ कहते हैं,
- जैसे किसी पिंड के किसी एक भाग का क्षेत्रफल A है तो क्षेत्रफल A पर लंबवत् दिशा में आरोपित बल प्रतिबल कहलाता है।
- प्रतिबल= F /A प्रतिबल का मात्रक न्यूटन/मी.2 होता है।
विकृति (Strain)
- जब किसी वस्तु पर बाह्य बल (विरूपक बल) लगाया जाता है तो वस्तु की आकृति में परिवर्तन होता है।
- यदि यह परिवर्तन वस्तु की लंबाई में है तो लंबाई में परिवर्तन तथा वस्तु की प्रारंभिक लंबाई के अनुपात को ‘विकृति’ कहते हैं।
- किसी वस्तु का प्रत्यास्थता गुणांक उस वस्तु के विशेष गुणों पर निर्भर करता है।
- अतः विभिन्न पदार्थों के लिये प्रत्यास्थता गुणांक भिन्न-भिन्न होगा।
- प्रतिबल तथा विकृति के अनुपात को प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं।
यंग प्रत्यास्थता गुणांक (Young Modulus of Elasticity)
- यदि वस्तु पर आरोपित बल के प्रभाव से उत्पन्न हुई विकृति वस्तु की लंबाई में हुई है तो प्रत्यास्थता गुणांक को ‘यंग प्रत्यास्थता गुणांक’ कहते हैं।
आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (Bulk Modulus of Elasticity)
- यदि वस्तु पर आरोपित बल के प्रभाव से उत्पन्न हुई विकृति वस्तु के आयतन में हुई है तो प्रत्यास्थता गुणांक को ‘आयतन प्रत्यास्थता गुणांक’ कहते हैं।
दाब (Pressure)
प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को ‘दाब’ कहते हैं।
दाब (P)= =बल (F) /क्षेत्रफल (A)
- उपर्युक्त दाब और बल के संबंध से यह स्पष्ट हो जाता है कि क्षेत्रफल जितना बड़ा होगा, दाब उतना ही कम होगा।
- दाब का मात्रक न्यूटन प्रति मी. होता है, जिसे ‘पास्कल’ भी कहा जाता है।
- यह एक अदिश राशि है।
द्रवों में लगने वाला दाब
- द्रव का दाब, द्रव की गहराई पर निर्भर करता है।
- इसका आशय यह है कि जो बिंदु द्रव की सतह से जितना दूर तथा द्रव की तली के जितना नज़दीक होगा, उस पर उतना ही अधिक दाब होगा।
- द्रव के अणु तरल माध्यम में गति करते हैं।
- इस गति के दौरान ये अणु, जिस बर्तन में द्रव रखा जाता है, उसकी दीवारों से टकराते हैं, जिससे बर्तन की दीवारों पर एक बल लगता है।
- बर्तन की दीवारों तथा बर्तन की सतह के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को ‘द्रव का दाब’ कहते हैं।
पास्कल का नियम (Pascal’s Law)
- पास्कल के अनुसार यदि द्रव में स्थित सभी बिंदु एक ही ऊँचाई पर स्थित हों तो स्थिर अवस्था में सभी बिंदुओं पर लगने वाला दाब समान होगा।
- पास्कल के नियम के दूसरे कथन के अनुसार यदि किसी बंद बर्तन में द्रव पर कोई बाह्य बल लगाया जाता है तो द्रव आरोपित बल को सभी दिशाओं में समान रूप से वितरित कर देता है।
हाइड्रोलिक मशीन, हाइड्रोलिक ब्रेक इत्यादि के कार्य करने का सिद्धांत पास्कल के नियम पर ही आधारित है।