जनसंख्या (Population)

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जनसंख्या

  • माल्थस के अनुसार जनसंख्या (Population) ज्यामितीय अनुपात (1, 2, 4, 8, 16…) में बढ़ती है और खाद्य आपूर्ति गणितीय अनुपात (1, 2, 3, 4 …) में।
  • माल्थस का जनसंख्या संबंधी सिद्धांत निराशावादी सिद्धांत है।
  • जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत (Theory of Demographic Transition) जनसंख्या के सिद्धांतों में एक प्रमुख सिद्धांत है।
  • इस संदर्भ में सी. पी. ब्लेकर का सिद्धांत सर्वमान्य है। जो इस प्रकार है जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत के निष्कर्ष

जनसंख्या से संबंधित कुछ पारिभाषिक शब्द

मातृत्व मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate)

  • मातृत्व मृत्यु दर, गर्भावस्था में संबंधित कारणों से प्रति एक लाख जीवित जन्म या गर्भ समाप्ति (Termination of Pregnancy) के 42 दिनों के भीतर मरने वाली माताओं की संख्या को प्रदर्शित करता है। नीति आयोग के आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011-13 में भारत में मातृत्व मृत्यु दर 167 थी।

शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate)

  • एक वर्ष में प्रति 1000 जीवित जन्मे शिशुओं की संख्या की तुलना में 1 वर्ष से कम आयु वाले मृत शिशुओं की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहा जाता है। नीति आयोग के आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013 में भारत में शिशु मृत्यु दर 40 थी।

बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rate)

  • एक वर्ष में प्रति 1000 जीवित जन्मे बच्चों की संख्या की0-5 वर्षों के बीच मृत बच्चों की संख्या को बाल मृत्यु दर कहा जाता है।

संपूर्ण प्रजनन दर (Total Fertility Rate)

  • किसी भी स्त्री के संपूर्ण प्रजनन काल (15-49 वर्ष) में पैदा हुए बच्चों की संख्या को संपूर्ण प्रजनन दर कहा जाता है। वर्ष 2013 में यह दर 2.3 थी।

लिंगानुपात (Sex Ratio)

  • प्रति 1000 पुरुषों की संख्या के अनुपात में स्त्रियों की संख्या को लिंगानुपात कहा जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात 943 है।

बाल लिंगानुपात (Child Sex Ratio)

  • 0-6 वर्षों के आयु समूह में प्रति 1000 बालकों की तुलना में बालिकाओं की संख्या को बाल लिंग अनुपात कहा जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में बाल लिंगानुपात 919 है।

जनसंख्या का घनत्व (Population Density)

  • प्रति वर्ग किलोमीटर में रहने वाले लोगों की संख्या जनसंख्या घनत्व कहलाती है।

आश्रितता अनुपात (Dependency Ratio)

  • कार्यशील तथा अकार्यशील जनसंख्या के बीच अनुपात को आश्रितता अनुपात कहा जाता है। ‘आश्रित जनसंख्या’ में 0-14 वर्ष तथा 65 वर्ष या इससे ऊपर की जनसंख्या शामिल होती है।

साक्षरता दर (Literacy Rate)

  • साक्षरता दर 7 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित की गई है जो एक निरिचित समय अवधि में एक छोटे से साधारण वाक्य को समझने के साथ-साथ लिख व पढ़ सकते हैं।

भारतीय जनसंख्या

  • भारतीय भू-भाग में, जोकि विश्व के कुल भू-भाग का मात्र 2.4 प्रतिशत है, विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 17.5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
  • देश में प्रथम जनगणना 1872 में लॉर्ड मेयो के समय हुई थी।
  • लॉर्ड रिपन के समय 1881 से नियमित रूप से प्रत्येक दस वर्षों के अंतराल पर जनगणना कराई जा रही है।
  • 1921 को भारतीय जनसंख्या के इतिहास में महान विभाजक वर्ष कहा जाता है।
  • 1872 के बाद वर्ष 2011 की जनगणना, जनगणना के क्रम में 15वीं जनगणना है जबकि स्वतंत्र भारत की 7वीं जनगणना है।
  • जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा 1952 ई. में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम बनाया गया।
  • भारत परिवार नियोजन को सरकारी नीति के रूप में शुरू करने वाला पहला देश है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 121.09 करोड़ है, जिसमें पुरुषों की संख्या 51.47 प्रतिशत तथा महिलाओं की संख्या 48.53 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 17.72 प्रतिशत की दशकीय वृद्धि के साथ भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत है, जिसमें पुरुष साक्षरता 82.14 प्रतिशत एवं महिला साक्षरता 65.46 प्रतिशत है।

जनसंख्या नीति, 2000

  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में नई जनसंख्या नीति की घोषणा की गई।
  • इस नीति के प्रारूप को तैयार करने वाले पैनल के अध्यक्ष डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन थे।
  • इस नीति के अनुसार वर्ष 2045 तक जनसंख्या में स्थिरता की स्थिति को प्राप्त कर लेना प्रस्तावित था लेकिन भारत के कुछ राज्यों (उत्तर एवं मध्य भारत के) की कुल प्रजनन दर (TFR) के 2.1 के लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पाने के कारण स्थिर जनसंख्या के लक्ष्य को बढ़ाकर वर्ष 2070 कर दिया गया है।

प्रमुख उद्देश्य

  • शिशु मृत्यु दर को 30 प्रति 1000 जीवित जन्म से कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • मातृत्व मृत्यु दर (MMR) को 100 प्रति लाख जीवित जन्म से कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • 80 प्रतिशत तक संस्थागत प्रसव का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • आशा (Accredited Social Health Activist)
  • आशा, एक सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकत्री है जिसे समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के बीच की कड़ी के रूप में कार्य करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है।
  • यह महिलाओं की प्रसवपूर्व देखभाल करती है तथा जाँच के लिये उन्हें स्वास्थ्य सुविधा केंद्र ले जाती है।
  • महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पोषण तथा स्वास्थ्य के विषय में सलाह देती है।
  • आशा का कार्य प्रसव कराना नहीं होता।
  • आशा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन, जननी सुरक्षा योजना आदि से जुड़ी है

नगरीकरण (Urbanization)

  • किसी क्षेत्र/नगर की जनसंख्या, आकार, संरचना और कार्मिक क्षेत्र में गत्यात्मक परिवर्तन को ही ‘नगरीकरण’ कहते हैं।

नगरीय क्षेत्र (Urban Area)

जनगणना 2011 के अनुसार नगरीय क्षेत्र को दो श्रेणियों में परिभाषित किया गया है

    1. वैधानिक नगर
    2. जनगणना नगर
  • ‘वैधानिक नगर’ से तात्पर्य ऐसे सभी क्षेत्रों से है जहाँ नगरपालिका, नगरपालिका समिति, नगर निगम, कैंटोनमेंट (छावनी) बोर्ड आदि स्थानीय निकाय हों ।
  • ‘जनगणना नगर’ तात्पर्य ऐसे सभी क्षेत्रों से है जो निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करते हैं
  • जिसकी न्यूनतम जनसंख्या 5 हज़ार हो;
  •  पुरुषों की कार्यशील जनसंख्या (Population) का कम-से-कम 75 प्रतिशत गैर-कृषि कार्यों में संलग्न हो ।
  • उस क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व कम-से-कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो ।
  • ऐसे नगर को जहाँ की जनसंख्या 1 लाख या उससे अधिक है ‘शहर’ (City) की संज्ञा दी जाती है।
  • भारत में सर्वाधिक नगरी/शहरी जनसंख्या प्रतिशत वाले राज्य (अवरोही क्रम में) क्रमश: गोवा, मिज़ोरम, तमिलनाडु एवं केरल हैं जबकि न्यूनतम शहरी जनसंख्या प्रतिशत वाले राज्य क्रमश: हिमाचल प्रदेश, बिहार, असम, ओडिशा एवं मेघालय हैं।

महानगर (Metropolitan City)

  •  जिस ‘नगर/शहर’ की जनसंख्या 10 लाख या उससे अधिक हो, उसे ‘महानगर’ कहते हैं।
  • भारत में प्रमुख महानगर निम्नलिखित हैं- मुंबई, दिल्ली, कोलकाता,चेन्नई, बंगलूरू, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, पणजी, त्रिवेंद्रम आदि।

भारत के प्रमुख महानगर (घटते क्रम में)

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनंतिम आँकड़ों के अनुसार
  • मुंबई 18.41 मिलियन
  • दिल्ली – 16.31 मिलियन
  • कोलकाता – 14.11 मिलियन
  • चेन्नई – 8.70 मिलियन
  • जनगणना 2011 के अनुसार 10 से 40 लाख जनसंख्या (Population) वाले नगरों की संख्या 44 (2001 में 35) है, जबकि 40 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 9 है।

मेगा सिटी (Mega City)

  • ऐसे नगर/शहर जिनकी कुल नगरीय संकुलन जनसंख्या 1 करोड़ से अधिक हो, ‘मेगा सिटी’ कहलाते हैं।
  • भारत में प्रमुख मेगा सिटी हैं- मुंबई, दिल्ली, कोलकाता।

गरीबी (Poverty)

  • सामान्यतः जब लोगों द्वारा अपनी मूलभूत आवश्यकताओं, जैसे भोजन, वस्त्र, आवास तक की भी पूर्ति नहीं हो पाती है तो वैसी स्थिति को गरीबी कहा जाता है।
  • अल्पविकसित देशों में गरीबी का मुख्य कारण आय में असमानता है।
  • अर्थशास्त्री रैग्नर नर्से ने कहा है कि गरीब देश निर्धनता के दुश्चक्र के कारण गरीब बने रहते हैं।

सामान्यतः गरीबी दो प्रकार की होती है

निरपेक्ष गरीबी (Absolute Poverty)

  •  निरपेक्ष गरीबी एक ऐसी दशा है जो बुनियादी मानवीय ज़रूरतों, जैसे- भोजन, स्वचछ पेय जल, स्वच्छता सुविधाओं, स्वास्थ्य, आश्रय, शिक्षा और सूचना के गंभीर अभाव को दर्शाता है।
  • निरपेक्ष गरीबी को पहली बार संयुक्त राष्ट्र के कोपेनहेगन में आयोजित विकास सम्मेलन (1995) में परिभाषित किया गया तथा यह कोपेनहेगन घोषणा पत्र के प्रमुख लक्ष्यों में से एक था।
  • इस तरह की गरीबी सामान्यतः विकासशील देशों में पाई जाती है।

सापेक्षिक गरीबी (Relative Poverty)

  • सापेक्षिक गरीबी की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी देश या क्षेत्र के कुछ लोगों की आय या जीवन स्तर सामान्य लोगों से निम्न होता है।

भारत के संदर्भ में गरीबी

  • भारत में गरीबी निर्धारण का आधार उपभोग व्यय है।
  • भारत में आज़ादी के बाद प्रथम बार 1971 में दांडेकर-रथ फॉर्मूले के आधार पर वैज्ञानिक तरीके से गरीबी रेखा का निर्धारण किया गया।
  • 1979 में अलघ समिति की रिपोर्ट के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी से कम उपभोग करने वाले व्यक्ति को गरीब माना गया।
  • 1989 में गठित लकड़ावाला समिति द्वारा प्रत्येक राज्य के लिये मूल्य स्तर के आधार पर अलग-अलग गरीबी रेखा के निर्धारण का प्रस्ताव किया गया।
  • भारत में गरीबी के आकलन के संदर्भ में क्रियाविधि (Methodology) के निर्धारण के लिये योजना आयोग ने 2005 में सुरेश तेंदुलकर की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया।
  • जिसने 2009 में अपनी रिर्पोट सौंपी। पुनः योजना आयोग द्वारा 2012 में सी. रंगराजन समिति का गठन किया गया जिसने 2014 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
  • रंगराजन समिति के अनुसार 2011-12 में भारत की 29.5 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत कर रही थी, जबकि तेंदुलकर समिति के अनुसार यह संख्या 21.9 प्रतिशत ही थी। इस अंतर का कारण इन समितियों द्वारा गरीबी निर्धारण हेतु उपयोग लाई गई अलग-अलग विधियाँ थीं।
  • राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के 68 वें दौर के आँकड़े (2011-12) के अनुसार भारत में छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक निर्धनता अनुपात (39.93 प्रतिशत) है। इसके पश्चात् झारखंड (36.96 प्रतिशत), मणिपुर (36.89 प्रतिशत), अरुणाचल प्रदेश (34.67 प्रतिशत) तथा बिहार (33.74 प्रतिशत) है।
  • सबसे कम निर्धनता गोवा (5.09 प्रतिशत), केरल (7.05 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (8.06 प्रतिशत), सिक्किम (8.19 प्रतिशत) जैसे राज्यों में है। गरीबी के ये आँकड़े तेंदुलकर विधि द्वारा परिकलित किये गए

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index – MPI )

  • एम.पी.आई. की अवधारणा को यूएनडीपी (UNDP) द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट-2010 में विकसित किया गया।
  • बहुआयामी गरीबी निर्देशांक के तीन आयामों, यथा-स्वास्थ्य, एवं जीवन निर्वाह का स्तर के अंतर्गत दस संकेतक – शिशु मृत्यु, पोषण, स्कूल में नामांकन, विद्यालयी शिक्षा, संपत्तियाँ, का ईंधन, आवास, विद्युत, जल एवं शौचालय शामिल हैं। खाना शिक्षा बनाने
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक भारत में गरीबी की तीव्रता की माप के लिये सबसे उपयुक्त है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI)

  • एक ऐसा सूचकांक जो क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर भूख को मापने तथा उस पर नज़र रखने के लिये अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) द्वारा विकसित किया गया है।

GHI फॉर्मूला के घटक

  • लोगों में अल्प पोषण (Child Wasting ) 5 वर्षों से कम उम्र के बच्चे जिनका वज़न उनकी लंबाई के हिसाब से कम है।
  • ( Child Stunting) 5 वर्षों से कम उम्र के बच्चे जिनकी लंबाई उनकी उम्र के हिसाब से कम है।
  • 5 वर्षों से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर

बेरोज़गारी

  • जब एक व्यक्ति सक्रियता से रोज़गार की तलाश करता है लेकिन वह प्रचलित मज़दूरी दर पर काम पाने में अक्षम रहता है तो इस अवस्था को बेरोज़गारी कहा जाता है।
  • सामान्य रूप से 15-64 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सक्रिय माना जाता है, अतः अगर इस आयु वर्ग के व्यक्ति लाभदायक रूप से नियोजित नहीं हैं तो इन्हें बेरोज़गार माना जाता है। भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि, कौशल का अभाव, जनशक्ति नियोजन का अभाव आदि बेरोज़गारी के लिये उत्तरदायी हैं।
  • भारत में असंगठित क्षेत्र द्वारा अधिकांश रोज़गार उपलब्ध कराए जाते हैं। असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कामगार तथा शहरी क्षेत्रों में ठेके पर बहाल मज़दूर आदि शामिल किये जाते हैं।

बेरोज़गारी के प्रकार

प्रच्छन्न बेरोज़गारी (Disguised Unemployment)

  • जब किसी काम में ज़रूरत से ज़्यादा व्यक्ति शामिल रहते हैं तो यह स्थिति प्रच्छन्न बेरोज़गारी (Disguised Unemployment) कहलाती है।
  • प्रच्छन्न बेरोज़गारी कृषि क्षेत्र में अधिक देखने को मिलती है। इन अतिरिक्त श्रमिकों की सीमांत उत्पादकता शून्य होती है अर्थात उत्पादन में उनका योगदान नगण्य होता है।

संरचनात्मक बेरोज़गारी (Structural Unemployment)

  • यदि देश की उत्पादक संस्थाओं की संख्या में कमी, तकनीकी परिवर्तन आदि के कारण रोज़गार के अवसर सीमित रह जाते हों और श्रमशक्ति का एक बड़ा वर्ग बेरोज़गार हो जाता है तो इस समस्या को संरचनात्मक बेरोज़गारी कहा जाता है।

चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment)

  • उत्पादक संस्थाओं में समायोजन के दौरान अथवा बाज़ार परिवेश में परिवर्तन के दौरान रोज़गार की संख्या में होने वाली अल्पकालिक गिरावट के फलस्वरूप उत्पन्न बेरोज़गारी को चक्रीय बेरोज़गारी कहते हैं।
  • यह बेरोज़गारी अल्पकालिक होती है। वैश्विक स्तर पर विकसित देशों में चक्रीय बेरोज़गारी ज़्यादा देखने को मिलती है।

ऐच्छिक बेरोजगारी (Voluntary Unemployment)

  • जब लोग वर्तमान वेतन दर पर काम करने के लिये तैयार नहीं होते तो इस स्थिति को ऐच्छिक बेरोज़गारी कहाँ जाता है।

अनैच्छिक बेरोजगारी (Involuntary Unemployment )

  • जब कोई व्यक्ति प्रचलित दर पर काम करने की इच्छा रखता हो किंतु कार्य की उपलब्धता न हो, तो इस स्थिति को अनैच्छिक बेरोज़गारी कहा जाता है।

मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment)

  • जब हम नियोजित व्यक्ति की बात करते हैं तो हमारा तात्पर्य उन लोगों से होता है जो वर्षभर काम करते हैं।
  • कृषि जैसे क्षेत्र में काम मौसमी होता है लेकिन कृषि संबंधी गतिविधियाँ वर्षभर चलती रहती हैं, जैसे- फसल कटाई के समय, बीज बोने, फसल उगाने, निराई करते समय ज्यादा काम करने वालों की आवश्यकता होती है, इस कारण ऐसे समय में रोज़गार बढ़ जाता है।
  • एक बार जब ये कार्य खत्म हो जाते हैं। तो कृषि क्षेत्र से जुड़े कामगार विशेषकर भूमिहीन, बेरोज़गार हो जाते हैं। इस प्रकार की बेरोज़गारी को मौसमी बेरोज़गारी कहते हैं ।

घर्षण जनित बेरोज़गारी (Frictional Unemployment)

  • यह स्थिति उस समय विशेष के दौरान उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति एक रोज़गार को छोड़कर दूसरे रोज़गार में जाता है।
  • इस बीच की अवधि में व्यक्ति अस्थायी रूप से बेरोज़गार रह सकता है।
  • भारत में बेरोज़गारी से संबंधित आँकड़े राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा जारी किये जाते हैं।
  • एन.एस.एस.ओ. द्वारा भारत में बेरोज़गारी मापन के लिये तीन विधियाँ अपनाई जाती हैं- सामान्य स्तर, चालू साप्ताहिक स्तर तथा चालू दैनिक स्तर।

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