दिल्ली सल्तनत का प्रशासन

दिल्ली सल्तनत का प्रशासन
दिल्ली सल्तनत का प्रशासन

प्रमुख विभाग

  • दीवान-ए-विजारत- वित्त विभाग था। इसका प्रमुख कार्य राजस्व वसूली करना, आय-व्यय की देख-रेख करना ।
  • दीवान-ए-वकूफ की स्थापना जलालुद्दीन ख़िलजी द्वारा की गई। यह व्यय विभाग देखता था।
  • दीवान-ए-मुस्तखराज की स्थापना अलाउद्दीन ख़िलजी द्वारा की गई। बकाया भू-राजस्व वसूलता था।
  • दीवान-ए-कोही की स्थापना मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा की गई। यह कृषि विभाग से संबंधित था।
  • दीवान-ए-इंशा– पत्राचार का विभाग था। इसका प्रधान ‘दबीर-ए-मुमालिक’ था।
  • दीवान-ए-अर्ज़- सैन्य विभाग को कहा जाता था। इसकी स्थापना बलबन द्वारा की गई।
  • दीवान-ए-रिसालत– कुरैशी और हबीबुल्लाह इसे ‘विदेश विभाग’ से संबंधित जबकि अन्य इसे ‘धार्मिक विभाग’ से संबंधित मानते हैं।

प्रमुख अधिकारी

  • आरिज-ए-मुमालिक -सैन्य विभाग का प्रधान
  • बरीद-ए-मुमालिक – गुप्तचर विभाग का प्रमुख
  • सद्र-ए-सुदूर – धार्मिक विभाग का प्रधान
  • अमीर-ए-आखूर – अश्वशाला का प्रधान
  • सर-ए-जानदार – सुल्तान के अंगरक्षकों का प्रमुख
  • अमीर-ए-हाजिब – दरबारी शिष्टाचार के नियमों को लागू करने वाला

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इक्ता व्यवस्था

  • इक्ता एक अरबी शब्द है। इक्ता एक प्रकार का प्रशासनिक अनुदान है जिसमें राजस्व और प्रशासनिक अधिकार भी दिये जाते थे।
  • इक्ता को लेने वाले इक्तेदार/मुक्ति/वली कहलाते थे।
  • इक्ता व्यवस्था वंशानुगत नहीं थी, यह हस्तांतरणीय थी।
  • इक्तेदार को अपना वेतन, सैनिक खर्च, प्रशासनिक खर्च आदि के बाद जो बचता था |
  • इसे केंद्रीय खज़ाने में जमा करना होता था जिसे ‘फवाजिल’ कहते थे।
  • गयासुद्दीन तुगलक ने इक्तेदार की व्यक्तिगत आय (वेतन) एवं सैनिकों का वेतन अलग-अलग कर दिया।
  • फिरोज़ तुगलक ने इक्तेदारों को वंशानुगत बना दिया।

सल्तनत काल में तकनीकी विकास

  • सल्तनत काल में कुओं से सिंचाई के लिये एक नई तकनीक का विकास हुआ जिसे साकिया या रहट कहा जाता था।
  • चरखा और वस्त्रों में ठप्पा छपाई तुर्कों की देन है।
  • घोड़े के पैर में लगाया जाने वाला नाल भी तुर्कों के आगमन से प्रयोग में आया।
  • स्थापत्य में चूना, गारा और सुर्खी का प्रयोग सल्तनतकाल से होने लगा।

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