मिथाइल एल्कोहल (Methyl Alcohol-CH3OH)
- यह एक विषयुक्त द्रव है। ईंधन, वार्निश एवं कृत्रिम रंग आदि बनाने में इसका उपयोग किया जाता है इसकी गंध शराब की तरह होने की वजह से अनजाने में लोग इसका सेवन कर लेते हैं। इसके अत्यधिक सेवन से अंधता या मृत्यु हो सकती है। इसे ‘वुड स्पिरिट’ भी कहा जाता है।
इथाइल एल्कोहल (Ethyl Alcohol-C2H5OH)
- इसका उपयोग शराब के रूप में किया जाता है।
- यह एक तरल पदार्थ है, जो कि रंगहीन होता है।
- औद्योगिक उपयोग के लिये इसे किण्वन विधि से प्राप्त करते हैं।
- यह फलों एवं स्टार्चयुक्त अनाजों से प्राप्त किया जाता है।
- आजकल इसका उपयोग ईंधन के रूप में भी हो रहा है।
एल्कोहल
- शराब, बीयर व अन्य पेय पदार्थों के प्रमुख घटक के रूप में।
- मिथाइल स्पिरिट बनाने में।
- कार्बनिक विलायक के रूप में।
- चिकित्सकीय प्रयोग के लिये।
- सौंदर्य-प्रसाधन के निर्माण में।
एल्डिहाइड
- बैकेलाइट एक उपयोगी प्लास्टिक है, जिसके निर्माण में मेथेनल का प्रयोग किया जाता है।
- कवकनाशी, कीटनाशी, चर्मशोधन आदि में।
- शवों पर लेप लगाकर संरक्षित करने में।
- एरोमैटिक एल्डिहाइडों का प्रयोग सुंगधित पदार्थों के निर्माण में होता है।
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कीटोन
- नाखूनों पर लगी नेल पॉलिश हटाने के लिये।
- औद्योगिक विलायक के रूप में।
कार्बोक्सिलिक अम्ल
- एसिटिक अम्ल का उपयोग सिरका बनाने में किया जाता है।
- प्रयोगशालाओं में अभिकर्मकों के रूप में एसीटिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
- वसीय अम्लों के निर्माण में, साबुन उद्योग में।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में (पेय पदार्थों के निर्माण में)
- चिकित्सा उद्योग (Pharmaceutical Industry) में।
- इत्र (Perfumes) के निर्माण में ।
- टार्टरिक अम्ल एक प्रमुख कार्बोक्सिलिक अम्ल है, जिसका उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में किया जाता है।
एस्टर
- एस्टर सुगंधित पदार्थ होते हैं। इसलिये इनका निर्माण इत्र, सुगंधित तेल और अन्य सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने में किया जाता है।
- कार्बनिक विलायक के रूप में।
- प्लास्टिक, साबुन एवं अपमार्जकों के निर्माण में।
एमीन
- औषधि उद्योग में एमीन का व्यापक उपयोग होता है।
- मॉर्फिन और डेमेरॉल (Demerol) का उपयोग दर्द निवारक दवाओं के निर्माण में होता है।
- कृषि के क्षेत्र में एमीन का उपयोग किया जाता है।
ईथर
- ईथर का उपयोग निश्चेतक के रूप में किया जाता है।
- ये सुगंधित और तीव्र ज्वलनशील पदार्थ होते हैं।
इथाइलिन ग्लाइकॉल
- यह एक डाइहाइड्रिक एल्कोहल है। इसका उपयोग ठंडे स्थानों पर वाहनों के रेडियटरों में किया जाता है, जिससे हिमांक बिंदु कम बना रहे।
ग्लिसरॉल
- यह ट्राइहाइड्रिक एल्कोहाल है। यह बाज़ार में ग्लिसरीन के नाम से उपलब्ध है।
- सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल साथ मिलाकर इसका उपयोग विस्फोटक पदार्थ के निर्माण में किया जाता है।
- सौंदर्य प्रसाधन, एंटी फ्रीजिंग पदार्थ, परिरक्षक, पॉलिश आदि के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है।
- CFCs : (Chlorofluorocarbons) ये ऐसे यौगिक होते हैं जिनमें कार्बन परमाणु क्लोरीन और फ्लोरीन परमाणुओं से जुड़े होते हैं।
- ये यौगिक ज्वलनशील नहीं होने के साथ-साथ बहुत ज़हरीले भी नहीं होते हैं।
- इसलिये इनका व्यापक उपयोग होता है। (क) प्रशीतक के रूप में (As a refrigerants)(ख) एरोसॉल के प्रणोदक (propellant) के रूप में (ग) फोम एवं प्लास्टिक के निर्माण में ।
- इनका व्यापक उपयोग होता है, परंतु ये पर्यावरण में ओजोन परत का क्षरण करते हैं।
- वैश्विक तापन की प्रक्रिया को ये यौगिक बढ़ा देते हैं। एक अणु CFC-11 की वैश्विक तापन की प्रक्रिया में वृद्धि करने की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के एक अणु से लगभग 5000 गुना ज्यादा होती है।
फ्रेऑन (Freons)
- मीथेन व इथेन के क्लोरोफ्लोरो कार्बन यौगिकों को सामूहिक रूप से ‘फ्रेऑन’ कहते हैं।
- ये यौगिक बहुत ही स्थायी व असक्रिय होते हैं तथा ये ज़हरीले नहीं होते हैं।
- ऐसे यौगिकों का उपयोग प्रशीतक (Refrigeration), एरोसॉल प्रणोदक (Aerosol propellant) व वातानुकूलन यंत्रों में होता है।
- ओजोन परत के क्षरण (depletion) में इनकी प्रमुख भूमिका है,
साबुन (Soap)
- साबुन उच्च वसा अम्लों के सोडियम तथा पोटैशियम लवण होते हैं।
- इनका निर्माण तेल व वसा का कास्टिक सोडा द्वारा जल अपघटन करके किया जाता है, जिसे ‘साबुनीकरण’ कहते हैं।
अपमार्जक (Detergent )
- ये लंबी कार्बोक्सिलिक अम्ल श्रृंखला के अमोनियम एवं सल्फोनेट लवण होते हैं। सफाई (विशेष तौर पर कपड़ों के लिये) कार्यों के लिये अपमार्जक साबुन से अधिक प्रभावी होते हैं।
- कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम (Ca2+) और मैग्निशियम (Mg2+) के आयनों के साथ साबुन क्रिया करके अवक्षेपित हो जाते हैं, जबकि अपमार्जक इन आयनों से क्रिया करके अवक्षेपित नहीं होते और अशुद्धियों से क्रिया करके घुलनशील लवण बनाते हैं तथा अधिक झाग देते हैं। इसलिये यह कपड़ों से गंदगी को सरलतापूर्वक साफ कर देते हैं।
तेल व वसा (Oil and Fat)
- तेल और वसा एस्टर हैं, जिसको उच्च वसीय अम्लों और ग्लिसरॉल को साथ मिलाकर बनाते हैं।
- तेल साधारण ताप पर द्रवित अवस्था में पाया जाता है तथा वसा साधारण ताप पर ठोस अवस्था में।
- वसा भी दो तरह की होती है संतृप्त वसा और असंतृप्त वसा ।
संतृप्त वसा (Saturated Fat)
- वे वसाएँ जिनमें अम्लों के कार्बन परमाणुओं के एकल बंध (C-C) उपस्थित होते हैं, वे ‘संतृप्त वसा’ कहलाती है।
- उदाहरण- मांस और दूध उत्पादों में मुख्यतः संतृप्त वसा पाई जाती है।
असंतृप्त वसा (Unsaturated Fat)
- वे वसाएँ जिनकी वसीय अम्ल श्रृंखलाओं में एक अथवा एक से अधिक कार्बन द्विबंध (Double bond) उपस्थित रहते हैं।
- उदाहरण मछलियों में पाई जाने वाली वसा।