द्रव्य (Matter)

द्रव्य (Matter)

द्रव्य (Matter)

  • यह वह वस्तु है, जिसका आयतन होता है, स्थान घेरती है, जड़त्व का गुण प्रदर्शित करती है, ऊर्जा लगाकर इसकी अवस्था में परिवर्तन किया जा सकता है।
  • द्रव्य के विभिन्न स्वरूप को ‘पदार्थ’ कहते हैं। पदार्थ का निश्चित गुण एवं संघटन होता है।
  • उदाहरण- मिट्टी, मोम, चूना, दूध, ऑक्सीजन आदि।

प्राचीन काल में भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने बताया कि प्रत्येक पदार्थ अतिसूक्ष्म अविभाज्य कणों से बने हैं, जिसे उन्होंने ‘परमाणु’ कहा। एक अन्य भारतीय दार्शनिक पकुधा काच्चायन (Pakudha Kaccayana) ने यह बताया कि यह कण संयुक्त होकर द्रव्य के भिन्न-भिन्न रूपों को प्रदान करते हैं।

द्रव्य की अवस्थाएँ (States of Matter) मुख्यतः

द्रव्य (पदार्थ) की तीन अवस्थाएँ होती हैं- ठोस, द्रव तथा गैस।

ठोस अवस्था (Solid State)

इस अवस्था में पाई जाने वाली वस्तुओं का एक निश्चित आकार, स्पष्ट सीमाओं के साथ-साथ एक निश्चित आयतन होता है। ठोस वस्तुओं में दृढ़ता का गुण पाया जाता है अर्थात् बल लगाने पर ये टूट सकती हैं। उदाहरण- लोहा, पत्थर, किताब, सूई इत्यादि।

द्रव अवस्था (Fluid State)

पदार्थ की वह अवस्था जिसका आकार अनिश्चित, परंतु आयतन निश्चित होता है। उदाहरण- शीतल पेय, दूध, इत्यादि ।

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गैसीय अवस्था (Gaseous State)

पदार्थ की वह अवस्था जिसमें पदार्थ के आयतन एवं आकार दोनों अनिश्चित होते हैं। उदाहरण- हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम गैस इत्यादि ।

आजकल वैज्ञानिक पदार्थ की पाँच अवस्थाओं को स्वीकार कर रहें है। बोस-आइंस्टीन कंडनसेट, ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा।

प्लाज्मा (Plasma): यह पदार्थ की चौथी अवस्था मानी जाती है। इसमें पदार्थ के इलेक्ट्रॉन किसी निश्चित परमाणु से बँधे होने बजाय स्वतंत्र अवस्था में गतिशील रहते हैं। पदार्थ की इस अवस्था में पदार्थ के परमाणु अत्यधिक उत्तेजित होकर आयनीकृत गैस की अवस्था में पहुँच जाते हैं और प्रकाश ऊर्जा का उत्सर्जन करने लगते हैं। गैस के स्वभाव के कारण इस प्लाज्मा में विशेष रंग की चमक होती है। उदाहरणस्वरूप फ्लोरेसेंट ट्यूब के अंदर हीलियम गैस विद्युत ऊर्जा के प्रवाह से आयनीकृत हो जाती है और प्रकाश उत्पन्न करने लगती है। सूर्य और तारों में प्रकाश का का कारण प्लाज्मा ही है।

बोस आइंस्टीन कंडनसेट: अत्यंत कम घनत्व वाली किसी गैस को बहुत कम तापमान तक ठंडा करने पर इस अवस्था का निर्माण होता है। इस अवस्था का नाम भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस और अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर ‘बोस-आइंस्टीन कंडनसेट’ रखा गया है।

पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन 

तत्त्व (Element)

  •  फ्राँस के रसायनज्ञ एंटोनी लॉरेंट लेवेजियर ने सबसे पहले तत्त्व की परिभाषा को प्रयोगात्मक रूप से प्रमाणित किया।
  • तत्त्व पदार्थ का वह मूल रूप है, जिसे रासायनिक अभिक्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता।

धातु (Metal)

  • ये चमकीली तथा ताप और विद्युत की सुचालक होती है।
  • ये तन्य होती हैं, इनको तार के रूप में खींचा जा सकता है।
  • धातुओं में आघात वर्धनीयता (Malleability) का गुण पाया जाता है। उदाहरण- सोना (Au), चांदी (Ag), तांबा (Cu), लोहा (Fe), सोडियम (Na), पोटैशियम (K) इत्यादि ।
  • पारा (Hg) सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में पाई जाने वाली धातु है।

अधातु (Non-metal)

  • अधातुएँ निम्नलिखित गुणों में से किसी एक गुण अथवा सभी को प्रदर्शित करती हैं।
  • ये विभिन्न रंगों की होती हैं तथा ये ताप और विद्युत की कुचालक होती हैं।
  • ये चमकीली और आघातवर्ध्य नहीं होती हैं। उदाहरण- हाइड्रोजन (H2), ऑक्सीजन (O2), आयोडीन (I2), कार्बन (C) इत्यादि।

उपधातु (Metalloid)

  • कुछ तत्त्व धातु और अधातु के बीच के गुणों को प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें ‘उपधातु’ कहते हैं। उदाहरण- बोरॉन (B), सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Ge) इत्यादि ।
  • Si और Ge जैसे तत्त्व अर्द्धचालक होते हैं, जिनका उपयोग इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) के निर्माण में किया जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रमुख अवयव

यौगिक (Compound)

  • वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों के नियत अनुपात में रासायनिक संयोग से बना है। उदाहरण- जल, मीथेन, चीनी, नमक आदि।

मिश्रण (Mixture)

  • दो या दो से अधिक शुद्ध तत्त्वों या यौगिकों से मिलकर बनने वाले पदार्थ को ‘मिश्रण’ कहते हैं।

समांगी मिश्रण (Homogeneous Mixture)

  • इनका संघटन एकसमान होता है। समांगी मिश्रण को ‘विलयन’ भी कहते हैं। उदाहरण- चीनी और नमक का जल में विलयन।

विषमांगी मिश्रण (Heterogeneous Mixture)

  • इनका संघटन असमान होता है। उदाहरण- बालू (sand) और चीनी का मिश्रण।

निलंबन

  • यह एक विषमांगी मिश्रण है, जिसमें विलेय पदार्थ घुलता नहीं है। बल्कि विलयन में निलंबित रहता है। यह निलंबित कण आँखों से देखे जा सकते हैं।

कोलाइडल विलयन

  • इस विलयन में विलेय कणों का आकार अत्यधिक छोटा होने के कारण आँखों से दिखाई नहीं देता तथा समांगी प्रतीत होता है, लेकिन यह एक विषमांगी मिश्रण होता है, जिसमें कोलाइड के कण विलयन में समान रूप से फैले होते हैं। जैसे-दूध।
  • कोलाइडल कण प्रकाश किरणों को फैला देते हैं, जिसे ‘टिंडल प्रभाव’ कहा जाता है।
  • कोलाइडल कणों को छानकर पृथक् नहीं किया जा सकता है, लेकिन कोलाइडल कणों का पृथक्करण स्कंदन द्वारा किया जा सकता है।
  • पानी में मौजूद विभिन्न प्रकार की अशुद्धियाँ, जैसे मिट्टी तथा अन्य कोलाइडी कणों को पृथक् करने के लिये फिटकरी का उपयोग किया जाता है।
  • फिटकरी के AI+++आयन ऋणावेशित कोलाइडी अशुद्धियों को स्कंदित कर देता है।

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